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सत्य का संपर्क
Moral Story सत्य का संपर्क:- उज्जयिनी के तत्कालीन प्रसिद्ध राजा भोज ने स्वप्न में एक दिव्य पुरूष को देखा तो उनके आने का कारण पूछा। उसने बताया "मैं सत्य हूं और तेरा भ्रम दूर करने आया हूं।” राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह तो धार्मिक कामों पर बहुत रूपया खर्च करता है। तब यह कौन-सा भ्रम मिटाने आया है? इसलिए राजा ने दबंगता से कहा, “मै तुमसे डरने वाला नही हूं, धर्म-कर्म में ही मेरा खजाना खाली और शरीर क्षीण हो गया है, अतः तुम मेरा कैसा भ्रम मिटाना चाहते हो?” (Moral Stories | Stories)
सत्य ने कहा “तो हो जाए परीक्षा?" राजा उसी ताक में था ही, अतः फलों से लदे...
सत्य ने कहा “तो हो जाए परीक्षा?" राजा उसी ताक में था ही, अतः फलों से लदे तीन वृक्षों को दिखाते हुए कहा, उस वृक्ष में लगे लाल-लाल फल मेरी दान शीलता से अर्जित हैं दूसरे के पीले-पीले फल मेरी न्याय प्रियता के प्रतीक हैं और तीसरे के सफेद फल हैं मेरी तपस्या के सूचक।" (Moral Stories | Stories)
सत्य ने जैसे ही उन फलों को छूना चाहा कि फल झड़ने लगे और बचे ठूंठ पेड़। जिन्हें दिखाते हुए कहने लगा, राजन तुमने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए दान किया, स्वार्थ सिद्धि के लिए न्यायं का ढोंग रचा और अहंकार वश तप किया था। वस्तुतः तुमने स्वार्थ रहित होकर कुछ भी नहीं किया इसी कारण किसी फल को पेड़ से एकात्मता नहीं हो पाई है। तभी तो सत्य के सम्पर्क में आते ही निर्बल डंडी वाले ये फल गिरते गए, जिस प्रकार आग के संपर्क में आने से मोम से चिपकी कोई वस्तु अलग हो जाती है। सत्य के तर्क के सामने राजा अपने को निरूत्तर पा रहा था। (Moral Stories | Stories)
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