Jungle Story: समय की बर्बादी

चलते-चलते अचानक ऋतु बिल्ली रूक गई। सामने से उसकी पुरानी सहेली चिंकी जा रही थी। ऋतु ने जोर से आवाज लगायी, “अरे ओ चिंकी! कैसी है, कहां जा रही है? आजकल दिखायी नहीं देती।'' चिंकी रास्ता पार करके ऋतु के पास आती है।

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समय की बर्बादी

Jungle Story समय की बर्बादी:- चलते-चलते अचानक ऋतु बिल्ली रूक गई। सामने से उसकी पुरानी सहेली चिंकी जा रही थी। ऋतु ने जोर से आवाज लगायी, “अरे ओ चिंकी! कैसी है, कहां जा रही है? आजकल दिखायी नहीं देती।'' चिंकी रास्ता पार करके ऋतु के पास आती है। दोनों सहेलियाँ गले मिलती हैं। (Jungle Stories | Stories)

“क्या चिंकी? कितने दिन बाद मिली? क्या तुम्हें अपने टाइमपास क्लब की याद नहीं आती? पहले तो एक दिन भी तू बिना आये रह नहीं सकती थी। रोज पाँच सात घण्टे हम साथ-साथ खेला करते थे। गीत सुनते, नाचते, गप्पे मारा करते। साथ ही दूसरे के घरों से चोरी छुपे कुछ न कुछ चुराकर खाने को ले आते थे। हम सब मिलकर उसे खाते थे। यदि कोई हमे पकड़ने आता तो हम लोग झटपट भाग जाते थे। क्या तुम्हें हमारी याद बिल्कुल नहीं आती? पहले तू हमारे साथ कितनी मौज मस्ती करती थी और आज कल एकदम से सब बंद कर दिया। ऐसा थोड़े होता है यार!” प्यार भरे गुस्से से ऋतु बोली।

चिंकी थोड़ा सोचकर बोलती है, “ऋतु! भगवान ने हमें जिन्दगी टाइम पास करने के लिए नहीं दी है, बल्कि समय का सदुपयोग करने के लिए दी है। जिस कार्य में कोई बुद्धि का विकास न था। दूसरों को तकलीफ देना और उससे मजा लेना ऐसा करना प्रभु को अच्छा नहीं लगता है। मेरी एक दोस्त मुझे गजराज हाथी दादा की पाठशाला में लेकर गई। वहाँ पर हाथी दादा से मुलाकात हुई। उन्होंने बड़े प्यार से मुझे जीवन के मूल्य के बारे में समझाया।'' (Jungle Stories | Stories)

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उन्होंने मुझे समझाया, “यह जिंदगी हमे भगवान ने दी है। इसलिए ईश्वर को प्रसन्‍न करने के लिए सत्‌कर्म ही करना चाहिए। अगर ऐसा न करके व्यर्थ में समय बर्बाद करके जीवन बिताते हैं तो प्रभु के कोप का भागी बनना पड़ता है। समय बहुत ही मूल्यवान है। हाथ से गया समय फिर कभी वापस नहीं आता। गाँव भर की निंदा, बेकार की बातें, गप्पा-गोष्ठी यह सब समय की बर्बादी नहीं तो और क्या है?”

चिंकी की बातें सुनकर ऋतु बिल्ली बड़े आश्चर्य में पड़ गई। अरे चिंकी! तू बड़े-बड़े महात्मा की तरह बात करने लगी। मजाक के टोन में ऋतु बिल्ली हँसकर बोलती है। (Jungle Stories | Stories)

तब चिंकी उसे समझाते हुए कहती है, “ऋतु! आज तू हँस रही है, कल तुझे रोना पड़ेगा। हम लोग हँसते-हँसते...

तब चिंकी उसे समझाते हुए कहती है, “ऋतु! आज तू हँस रही है, कल तुझे रोना पड़ेगा। हम लोग हँसते-हँसते पाप करते हैं तथा रोते-रोते उसकी सजा भुगतते हैं। देख, इसे तुझे एक उदाहरण से समझाती हूँ। याद है एक दिन तेरा सुन्दर जरीवाला कोट निक्की बिल्ली अपने जन्म दिन पर एक दिन के लिए उधार ले गई थी। और निक्की ने उस कोट पर खीर गिराकर खराब कर दिया था। उस वक्‍त तेरे गुस्से का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था। कितने जोर से जमीन पर पटक पटक कर तूने उसे मारा था। याद है तुझे?”

