बाल कहानी : एक गांव का छात्र उस का नाम विद्यासागर था किन्तु उस के सहपाठी उसे विघू कह कर पुकारते थे। विद्यालय के अधिकतर छात्र अमीर परिवारों के थे। विद्यासागर एक किसान का बेटा था उस ने अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय से बहुत अच्छे अंक प्राप्त कर परीक्षा पास की थी। By Lotpot 29 Nov 2024 in Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बाल कहानी : एक गांव का छात्र- उस का नाम विद्यासागर था किन्तु उस के सहपाठी उसे विघू कह कर पुकारते थे। विद्यालय के अधिकतर छात्र अमीर परिवारों के थे। विद्यासागर एक किसान का बेटा था उस ने अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय से बहुत अच्छे अंक प्राप्त कर परीक्षा पास की थी। शैक्षिक योग्यता के आधार पर उसे सरकार की ओर से वज़ीफा मिलता था और इसी सहायता के कारण वह इस विद्यालय में प्रवेश पा सका था। उस के कपड़े बहुत साधरण होते थे और शायद इसी लिये कक्षा के अन्य छात्र उस से दूर-दूर ही रहते थे। पैसों के अभाव में वह कभी कैंटीन भी नही जाता था। शायद इस कारण भी उसके दोस्त नहीं थे। पर स्कूल शुरू होने से पहले विद्यासागर की बड़ी मांग रहती थी। वह स्कूल शुरू होने से काफी पहले आ जाता था। वे सभी छात्र जिन्होंने अपना होमवर्क पूरा नही किया होता था, उस की काॅपी से नकल कर लेते थे। इस प्रकार बिना कोई परिश्रम किये ही वे कक्षा में सजा से बच जाते थे। मासिक परीक्षाओं में विद्यासागर को बहुत अच्छे अंक मिलते थे। पर उस के अन्य सहपाठी इस की कोई चिंता नहीं करते थे। उनका ज्यादा ध्यान मौज-मस्ती के कार्यक्रमों में लगा रहता था। पढ़ाई उन के लिये कोई खास मतलब नहीं रखती थी। एक दिन विद्यालय में प्रातः प्रधानाचार्य ने सभी को सूचना दी कि शिक्षा विभाग की ओर से एक टीम स्कूल का मुआयना करने के लिये आ रही है। विद्यायल में इस समय केवल दसवीं तक की कक्षाएं थी और विद्यायल में 11-12 कक्षा खोलनें की अनुमति मांगी गयी थी। विभाग के विशेषज्ञों द्वारा यह निर्णय किया गया था कि विद्यालय में उच्च कक्षाएं चलाने की अनुमति दी जाए या नहीं। स्कूल में अनेकों तैयारियां की गयी। दीवारों की पुताई की गयी। कक्षाओं में नये चार्ट लगाये गये स्कूल को झंड़ों और गमलों से सजाया गया। शिक्षा विभाग की टीम विशेष रूप से यह देखना चाहती थी कि विद्यालय में पढ़ाई का स्तर कैसा है। आये हुए अधिकारी सभी कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियांे से तरह-तरह के प्रश्न पूंछ रहे थे। उन्हें सन्तोषजनक उत्तर नही मिल रहे थे और उन्होंने अपनी निराशा प्रधानाचार्य को बताई। सहसा ही प्रधानाचार्य को विद्यासागर की याद आ गयी। उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे एक और कक्षा का निरीक्षण करें। प्रधानाचार्य उन्हें विद्यासागर की कक्षा में ले गये। एक अधिकारी ने खेलों से सम्बंधित प्रश्न किये। छात्रों ने बहुत संतोषजनक उत्तर दिये। इसी प्रकार विज्ञान, कंप्यूटर आदि विषयों पर पूछे गये प्रश्नों का भी छात्रों ने फटाफट उत्तर दे दिया। टेलीविजन पर कार्यक्रम देखने वाले शहरी बच्चो को इस प्रकार के सारे प्रश्नो के उत्तर मालूम थे। अधिकारियो में एक ग्रामीण प्रष्ठ भूमि का था। उस ने सोचा कि यह देखा जाया की शहर के छात्र ग्रामीण जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दे सकते है या नहीं। उस ने प्रश्न किया, ‘‘रबी की फसले किस मौसम में बोई जाती है?’’ कक्षा मे सन्नाटा छा गया। रबी और खरीफ अधिकांश छात्रो के लिऐ अरबी के शब्दों के समान थे जिन से वे पूरी तरह अपरिचित थे। और तब विद्यासागर का हाथ उठा-उस ने न केवल इस प्रश्न का सतोंष जनक उत्तर दिया। निरीक्षकों की टीम पूर तरह संतुष्ट हो गयी अगले दिन प्रातः प्रार्थना के समय प्रधानाचार्य ने और विशेष रूप से विद्यासागर की प्रशंसा की अब उस की कक्षा के सभी शहरी छात्र उस के सहपाठी होने का गौरव महसूस कर रहे थे। गांव से आये छात्र ने शहरी छात्रों पर अपनी योग्यता की छाप डाल दी थी। कहानी से सीख : विद्यासागर की कहानी बताती है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि या साधारण जीवन होने के बावजूद, यदि आप अपने कौशल और शिक्षा पर ध्यान दें, तो आप दूसरों पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकते हैं। यह भी पढ़ें:- हिंदी नैतिक कहानी: राज्य का चुनाव बच्चों की नैतिक कहानी: बात बहुत छोटी सी बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी: बैल और कुत्ते Moral Story: गुणीराम #छोटी बाल कहानी #मजेदार बाल कहानी #बाल कहानी #बच्चों की बाल कहानी #जासूसी बाल कहानी #Lotpot बाल कहानी #मज़ेदार बाल कहानी You May Also like Read the Next Article