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अपनों की चोट
Moral Story अपनों की चोट:- एक सुनार था, उसकी दुकान के पास ही एक लोहार की दुकान थी एकदम सटी हुई। सुनार जब काम करता तो उसकी दुकान से बहुत धीमी आवाज़ आती, किन्तु जब लोहार काम करता तो उसकी दुकान से कानों को फोड़ देने वाली आवाज़ आती थी। (Moral Stories | Stories)
एक दिन एक सोने का कण सुनार की दुकान से उछलकर लोहार की दुकान में आ गिरा, सोने के कण ने...
एक दिन एक सोने का कण सुनार की दुकान से उछलकर लोहार की दुकान में आ गिरा, सोने के कण ने लोहे के कण से पूछा- भाई हम दोनों का दुख एक समान है, हम दोनों को ही एक समान आग में तपाया जाता है और समान रूप ये हथौड़े की चोट सहनी पड़ती है। मैं ये सब यातना चुपचाप सहता हूँ, पर तुम बहुत चिल्लाते हो, क्यों? (Moral Stories | Stories)
लोहे के कण ने मन भारी करते हुए कहा- तुम्हारा कहना सही है, किन्तु तुम पर चोट करने वाला हथौड़ा तुम्हारा सगा भाई नहीं है वह लोहे का बना होता है सोने का नहीं। लेकिन मुझ पर चोट करने वाला लोहे का हथौड़ा मेरा सगा भाई है। (Moral Stories | Stories)
परायों की अपेक्षा अपनों द्वारा दी गई चोट अधिक पीड़ा पहुँचाती है और अपने के द्वारा दी गई इस चोट से मैं ज्यादा चिल्लाता हूँ सोने के कण को बात समझ में आ गई और वह चुपचाप हो गया। (Moral Stories | Stories)
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