एक अच्छी बाल कहानी : जो बांटा वो पाया बात पिछली सर्दी की है। उस रात बहुत ज्यादा ठंड थी। अपनी मम्मी के कई बार मना करने पर भी अशोक अपने दोस्त की जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने चला गया था। पार्टी खत्म होते-होते रात के दस बज गये थे। By Lotpot 23 Nov 2024 in Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बाल कहानी : जो बांटा वो पाया - बात पिछली सर्दी की है। उस रात बहुत ज्यादा ठंड थी। अपनी मम्मी के कई बार मना करने पर भी अशोक अपने दोस्त की जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने चला गया था। पार्टी खत्म होते-होते रात के दस बज गये थे। अशोक अपने दोस्त के घर से निकला और बस स्टाॅप पर बस का इंतजार करने लगा। पर दूर दूर तक कोई बस नजर नहीं आ रही थी। अशोक का घर भी दूर था और वह थका भी हुआ था। उसे अकेले सुनसान सड़क पर डर लग रहा था। अब उसे अहसास हुआ कि उसने अपनी मम्मी का कहना ना मान कर गलती करी, किन्तु अब तक बहुत देर हो चुकी थी। तभी उसे एक रिक्शा आता हुआ नजर आया। उसने हाथ देकर उसे रोका। रिक्शेवाला उसे घर पहुंचाने को राजी नहीं हुआ किन्तु जब अशोक ने पचास रूपये देने को कहा तो वह मान गया। रास्ता बिल्कुल सुनसान था। बर्फीली हवाएं चल रही थी। अशोक ने स्वेटर और कोट पहन रखे थे किन्तु उसमें भी उसे ठंड लग रही थी। अशोक सोच रहा था कि पार्टी बड़ी बढ़िया थी। उसके बहुत सारे दोस्त पार्टी में थे। सभी ने मिलकर खूब नाचा, गाया और बढ़िया-बढ़िया खाना खाया। किन्तु अब अशोक जल्दी अपने घर पहुंचना चाहता था उसे पता था कि उसके मम्मी पापा उसके लिये परेशान हो रहे होंगे, पर लापरवाही के कारण वह अपना फोन नहीं लाया था इसलिए उनसे बात भी नहीं कर सकता था। अशोक को अहसास हुआ कि रिक्शा बहुत धीमे चल रहा है, उसने रिक्शेवाले से तेज चलाने को कहा। उसे ताज्जुब हो रहा था कि रिक्शेवाले को घर जाने की जल्दी कहीं नही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उन्हे घर पहुंचने में इतनी देर क्यों लग रही थी। अचानक, एक झटका लगा, शायद रिक्शा सड़क पर पड़े पत्थर से टकरा गया था, और अशोक आगे की ओर उछल गया। अशोक रिक्शे वाले से टकरा गया। अशोक हैरान रह गया, उसे अहसास हुआ कि रिक्शावाले ने सिर्फ एक पतली कमीज पहन रखी थी उसने न तो कमीज के नीचे बनियान पहनी थी और न ही ऊपर कुछ गर्म कपड़े। अशोक के शरीर में सिहरन दौड़ गई। इतनी कड़कड़ाती ठंड और बर्फीली हवाएं और रिक्शावाला सिर्फ एक कमीज में रिक्शा चला रहा था। अशोक ने रिक्शावाले से पूछा, ‘‘भाई तुमने कोई गर्म कपड़े क्यों नहीं पहने है?’’ रिक्शावाले ने जवाब दिया, ‘‘मैं आज ही अपने गांव से आया हूं। मैं पहले कुछ पैसे बचा लूं तभी सर्दी के कपड़े खरीदूंगा। तब तक तो मुझे इस एक कमीज से ही काम चलाना पड़ेगा। अशोक अब घर के नजदीक आ गया था। काॅलोनी की लाइट देख कर उसकी जान में जान आई। उसने रिक्शावाले को रास्ता बताया और वे जल्दी ही घर पहुंच गये।घर के दरवाजे पर पहुंच कर अशोक रिक्शावाले से बोला, ‘अगर तुम इंतजार करो तो मैं तुम्हारे लिए अन्दर से कुछ गर्म कपड़े ढूंढ लाऊं।’’ रिक्शवाला बोला, ‘‘वैसे ही बहुत देर हो चुकी है, रहने दो, मैं काम चला लूंगा।’ अशोक ने अपनी जेब से पचास रूपये का नोट निकाला किन्तु कुछ था, उसे परेशान कर रहा था। उसने धीरे से अपना पहना हुआ स्वेटर उतारा और पचास के नोट के साथ-साथ रिक्शावाले को पकड़ा दिया। इससे पहले कि रिक्शावाला कुछ कहता, वह जल्दी से गेट के अन्दर चला गया और गेट बन्द कर दिया। वह अपनी मां के पास गया तो उसने देखा कि उनके पास एक पैकेट रखा था। उसने अपनी मम्मी से पूछा, ‘‘ये क्या है?’’ उसकी मम्मी ने जवाब दिया ‘‘अमेरिका से कुछ मेहमान आए थे। तुम्हारे चाचा ने तुम्हारे लिये कुछ उपहार भेजा है वही देने वे लोग यहां आए थे। अशोक ने खुशी से पैकेट खोला तो उसकी आंखो से खुशी के आंसू बह निकले। पैकेट के अन्दर से निकला था एक ‘सुंदर ऊनी स्वेटर’। इस कहानी से सीख : इसके अलावा, कहानी यह भी सिखाती है कि हमें अपने माता-पिता की सलाह का सम्मान करना चाहिए और उनकी बातों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। जीवन में अनुशासन और दूसरों की मदद करने की भावना ही हमें एक बेहतर इंसान बनाती है। बाल कहानी यहाँ और भी हैं :- Motivational Story : आँख की बाती: सच्चे उजाले की कहानीगौतम बुद्ध और नीरव का अनमोल उपहारMotivational Story : रोनक और उसका ड्रोनशिक्षाप्रद कहानी : ईमानदारी का हकदार #Short moral stories in hindi #Moral Stories by Lotpot #Hindi Moral Stories #Moral Stories #Moral Stories for Kids #hindi moral stories for kids #kids moral stories in hindi You May Also like Read the Next Article