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शरारत का परिणाम
Moral Story शरारत का परिणाम:- विनोद एक बहुत शरारती लड़का था वह माता-पिता का इकलौता बेटा था उन के लाड-प्यार से इतना बिगड़ चुका था कि उसको समझाना बिल्कुल व्यर्थ होकर रह गया था वह स्कूल में जाता तो शरारत करता राहगीरों को परेशान करता। राहगीर शिकायत लेकर उसके पिता के पास जाते वह विनोद को डांटते, पर पिता के डांटने का भी उस पर असर न होता बल्कि फिर भी शरारत करता रहता।
एक दिन वह सड़क पर खेल रहा था कि उसे एक मोटरगाड़ी दिखाई दी। वह थोड़ी देर सड़क से नीचे उतर गया और जब मोटरगाड़ी थोड़ी ही दूर रह गयी तो वह एकदम सड़क के बीच में आ गया और चीखने-चिल्लाने लगा- बचाओ! बचाओ! ड्राईवर ने तत्काल ब्रेक लगाए पर ब्रेक लगने से पहले ही मोटर एक ओर मुड़ कर सामने वाले बड़े पत्थर से टकरा गयी और विनोद कहकहे लगाता हुआ एक ओर भाग गया। स्कूल में भी वह इसी प्रकार की शरारतें करने से नहीं चूकता था। एक बार उसने स्कूल में अपने अध्यापक की कुर्सी की गद्दी के नीचे बड़े-बडे़ कांटे रख दिये। यह शरारत उसने सभी बच्चों की अनुपस्थिति में की थी। जब अध्यापक जी कुर्सी पर बैठे तो वह पीड़ा से तत्काल उठ खडे़ हुए और बच्चों से बारी-बारी पूछा, ‘कि बताओ यह शरारत किसने की है?’ पर किसी को पता होता तो बताता। विनोद से पूछा तो उसने उत्तर दिया, ‘कि सर! मैं तो सबसे अन्त में आया था। मुझे क्या पता।’ बेचारे मास्टर जी चुप हो कर रह गये।
भला किस-किस को सजा देते। क्योंकि सब बच्चे तो एकदम यह शरारत नहीं कर सकते थे...
भला किस-किस को सजा देते। क्योंकि सब बच्चे तो एकदम यह शरारत नहीं कर सकते थे। थोड़ा बहुत अध्यपाक जी समझ चुके थे कि यह हरकत कौन कर सकता है, मतलब यह कि उनका ध्यान विनोद की तरफ ही था, क्योंकि वह जानत थे कि वह सारा दिन खेल कूद शरारत और आवारा गर्दी में बिताता था। उसके माता-पिता उपदेश देते-देते थक चुके थे। पर विनोद पर उनकी बातों का कोई असर नहीं होता था।
एक दिन वह घूमते-घूमते किसी दूसरी गली में निकल गया। उस गली में सोये एक कुते को देखा और पत्थर खींचकर दे मारा।
कुत्ते ने हड़बड़ा कर आँख खोली। विनोद को देखते ही तत्काल उसके पीछे भागा। विनोद ने हर संभव प्रयत्न किया कि वह कुते से अपना पीछा छुड़ा ले, पर इस प्रयत्न में सफल न हो सका, भागते-भागते उसके पाँव थक गये और वह वहीं गिर गया। कुत्ते ने उसे गिरते हुए देखा तो फौरन भाग कर आया और उसके पाँव में काट लिया। पीड़ा से उसकी चीखें निकल गई और उसे कुत्ते से छुड़वा कर कुछ आदमी उसके माता-पिता के पास छोड़ आये। कुते के काटने से विनोद दो महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा और इस तरह उसको उसकी शरारत की सजा मिल गई। वह अब हर समय शरारत से तौबा करता और कहता कि अब हरर्गिज शरारत नहीं करूँगा।
स्वस्थ्य होने के बाद विनोद एक अच्छा और भला लड़का बन गया और नियमित रूप से स्कूल जाने लगा। अध्यापकों का आदर करता और परीक्षा में अच्छे नम्बर लाने लगा। उसके मास्टर उससे बहुत खुश रहने लगे।
शिक्षा: बच्चो! तुम्हें चाहिए कि शरारत न करो क्योंकि शरारत का परिणाम खराब होता है, इसलिए शरारत से दूर ही रहना चाहिए।
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