बाल कहानी : 31 दिसम्बर की रात

आज रोहन बेहद उदास था. आज 31 दिसम्बर का दिन था. साल का आखिरी दिन. उसके सभी दोस्त उस रात पार्टी मनाने क्लब जा रहे थे. उसका भी पूरा मन था कि वो भी उनके साथ जाये. उसने अपनी माँ से जाने की जिद भी की थी

By Lotpot
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31 december
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आज रोहन बेहद उदास था. आज 31 दिसम्बर का दिन था. साल का आखिरी दिन. उसके सभी दोस्त उस रात पार्टी मनाने क्लब जा रहे थे. उसका भी पूरा मन था कि वो भी उनके साथ जाये. उसने अपनी माँ से जाने की जिद भी की थी, पर माँ ने सख्त लहजे में मना कर दिया.

बस तभी से उसका मूड ऑफ हो चुका था। क्या चला जाता जो उसकी माँ नए साल के आने की खुशी में उसको पार्टी में जाने देती. यह बड़े लोग होते ही ऐसे है। इन्हें बच्चों की भावनाओं की जरा भी परवाह नहीं होती. दूसरों के बच्चे रोज फिल्मे देखने जाते हैै। दोस्तों संग पिकनिक मनाने जाते है। नये नये कपड़े खरीदते है. उसके सभी दोस्तों के पास महगें-महगें मोबाइल फोन है. और तो और उसके दोस्त इम्पोर्टेड परफ्यूम इस्तेमाल करते है.

रोहन को लगा कि उसका तो जीना ही बेकार है। भला ऐसी जिन्दगी का क्या फायदा जहाँ कोई ख्वाहिश ही पूरी ना हो सके. “रोहन, खाना बन गया है, अभी खाओगे या टीवी के प्रोग्राम देखते समय खाओगे?” माँ कमरे में फैले कपडे समेटती हुई बोली।

“मुझे भूख नहीं है.” कहकर रोहन ने मुंह फेर लिया. माँ जानती थी कि रोहन नाराज है। पर वो उसको मनमानी करने नहीं दे सकती थी. रोहन के पिता का दो वर्ष पहले देहांत हो गया था। तब से घर के हालात एकदम बदल गए थे। घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा था। पर रोहन अभी छोटा था। वह इस उंच-नीच को नहीं समझ पा रहा था। माँ ने इशारों-इशारों में उसे कई बार समझाने की कोशिश की थी पर बच्चा मन भला दुनिया की मजबूरियों को कहां समझ पाता है।

तभी काल बैल जोर से टनटनाई। बाहर उनके पड़ोस में रहने वाला गरीब लड़का रामू था। रामू की माँ उनके घर में सफाई करने आती थी।

“क्या बात है रामू” तुम इस समय? कुछ परेशान से नजर आ रहे हो ?” रोहन ने रामू का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूछा।

“कुछ नहीं भैया” दरअसल आज 31 दिसम्बर है। सभी लोग पार्टियों में जा रहे है। मेरी माँ भी एक बड़ी पार्टी में बर्तन धोने के लिये जा रही है। वो कहती है कि मैं उनके साथ चलू।” रामू ने जवाब दिया। “अरे, यह तो बढ़िया है, तुम मुफ्त में उस पार्टी का मजा ले सकते हो।” रोहन उत्सुकता से बोला।ले तो सकता हूँ। ”रामू ने कहा, “पर लेना नहीं चाहता. मुझे अपने घर के हालात पता है। मेरे पिताजी नहीं है। मेरी माँ ना जाने कैसे-कैसे काम करके मुझे पढ़ा रही है. हमें इन पार्टियों पर जाने की बजाय अपनी पढाई पर ध्यान देना है।

31 december

अपनी माँ की तकलीफों को कम करना है। मैं तो इसलिए यहाँ आया कि यदि आपके घर कोई पार्टी है तो मैं उसका काम करके कुछ पैसे कमा लेता ताकि इस महीने की स्कूल की फीस निकल जाती।”
रोहन को मानो झटका सा लगा. रामू उससे कितना समझदार निकला। उसके घर के हालात भी तो वैसे ही है। और वह पार्टी में जाने की जिद कर रहा था।

रोहन सीधा माँ से जाकर लिपट गया और बोला,” मुझे माफ कर दो मां” नये वर्ष की पूर्व संध्या पर मैं प्रण लेता हूँ कि पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनूंगा और आपका हर दुःख दूर करूँगा।”

मां की आँखों में खुशी के आंसू थे. नया वर्ष उसके जीवन में एक नई उम्मीद लेकर जो आ रहा था. 

कहानी से सीख: 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम अपनी परिस्थितियों को समझकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं, तो हम न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं, बल्कि अपने परिवार के सपनों को भी साकार कर सकते हैं। जीवन में कठिनाइयाँ हमें कमजोर बनाने के लिए नहीं आतीं, बल्कि मजबूत बनाने और हमें सही दिशा दिखाने के लिए आती हैं।

रोहन ने रामू से सीखा कि असली खुशी महंगी चीजों और पार्टियों में नहीं, बल्कि मेहनत, लगन और अपने प्रियजनों की तकलीफों को समझने और उन्हें कम करने में है। यह कहानी हमें प्रेरणा देती है कि अपनी जिम्मेदारियों को समझें, मेहनत करें और अपने परिवार का सहारा बनें।

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