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बच्चों की नैतिक कहानी: सच बोलने की कीमत | सच्चाई की शक्ति

एक शहरी स्कूल के छात्र 'विहान' की कहानी जो सिखाती है कि सच बोलना कितना मुश्किल हो सकता है, लेकिन अंत में यह सबसे बड़ा इनाम और सम्मान दिलाता है। बच्चों के लिए यह प्रेरणादायक Moral Story ज़रूर पढ़ें।

By Lotpot
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सच की राह, सबसे मुश्किल राह

प्यारे बच्चों, क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपने कोई गलती की हो, और आपको लगा हो कि अगर आप सच बोल देंगे तो आपको डांट पड़ेगी या कोई नुकसान होगा? ऐसे में, झूठ बोलना बहुत आसान लगता है, लेकिन क्या वह सही होता है? सच बोलना हमेशा आसान नहीं होता, बल्कि कई बार इसकी एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। लेकिन यह कीमत हमेशा हमें सबसे बड़ी शक्ति और सम्मान दिलाती है।

आज हम एक शहर के जाने-माने स्कूल, 'ब्राइट माइंड्स अकेडमी', के एक छात्र विहान की कहानी पढ़ेंगे। यह कहानी हमें सिखाएगी कि कैसे एक छोटे से सच ने विहान के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया और उसने यह साबित कर दिया कि सच बोलने की कीमत अंत में हमें सबसे बड़ा इनाम देती है।


शहर का स्कूल और विहान की गलती

'ब्राइट माइंड्स अकेडमी' शहर का सबसे प्रसिद्ध स्कूल था। विहान इसी स्कूल की पाँचवी कक्षा में पढ़ता था। विहान पढ़ने में अच्छा था, लेकिन थोड़ा शरारती भी था। उसके दोस्त उसे 'चैंपियन' कहकर बुलाते थे, क्योंकि वह स्कूल की हर प्रतियोगिता में भाग लेता था।

एक दिन, विहान और उसके दोस्त लंच ब्रेक में कक्षा में फुटबॉल खेल रहे थे। यह जानते हुए भी कि कक्षा में खेलना मना था, वे मस्ती कर रहे थे। अचानक, विहान का पैर फिसला और फुटबॉल सीधे क्लास मॉनिटर की डेस्क पर रखे एक महंगे, नए ग्लोब से टकराया। ग्लोब ज़मीन पर गिरा और उसके कई हिस्से टूट गए।

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सभी बच्चे डर गए। यह ग्लोब प्रिंसिपल सर को बहुत पसंद था और उन्होंने ही इसे सजावट के लिए क्लास में रखवाया था।

  • दोस्त: "ओह नो! अब क्या होगा विहान? प्रिंसिपल सर बहुत गुस्सा होंगे।"

  • विहान: "मुझे नहीं पता। यह मेरी गलती थी। अगर उन्होंने पूछा तो...?"

  • दोस्त: "कोई बात नहीं। हम सब कह देंगे कि यह ग्लोब अपने आप गिर गया। या फिर हम कह सकते हैं कि हवा के झोंके से गिर गया। किसी को पता नहीं चलेगा।"

विहान दुविधा में पड़ गया। झूठ बोलना आसान था, लेकिन उसका दिल उसे रोक रहा था।

झूठ का दबाव और सच की पुकार

अगले दिन, सुबह की पहली क्लास में, क्लास टीचर मिस नीलम ने टूटा हुआ ग्लोब देखा। वह बहुत दुखी हुईं और थोड़ी गुस्से में भी थीं।

"यह ग्लोब किसने तोड़ा?" मिस नीलम ने कड़क आवाज़ में पूछा।

कक्षा में सन्नाटा छा गया। सभी दोस्त डर के मारे एक-दूसरे को देखने लगे। विहान को लगा कि वह शायद सबके साथ मिलकर झूठ बोल दे, जैसा दोस्तों ने कहा था।

