प्रेरणादायक बाल कहानी: मनुष्य का संकल्प : आश्रम के एक गुरु अपने कुछ शिष्यों को लेकर नदी किनारे पहुंचे। नदी में पानी सूखा हुआ था, जिससे चट्टानें दिखाई दे रही थीं। शिष्यों ने पहली बार इतनी बड़ी चट्टानें देखी थीं, इसलिए एक शिष्य ने गुरु से सवाल किया, "गुरुजी! क्या चट्टान से भी कठोर कुछ हो सकता है?" सवाल सुनकर गुरुजी ने मन में सोचा, "यदि मैं उत्तर बता दूंगा तो इन शिष्यों का सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ेगा, वे उत्तर सुनकर चुप हो जाएंगे। यदि मैं उत्तर न दूं, तो वे इस सवाल का जवाब आपस में तलाशने लगेंगे, जिससे उनमें सोचने की क्षमता के साथ-साथ सामान्य ज्ञान भी बढ़ेगा। यदि ये फिर भी इस सवाल का सही उत्तर न खोज पाए, तो फिर मैं ही बताऊंगा..." अतः गुरुजी ने उत्तर देना उचित न समझा और मौन रहे। जब गुरुजी की तरफ से कोई उत्तर नहीं मिला, तो एक शिष्य ने कहा, "चट्टान से लोहा बड़ा है जो उसे काट सकता है।" दूसरे ने कहा, "लोहे से आग बड़ी है जो उसे गला सकती है।" तीसरे ने कहा, "आग से जल बड़ा है जो उसे देखते ही उसकी हस्ती मिटा सकता है।" चौथे ने कहा, "जल से हवा बड़ी है जो उसे सुखाकर उड़ा देती है।" "हवा से बड़ा कौन?" इसके उत्तर में पांचवां शिष्य "प्राण" कहने जा रहा था, लेकिन वह मन में सोचने लगा, "हवा से बड़ा तो ईश्वर का वरदान होना चाहिए..." तो वह बोला, "हवा से बढ़कर तो ईश्वर का वरदान ही है।" तभी गुरुजी ने चुप्पी तोड़ते हुए जवाब दिया, "तुम लोग व्यर्थ के सवाल-जवाब कर रहे हो। हां, इस तरह से तुम्हारा सामान्य ज्ञान जरूर बढ़ा है, लेकिन जो सवाल-जवाब तुम आपस में कर रहे हो, वह एक बहस का विषय है। और बहस का कभी अंत नहीं होता, क्योंकि यह बिन सिर-पैर की होती है।" फिर गुरुजी ने शिष्यों को समझाते हुए कहा, "देखो शिष्यों, इस संसार में मनुष्य का संकल्प ही सबसे बड़ा है। उसके चलते ही 'प्राण' जीता है और चट्टान, नदी, नाले और बड़े-बड़े पर्वत लांघे जा सकते हैं, क्योंकि संकल्प एक दृढ़ विश्वास का नाम है जिसकी जीत सदियों से होती चली आ रही है।" अब शिष्य समझ चुके थे कि "मनुष्य का संकल्प ही सबसे बड़ा है। संकल्प का सहारा लेकर ही जीवन में हर असंभव को संभव में बदला जा सकता है।" प्रेरणादायक बाल कहानी यह भी पढ़ें:- प्रेरणादायक कहानी: दानवीर राजा की परीक्षा हिंदी प्रेरक कहानी: चाटुकारों का अंत हिंदी प्रेरक कहानी: ये खेत मेरा है Motivational Story: रजत का संकल्प