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माँ का प्यार - तीन बच्चे आपस में बैठे माँ के प्यार के बारे में चर्चा कर रहे थे कि कौन अपनी माँ को सबसे ज्यादा प्यार करता है। बच्चों की बातें सुनने लायक थीं और हर एक की बात में उनकी माँ के प्रति उनका नजरिया झलक रहा था।
पहला बच्चा अपनी बात पर जोर देते हुए बोला, “जब मेरी माँ मुझे मारती है, तो मैं अपनी आँखें नीची करके चुप खड़ा हो जाता हूँ। इससे माँ का गुस्सा कम हो जाता है, और मुझे पता है कि माँ मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती है।”
दूसरा बच्चा, जो अपनी माँ को पहले बच्चे की तुलना में ज्यादा प्यार करने का दावा करता था, बोला, “जब माँ मुझे डाँटती या मारती है, तो मैं उनके गुस्से को देखकर हँस पड़ता हूँ। मेरी हँसी देखकर माँ का गुस्सा ठंडा हो जाता है और फिर वह मुस्कुरा देती हैं।”
तीसरा बच्चा, जो चुपचाप सब सुन रहा था, आखिरकार बोल पड़ा, “यारों, न तो मैं चुप रहता हूँ और न ही हँसता हूँ। जब मेरी माँ मुझे डाँटती हैं, तो मैं चुपचाप उनके चरण स्पर्श कर लेता हूँ। इससे माँ का गुस्सा एकदम छूमंतर हो जाता है और वह मुझे प्यार से गले लगा लेती हैं। इस तरह रह जाता है केवल माँ का प्यार ही प्यार।”
बच्चों की यह बातचीत सुनते हुए वहाँ खड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उन्हें बुलाया और समझाया, “बच्चों, यह बहुत अच्छी बात है कि तुम सब अपनी माँ से इतना प्यार करते हो। माँ दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है। जब माँ तुम्हें डाँटती हैं, तो यह उनकी चिंता और देखभाल का प्रतीक होता है।”
बच्चों ने बुजुर्ग से पूछा, “तो दादा जी, सबसे अच्छा तरीका क्या है जिससे हम अपनी माँ का प्यार बनाए रख सकते हैं?”
बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले, “माँ को खुश रखने का सबसे अच्छा तरीका है उनका सम्मान करना, उनकी मदद करना और उन्हें खुश रखना। जब भी तुम कोई गलती करो, तो माफी माँगने में देर न करो। और सबसे महत्वपूर्ण बात, माँ के हर गुस्से और प्यार के पीछे उनका तुम्हारे लिए चिंता और स्नेह छिपा होता है। इसे समझने की कोशिश करो।”
बच्चों ने दादा जी की बातों को ध्यान से सुना और उनकी बातों पर अमल करने का वादा किया।
उस दिन बच्चों ने सीखा कि माँ का प्यार हर रूप में अनमोल होता है, चाहे वह गुस्से के रूप में हो या दुलार के रूप में। माँ की हर बात में उनकी ममता और बच्चों के प्रति उनका अटूट स्नेह छिपा होता है। कहानी का यही संदेश है कि हमें अपनी माँ का सम्मान और प्यार करना चाहिए और हमेशा उनकी खुशी का ध्यान रखना चाहिए।