मिस नीलम ने फिर पूछा, "मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। जिसने यह गलती की है, वह खड़ा हो जाए। याद रखो, सच बोलने की कीमत डांट से कम होती है, झूठ बोलने की कीमत हमेशा ज्यादा होती है।"

विहान के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उसे पता था कि अगर वह सच बोलेगा, तो उसे सज़ा मिलेगी, शायद हफ्ते भर के लिए खेल के मैदान में जाने से भी रोक दिया जाए। लेकिन उसे अपनी माँ की सिखाई हुई बात याद आई: "बेटा, डर के कारण झूठ मत बोलना। सच बोलने की कीमत भले ही भारी लगे, पर वह हमेशा तुम्हें हल्का महसूस कराएगी।"

उसने गहरी साँस ली और धीरे से खड़ा हो गया।

"मिस, यह मेरी गलती थी। हम क्लास में खेल रहे थे, और फुटबॉल मुझसे टकराकर ग्लोब से लगी, जिससे वह टूट गया," विहान ने कहा, उसकी आवाज़ थोड़ी कांप रही थी।


सच्चाई का सम्मान और बड़ा इनाम

पूरी क्लास हैरान थी। विहान के दोस्त भी चौंक गए। उन्हें लगा था कि विहान झूठ बोलेगा।

मिस नीलम ने विहान को देखा। उनके चेहरे पर गुस्सा नहीं, बल्कि एक अजीब सी शांति थी।

"ठीक है विहान। बैठ जाओ," मिस नीलम ने कहा।

पूरे दिन विहान उदास रहा। वह सोच रहा था कि अब उसे सज़ा मिलेगी। शाम को प्रिंसिपल सर ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया। विहान डरते-डरते ऑफिस में गया।

प्रिंसिपल सर ने पूछा, "विहान, मैंने सुना है कि तुमने ग्लोब तोड़ दिया, और तुमने मिस नीलम को सच भी बताया है।"

विहान ने सिर झुका लिया, "जी सर।"

प्रिंसिपल सर ने थोड़ी देर तक विहान को देखा और फिर मुस्कुराते हुए कहा, "विहान, गलती करना मनुष्य का स्वभाव है, लेकिन अपनी गलती को स्वीकार करना साहस की निशानी है। तुम जानते थे कि तुम्हें सज़ा मिलेगी, फिर भी तुमने सच बोला। यह ईमानदारी किसी भी ग्लोब से ज्यादा कीमती है।"

प्रिंसिपल सर ने उसे कोई सज़ा नहीं दी। बल्कि उन्होंने विहान को सबके सामने 'ईमानदारी के लिए प्रशंसा पत्र' दिया और उसे क्लास मॉनिटर बना दिया।

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"विहान ने साबित किया है कि सच बोलने की कीमत भले ही शुरू में डर के रूप में चुकानी पड़ती है, लेकिन उसका इनाम सम्मान, विश्वास और आत्म-शांति के रूप में हमेशा सबसे बड़ा होता है," प्रिंसिपल सर ने पूरी असेंबली में घोषणा की।

विहान बहुत खुश था। उसने उस दिन सीखा कि सच बोलना भले ही मुश्किल हो, लेकिन यह हमारी सबसे बड़ी ताकत है।


सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह अनमोल सीख मिलती है कि सच बोलना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन यह हमेशा सही होता है। हमें कभी भी झूठ के सहारे अपनी गलती को छिपाना नहीं चाहिए। सच बोलने की कीमत भले ही हमें थोड़ी-बहुत डांट या सज़ा के रूप में चुकानी पड़े, लेकिन यह हमें आत्म-सम्मान और दूसरों का विश्वास दिलाता है, जो दुनिया के किसी भी इनाम से कहीं ज्यादा बड़ा होता है। सच्चाई की राह पर चलकर ही हम जीवन में सच्चे और महान बन सकते हैं।

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