Moral Story: सम्मान के चक्कर में

एक था गधा, उसका नाम झब्बू था। वह सुबह-सुबह गन्दे कपड़ों का ढ़ेर पीठ पर लादकर नदी के घाट पर पहुँच जाता। दिन भर वह नदी किनारे घास चरता था फिर नदी के जल में ही अपना रूप निहारा करता।

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सम्मान के चक्कर में

Moral Story सम्मान के चक्कर में:- एक था गधा, उसका नाम झब्बू था। वह सुबह-सुबह गन्दे कपड़ों का ढ़ेर पीठ पर लादकर नदी के घाट पर पहुँच जाता। दिन भर वह नदी किनारे घास चरता था फिर नदी के जल में ही अपना रूप निहारा करता। सांयकाल को धुले कपड़ों का भार लादे गिरता-पड़ता घर लौट आता। (Moral Stories | Stories)

एक दिन पानी में अपना चेहरा देखकर भगवान को कोसते हुए बोला, ‘हे भगवान तुमने मुझसे कौन से जन्म का बैर निकाला है जो मेरा ऐसा दीन सा चेहरा बना दिया भला इस चेहरे को देखकर कौन डर सकता है? यह अच्छा होता यदि मेरा चेहरा भी शेर, चीते, भालू जैसा होता। फिर देखता घोबी कैसे मुझ पर बोझा लादता, सीधे जीवों की भी कोई जिन्दगी है। कल ही यह धोबी अपने मूर्ख बेटे को गुस्से में गधा कह रहा था, भला इससे बढ़कर क्या अपमान हो सकता है मेरा कई दिनों तक परेशान रहने के बाद झब्बू ने अपने मन में निश्चय किया कि वह भी सबके बीच सम्मान पाकर रहेगा। एक दिन धोबी की नज़र बचाकर वह नदी के दूसरी ओर बने अजायबघर के पास पहुँचा, धूप से परेशान होकर वह अजायबघर के पीछे की ओर बने गोदाम में घुस गया, तभी उसकी नजर एक कोने में पड़ी शेर की पुरानी खाल पर पड़ी उसे देखते ही उसने एक तरकीब सोची। उसने लपककर उस खाल के खोल को पहन लिया। जब वह गोदाम से बाहर निकला तो पूरी तरह शेर ही नज़र आ रहा था। वह दुबारा नदी के किनारे-किनारे चलने लगा। जब वह धोबी के पास आया तो वह उसे देखते ही चीख मारकर बेहोश हो गया। अब तो उसे पूरा विश्वास हो गया की वह एकदम शेर बन गया और उसके असली रूप को कोई नहीं पहचान सकता था। (Moral Stories | Stories)

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इसके बाद वह अपने गधे मित्रों के पास पहुँचा, उसे देखते ही वे भी भागने...

इसके बाद वह अपने गधे मित्रों के पास पहुँचा, उसे देखते ही वे भी भागने लगे पर उसने आवाज देकर सबको वास्तविकता बताई। साथ ही उनके सामने अपनी शान बढ़ाई, ’तुम तो गधे के गधे ही रहें। अपने साथी को भी नहीं पहचान पाये इसीलिये तुम्हारा सम्मान नहीं होता, इस तरह वह अपने साथियों का अपमान करता रहा और अपने को जंगल का राजा समझने लगा। (Moral Stories | Stories)

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कुछ देर बाद झब्बू घने जंगल की ओर चल दिया। उसने सोचा अब मुझे इन गधों की संगति में नहीं रहना चाहिए। शेर को शेर के बीच रहना ही शोभा देता है। काफी दूर जाने पर उसने शेर का एक झुण्ड देखा। वह भी उनके बीच जा मिला। किसी भी शेर ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। देखने में तो वह शेर ही लग रहा था। इसलिए वह उनके साथ घूमता रहा। पर थोड़ी ही देर में जब उसने ढेंचू-ढेंचू की आवाज में बोलना शुरू किया तो शेर का ध्यान उसकी ओर गया। शेर की खाल ओढ़े गधे को वे तुरन्त पहचान गये। इसके साथ ही झब्बू पर टूट पड़े। यह तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि वह किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग जाने में सफल हो गया। भागते-भागते उसकी सांस फूलने लगी थी। (Moral Stories | Stories)

आखिरकार वह अपने मित्रों के बीच पहुँच गया। उसने सोचा शेरों के बीच नकली शेर नहीं रह सकता, हां गधों के बीच नकली शेर बनकर जरूर रहा जा सकता है। तब सारे गधे उसे शेर समझकर उसका सम्मान अवश्य करेगें। साथ ही धोबी भी डर के मारे उस पर बोझा नहीं लाद सकेगा। उधर झब्बू को देखकर उसका सम्मान करना दूर रहा। दूसरे साथी गधों ने घृणा से अपने मुँह ही फेर लिये। वे अभी तक अपने अपमान को नहीं भूले थे सभी ने मिलकर उसे पकड़ लिया और उसका शेर की खाल को खोल चिथड़े-चिथड़े कर दिया और उसे पकड़कर उसके मालिक धोबी के पास ले गये। बेचारे झब्बू गधे को धोबी के डंडे अलग से खाने पड़े। (Moral Stories | Stories)

झूठा सम्मान पाने के चक्कर में पड़कर अपने मित्रों और साथियों का अपमान करने वालों की यही दशा होती है।

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