शिक्षाप्रद कहानी - व्यवहार का असर

यों तो आठवीं कक्षा के सभी बच्चे एक से बढ़कर एक थे, जिसे देखों कोई न कोई शरारत करता रहता था, पर अतुल तो पूरी कक्षा में पहले स्थान पर आता था ।

By Lotpot
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शिक्षाप्रद कहानी - व्यवहार का असर  :- यों तो आठवीं कक्षा के सभी बच्चे एक से बढ़कर एक थे, जिसे देखों कोई न कोई शरारत करता रहता था, पर अतुल तो पूरी कक्षा में पहले स्थान पर आता था । वह अपने सामने किसी को कुछ समझता ही नहीं था, पढ़ाई में तो वह अवश्य ठीक था परन्तु शरारतों के कारण सभी अध्यापक उससे तो क्या पूरी कक्षा से ही नाराज. रहते थे, पर करते भी क्या ?  कड़ी से कड़ी सजा देने के बाद भी किसी पर कोई असर नहीं पड़ता। 

सर्दियों की छुट्टियों के बाद गणित वाले मास्टर साहब की बदली हो गई और उनके स्थान पर नए अध्यापक आ गए, अब हर कोई अपने ही ढ़ंग से नए अध्यापक को छकाने की सोचने लगा ।

पहले ही दिन जब नए अध्यापक कक्षा में गए वहाँ के रंग ढंग समझने में उन्हें जरा भी देर नहीं लगी। जाते ही उनकी निगाह बोर्ड पर पड़ी उन्होंने देखा कि बोर्ड पर छात्रों ने चॉक से अच्छी खासी चित्रकला का प्रदर्शन कर रखा था । एक कुर्सी बनाकर उस पर गीदड़ को बैठाया गया था । सामने बहुत से शेर और चीते जमीन पर बैठे दिखाए गए थे । ऐसा लग रहा था कि बेचारा गीदड़ जैसे तैसे अपनी जान बचाने के लिए कुर्सी में छिपने का प्रयास कर रहा है ।

नए अध्यापक ने बोर्ड पर बने चित्र को देखकर भी उसे अनदेखा करने का अभिनय किया और उपस्थिति लेकर वे सबका परिचय लेने लगे । उधर लड़कों की उत्सुकता का ठिकाना नहीं था । वे तो सोचते थे कि अध्यापक बोर्ड पर बने चित्र को देख कर बौखलाएंगे और लाल पीले होकर डांट करेंगे।

दूसरे दिन कक्षा में आते ही अध्यापक ने कहा- 'मुझे कुछ अध्यापकों से पता चला है कि इस कक्षा में चित्रकारी करने वाले कई अच्छे लड़के हैं इसलिए मैं चाहता हूँ कि आज से प्रतिदिन चित्रकारी का एक मुकाबला किया जाए, सभी एक एक चित्र बनाएंगे और जिसका चित्र सबसे अच्छा होगा उसे एक पेन इनाम में मिलेगा।' हर रोज मैं एक जानवर बताऊंगा और सभी को उसी का चित्र बनाना होगा, अब सब अपनी अपनी कॉपी निकालो और शेर का चित्र बनाना शुरू करो। आधे घण्टे बनाना शुरू करो। आधे घण्टे में ही तुम्हें चित्र पूरा करना है । 

फिर क्या था ? हर कोई इनाम पाने के लिए लालायित हो उठा सभी ने अपनी ओर से बढ़िया से बढ़िया चित्र बनाए और अपनी अपनी कृति अध्यापक को दे दी । चित्र देखने के बाद अध्यापक को वह लड़का तलाश करने में देर नहीं लगी जिसने पहले दिन बोर्ड पर चित्रकारी की थी । आज की चित्रकारी में अतुल प्रथम रहा हैं यह कहकर अध्यापक ने उसे अपने पास बुलाया और एक पेन अपनी जेब से निकाल कर दे दिया ।

एक ओर अतुल को इनाम पाकर प्रसन्नता हुई तो दूसरी ओर बाकी बच्चे मन ही मन खीझ उठे, तब से समय मिलते ही सब लड़के जानवरों के चित्र बनाने की कुशलता में लग गए, इस तरह दस बाहर दिनों तक चलता रहा, हर रोज कोई न कोई लड़का एक पेन इनाम में जीत लेता,

ज्ब अध्यापक को पूरा विश्वास हो गया कि बच्चों का ध्यान शरारतों की ओर से हटने लगा है तब एक दिन उन्होंने कहा, 'बच्चों, सब अपने अपने मन से पूछो कि पिछले दस बारह दिनों में तुमने अपने आप में कुछ अन्तर पाया है या नहीं' यह सुनकर बच्चे वास्तव में ही कुछ सोचने लगे थे ।

'मैं बताता हूँ, तुम सब क्या सोच रहे हो । वास्तव में तुम अपना समय और मस्तिष्क शरारतों में लगा देते थे, तुमने कभी यह नहीं सोचा कि तुम सब कितने अच्छे और होशियार हो । आज के बनाए हुए चित्र पहले दिन के चित्र से कहीं अधिक सुन्दर हैं, इसका कारण है सच्ची लगन और मेहनत से तुम जो भी कार्य करोंगे उसी में सफलता पाओगे।'

वास्तव में अध्यापक महोदय की बात का असर अद्भुत था। सभी बच्चे उनके व्यवहार से प्रभावित हुए और उन्हें अपनी भूल का अहसास हो गया । उसी दिन से बच्चों ने शरारतों को छोड़कर पढ़ाई में मुकाबला करने का श्रीगणेश कर दिया । 

इस कहानी से दो महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं:

  1. सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रोत्साहन का प्रभाव:
    जब किसी की ऊर्जा और रचनात्मकता को सही दिशा में प्रेरित किया जाए, तो वह चमत्कार कर सकता है। अध्यापक ने बच्चों को डांटने या सजा देने के बजाय, उनकी शरारत को सकारात्मक तरीके से प्रोत्साहित किया, जिससे उनका ध्यान शरारतों से हटकर रचनात्मकता और मेहनत की ओर गया।

  2. लगन और मेहनत सफलता की कुंजी है:
    सच्ची लगन और मेहनत से किया गया कोई भी कार्य बेहतर परिणाम देता है। बच्चों ने अपनी मेहनत और लगन से अपने चित्रों में सुधार किया और सीखा कि यदि समय और मस्तिष्क सही दिशा में लगाया जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है।

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