“तो मै क्या करती? कितना कीमती कोट था। और उस बेवकूफ ने उसे बर्बाद कर दिया। आज भी उसे देखकर मुझे गुस्सा आता है।" ऋतु मुँह फूलाकर बोली। (Jungle Stories | Stories)

“बस ऋतु! उसी प्रकार प्रभु ने हम सब को कीमती शरीर विशेष कार्य के लिए दिया है। न कि खा-पीकर व्यर्थ गवाने के लिए। प्रभु ने यह शरीर सत्कर्म करने, समय का सदुपयोग करने तथा अच्छी सीख पाने के लिये दिया है। इस शरीर के असली मालिक ईश्वर ही हैं। जिस दिन प्रभु का आदेश होगा, उसी दिन हमें इस शरीर को छोड़ देना पड़ेगा। जिसे हम मृत्यु कहते हैं। मृत्यु अगर हमारे बस में होती तो हम कभी मरते नहीं और इस शरीर को हजारों साल तक धारण कर सकते थे। लेकिन ईश्वर की मर्जी हो उतना ही आयु हमें मिलती है।"

ऋतु चिंकी की बात सुनकर गहरी सोच में डूब जाती है। चिंकी अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहती है। “प्रभु ने हमे यह शरीर कुछ निश्चित समय के लिए दिया है। उन्हें हम नाराज करेंगे तो उनकी नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी। प्रभु को सेवा करना, सत्कर्म करना, प्रभु मान्य ग्रंथों का अभ्यास करना, दूसरों को भी उस विषय में समझाना जैसे कर्मों से अपना विकास होना निश्चित है। उससे अपना जीवन मंगलमय-उन्नतशील होता है। हमारे हदय के अन्दर ईश्वर बसे हैं। भगवान ने स्वयं श्रीमद्‌ भगवद्‌ गीता कही है। जिससे हम समझ पायें कि क्या गलत है, क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। इसलिए गीता के ज्ञान को जानना समझना हमारा परम कर्तव्य है।"

चिंकी! तो क्या हमें खेलना कूदना नहीं चाहिए? भगवान उसके लिए क्यों मना करते हैं?” ऋतु सहसा बोली। (Jungle Stories | Stories)

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“हँसना खेलना भी जरुरी है ऋतु। भगवान श्री कृष्ण स्वयं गोप-बालकों के साथ खेला करते थे। भगवान ऐसे खेल खेलते थे जिससे शरीर मजबूत बने। प्रतिकारक शक्ति की वृद्धि हो। खेलने से हमें हार-जीत को सहन करना आ जाता है। इसलिए खेलना भी बड़ा आवश्यक है। लेकिन हर कार्य मर्यादा में रहकर ही करना चाहिए। हाथी दादा हमें समझाते हैं कि मर्यादा से बाहर का कृत्य हानिकारक होता है। पूरे दिन भर सिर्फ खेलना ही अच्छा नहीं। अपना हर काम कुशलता और सावधानीपूर्वक करो। समय पर सो जाओ, समय पर जागो। यदि समयानुसार कार्य करोगे तो अधिक काम कर सकोगे। बीत गये समय के लिए तुम्हें तब पश्चाताप नहीं करना पड़ेगा। सुबह-शाम नित्य ईश्वर का स्मरण करें। माता-पिता की यथोचित मदद करें। विद्यालय में मन लगाकर पठन-पाठन करें। अपने मित्रों के साथ खेलें-कूदें। सब काम सही समय से करके आप महान बन जाओगे।”

ऋतु बिल्ली गहरी सोच में पड़ गई। उसे चिंकी की बातों में सच्चाई नजर आयी। अतः वह झट से बोली ''चिंकी! क्‍या तुम मुझे भी अपने साथ हाथी दादा की पाठशाला में ले चलोगी?”

“वाह, ऋतु! बड़ी समझदारी की बात कही तुमने। यह सुनकर मुझे तुझ पर गर्व हुआ।'' चिंकी ने उसे गले से लगा लिया। (Jungle Stories | Stories)

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