Thomas Edison की हार न मानने की जिद: असफलता से सफलता तक का सफर थॉमस एडिसन का नाम सुनते ही हमें उनकी महानतम खोज "बिजली का बल्ब" याद आता है। लेकिन इस सफलता के पीछे एडिसन की कड़ी मेहनत, धैर्य और हार न मानने की जिद छिपी है। By Lotpot 14 Nov 2024 in Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 थॉमस एडिसन (Thomas Edison) की हार न मानने की जिद: असफलता से सफलता तक का सफर- थॉमस एडिसन का नाम सुनते ही हमें उनकी महानतम खोज "बिजली का बल्ब" याद आता है। लेकिन इस सफलता के पीछे एडिसन की कड़ी मेहनत, धैर्य और हार न मानने की जिद छिपी है। यह कहानी एक सच्चे संघर्ष की है, जिसने एडिसन को असफलताओं के बावजूद दुनिया का सबसे बड़ा आविष्कारक बना दिया। शुरुआती जीवन और कठिनाइयां थॉमस एडिसन का जन्म 1847 में अमेरिका के ओहायो राज्य में हुआ था। बचपन में ही एडिसन को स्कूल से निकाल दिया गया क्योंकि शिक्षक ने उन्हें "धीमे सीखने वाला" कहा। लेकिन उनकी माँ ने उन्हें खुद पढ़ाना शुरू किया और एडिसन ने अपनी जिज्ञासा और विज्ञान की समझ को विकसित करना शुरू किया। बचपन में ही उन्होंने एक छोटी लैब बनाई, जहाँ वे विभिन्न प्रयोग करते रहते थे। असफलता का सामना एडिसन का जीवन असफलताओं से भरा हुआ था। उन्होंने बिजली का बल्ब बनाने के लिए हजारों प्रयोग किए, लेकिन हर बार असफल होते रहे। लोगों ने उनका मजाक उड़ाया, उन्हें पागल तक कहा। लेकिन एडिसन का जवाब था, "मैंने असफलता नहीं पाई, मैंने बस ऐसे हजार तरीके खोजे हैं जो काम नहीं करते।" उनकी जिद और मेहनत का ही नतीजा था कि वे बार-बार की असफलताओं से निराश नहीं हुए, बल्कि सीखते रहे। एडिसन का मानना था कि "असफलता सफलता का हिस्सा है", और यह सोच उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही। बिजली का बल्ब: एक ऐतिहासिक खोज लगातार प्रयासों और असफलताओं के बाद, अंततः एडिसन ने 1879 में सफलतापूर्वक बिजली का बल्ब बनाया। उन्होंने बल्ब के लिए सही फिलामेंट ढूंढने में 10,000 से अधिक प्रयोग किए। एक पत्रकार ने उनसे पूछा, "आपने 10,000 बार असफल होने के बाद भी हार क्यों नहीं मानी?" एडिसन मुस्कुराते हुए बोले, "मैंने 10,000 बार असफल नहीं हुआ, मैंने 10,000 तरीके खोजे जो काम नहीं करते थे।" यह उत्तर एडिसन की सोच और उनकी जिद को दर्शाता है। उनकी मेहनत से हमें आज बिजली का बल्ब मिला, जो पूरी दुनिया को रोशन करता है। एडिसन की अन्य खोजें थॉमस एडिसन ने केवल बल्ब ही नहीं, बल्कि 1,093 अन्य आविष्कार भी किए, जिनमें फोनोग्राफ, मूवी कैमरा, और इलेक्ट्रिक पावर सिस्टम शामिल हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई असफलताएं देखीं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। एडिसन की जिद और उनकी असफलता से सीखने की क्षमता उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा आविष्कारक बनाती है। कहानी का सबक एडिसन की कहानी हमें सिखाती है कि असफलता से डरना नहीं चाहिए। असफलता हमें सिखाती है और हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचने का सही रास्ता दिखाती है। अगर थॉमस एडिसन ने अपनी असफलताओं से हार मान ली होती, तो आज हम अंधेरे में बैठे होते। उनका कहना था, "सफलता का सबसे बड़ा रहस्य है कोशिश करना और हार न मानना।" FAQ: लोग क्या पूछते हैं थॉमस एडिसन के बारे में? थॉमस एडिसन का सबसे बड़ा आविष्कार क्या था? एडिसन का सबसे बड़ा आविष्कार बिजली का बल्ब था, जिसने पूरी दुनिया को रोशनी दी। एडिसन ने कितने आविष्कार किए थे? एडिसन ने अपनी जिंदगी में 1,093 आविष्कार किए, जिनमें फोनोग्राफ और मूवी कैमरा भी शामिल हैं। थॉमस एडिसन ने कितनी बार बल्ब बनाने में असफलता पाई? एडिसन ने बल्ब के फिलामेंट के लिए 10,000 से अधिक प्रयोग किए, जिनमें वे असफल रहे। एडिसन की सफलता का राज क्या था? एडिसन की सफलता का राज उनकी हार न मानने की जिद और असफलता से सीखने की क्षमता थी। एडिसन का सबसे प्रसिद्ध उद्धरण क्या है? "मैंने असफलता नहीं पाई, मैंने बस ऐसे हजार तरीके खोजे हैं जो काम नहीं करते।" थॉमस एडिसन की कहानी प्रेरणादायक है। वह हमें सिखाते हैं कि असफलता का मतलब हार नहीं होती। असफलता हमें सिखाती है, हमें मजबूत बनाती है, और हमें सफल होने का रास्ता दिखाती है। अगर हम एडिसन की तरह जिद्दी और मेहनती बनें, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती। बाल कहानी यहाँ और भी हैं :- Moral Story : आँख की बाती: सच्चे उजाले की कहानीMoral Story : गौतम बुद्ध और नीरव का अनमोल उपहारMoral Story : रोनक और उसका ड्रोनMoral Story : ईमानदारी का हकदार #Hindi Moral Stories #Moral #Hindi Moral Story #hindi moral stories for kids #bachon ki moral story #hindi moral kahani #bachon ki hindi moral story #bachon ki moral kahani You May Also like Read the Next Article