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Child Story- Games and reality
गेम्स और असलियत :
एक दिन, धीरज का स्कूल का प्रोजेक्ट जमा करने का अंतिम दिन था। उसे जल्दी से अपना प्रोजेक्ट पूरा करना था, लेकिन वह अपने गैजेट्स में इतना व्यस्त था कि उसने प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दिया। जब वह अंतिम क्षणों में प्रोजेक्ट पर काम करने बैठा, तो उसे एहसास हुआ कि वह बहुत पीछे है और समय बहुत कम है। उसने जल्दबाजी में प्रोजेक्ट पूरा किया और स्कूल गया, लेकिन उसका प्रोजेक्ट अधूरा और बेतरतीब था। टीचर ने उसे डांटा हुए कहा- "धीरज, तुम्हें समय का सही उपयोग करना सीखना होगा। केवल गैजेट्स में व्यस्त रहना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है। तुम्हें अपने काम और पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।"
एक दिन धीरज के दोस्तों ने उसे पार्क में खेलने के लिए बुलाया।
"धीरज, चल पार्क में क्रिकेट खेलते हैं!"
दोस्त निराश होकर चले गए। लेकिन उसी दिन शाम को, धीरज के पेट में दर्द शुरू हो गया। उसके पिताजी उसे डॉक्टर के पास ले गए। सारी बात सुनकर डॉक्टर ने धीरज को समझाया-" तुम्हारा पेट दर्द गैजेट्स के सामने ज्यादा समय बिताने और सही समय पर खाने-पीने की कमी के कारण है। तुम्हें बाहर खेलना और सक्रिय रहना चाहिए,"
धीरज ने डॉक्टर से जो वादा किया था उसे कुछ दिनों तक निभाया लेकिन जल्द ही वह सब कुछ भूल कर फिर से गेम्स और गैजेट्स में व्यस्त रहने लगा।
एक बार धीरज के परिवार ने शहर के बाहर मौजूद नदी के किनारे पिकनिक का आयोजन किया। परिवार के सभी सदस्य वहां गए। धीरज की छोटी बहन को धीरज के पास छोड़कर बाकी लोग इधर-उधर मौज मस्ती करने लगे जबकि धीरज अपने गैजेट्स में ही व्यस्त हो गया। अचानक, उसकी छोटी बहन नदी में गिर गई और पानी में बहने लगी।
धीरज ने फौरन अपना डिवाइस फेंक दिया और नदी में कूदकर अपनी बहन को बचाया। उसके माता-पिता ने उसकी बहादुरी की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही उसे यह भी समझाया कि गैजेट्स का अंधाधुंध इस्तेमाल उसे असली दुनिया से दूर कर सकता है।
इस घटना के बाद, धीरज कि मानो आंखें खुल गई उसने अब गैजेट्स का सही और संतुलित उपयोग करने अपनी पढ़ाई, खेल और परिवार के साथ समय बिताने का फैसला ले लिया। इस तरह, धीरज ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा और एक बेहतर जीवन जीने का संकल्प लिया।
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