Moral Story: इनाम का हकदार राजस्थान के दक्षिण में एक छोटा-सा आदिवासी गांव है राजपुर। यहां के लोगों के अपने रीती-रिवाज, परम्पराएं व रहन-सहन के तरीके हैं। स्वतन्त्रता के बाद गांव की तरक्की हुई है। लोग पढ़ने-लिखने भी लगे। यह इसी गांव की कहानी है। By Lotpot 22 Apr 2024 in Stories Moral Stories New Update इनाम का हकदार Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story इनाम का हकदार:- राजस्थान के दक्षिण में एक छोटा-सा आदिवासी गांव है राजपुर। यहां के लोगों के अपने रीती-रिवाज, परम्पराएं व रहन-सहन के तरीके हैं। स्वतन्त्रता के बाद गांव की तरक्की हुई है। लोग पढ़ने-लिखने भी लगे। यह इसी गांव की कहानी है। (Moral Stories | Stories) जब राजपुर में ग्राम पंचायत का गठन हुआ तो सरपंच बने गांव के ही राम प्रसाद। सरपंच इतना अच्छा आदमी था कि हमेशा हर आदमी की सहायता करने को तैयार रहता था। वह गांव वालों के सुख-दुख में हमेशा साथ देता और उन्हें नेक सलाह दिया करता। दीवाली में कुछ ही दिन शेष थे। रामप्रसाद ने गांव मे ढिंढोरा पिटवा दिया कि इस बार दीवाली की रात जिसका घर सबसे अधिक सुंदर सजा होगा, उसे इनाम दिया जायेगा। यह ढिंढोरा सुनते ही गांव वाले अपने-अपने घरों को सजाने में पूरी मेहनत से जुट गए। (Moral Stories | Stories) लड़कियां मांडना बनाने के लिए खडिया मिट्टी व हडमची इकट्टा करने में लग गईं। बच्चे पटाखे और फूलझडियां जमा करने लगे। बुजुर्ग और महिलाओं ने दिए तेल, मिठाइयाँ, मोमबत्तियां, कंदील खरीद लिए। सभी घरों की पुताई-सफाई में लग गये। दीवाली की शाम तक तो राजपुर दुल्हन की तरह सज गया। सभी ने अपने घरों के अंदर व बाहर मांडना बनाकर जगह जगह... दीवाली की शाम तक तो राजपुर दुल्हन की तरह सज गया। सभी ने अपने घरों के अंदर व बाहर मांडना बनाकर जगह जगह दीए और मोमबत्तियां जला कर रख दीं। बाहर के पेड़ों पर कंदील लटका दिए। सारा गांव रोशनी से जगमगा उठा। बच्चों ने पटाखे-फूलझडियां छोड़ना शुरू कर दिया। बच्चे-बड़े सभी नये-नये कपड़ों में सजे प्रसन्न थे। शाम आठ बजे सरपंच रामप्रसाद अपने कुछ साथियों के साथ गांव की दीवाली देखने निकला। (Moral Stories | Stories) सभी घरों को सुंदर ढंग से सजाया गया था। रामप्रसाद यह नहीं समझ पा रहा था कि किस घर की सजावट को वह सबसे सुंदर माने। चलते-चलते रामप्रसाद अपने साथियों के साथ जब गंगाराम के घर के सामने पहुंचा तो चौंक गया। घर के सामने और घर के अंदर सिर्फ एक-एक दीया जल रहा था। सरपंच रामप्रसाद ने जब गंगाराम को आवाज दी तो वह बाहर आया। रामप्रसाद ने पूछा, "भाई गंगाराम, पूरा गांव दीपों की रोशनी से जगमगा रहा है पर तुम्हारे यहां सिर्फ दो ही दीये जल रहे हैं। तुमने अपना पूरा घर क्यों नहीं सजाया"। "सरपंच जी, बात यह है कि कुछ दिन पहले हमारे पड़ोसी नारायण का लड़का मर गया था। हमारे गांव में यह रिवाज है कि जिसके यहां कोई मृत्यु हो गई हो, उसके यहां साल भर कोई त्यौहार नही मनाते"। गंगाराम आगे बोला, "गांव वाले ऐसे आदमी के यहां त्यौहार के दिन जाना भी अशुभ मानते हैं। इसीलिए नारायण और उसके घर वाले दीवाली मनाना नहीं चाह रहे थे"। (Moral Stories | Stories) "पर सरपंच साहब, मैं यह सब अंधविश्वास नहीं मानता। मैंने नारायण को समझाया और दीवाली का सारा सामान अपने पैसों से खरीद कर उसके घर दे आया। इस समय मेरी पत्नी और बच्चे नारायण के घर पर उसका घर सजा रहे हैं"। सरपंच रामप्रसाद, जो आश्चर्य से गंगाराम को देख रहा था, बोला, "पर कुछ दिन पहले तो नारायण और तुम्हारी लड़ाई हुई थी तथा तुम दोनों में बोलचाल भी बंद थी। हां, कुछ दिन पहले हम दोनों में झगड़ा हो गया था। पर दीवाली के दीए की लौ में हम दोनों ने अपनी शत्रुता को जला कर भस्म कर दिया। अब हम दोनों मित्र हैं। गंगाराम बोला। सरपंच को बहुत प्रसन्नता हुई। उसने गंगाराम को गले से लगा लिया और बोला, "मुझे तुम पर बहुत गर्व है। दीवाली तो सभी मनाते हैं पर सच्ची दीवाली इस बार तुमने ही मनाई है। मैं तुम्हें ही इनाम का हकदार घोषित करता हूं"। और फिर पंचायत भवन पर अगले दिन एक समारोह हुआ जिसमें गंगाराम का किस्सा उपस्थित लोगों को सुनाते हुए उसे पंचायत की तरफ से एक निःशुल्क भूखण्ड देने की घोषणा की। गंगाराम की आँखें खुशी से छल छला आईं। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | short moral story | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | Kids Moral Story | Kids Stories | hindi stories for kids | hindi stories | moral story 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