Moral Story: योग्य विश्वामित्र विश्वामित्र ने ऋषि, महर्षि और उसके बाद राज ऋषि तक की उपाधि पा ली थी, मगर कोई उन्हें महाऋषि का दर्जा नहीं दे रहा था। जब भी कहीं ऐसी कोई चर्चा चलती, उन्हें यही सुनने को मिलता कि महाऋषि तो वशिष्ठ हैं। By Lotpot 23 Dec 2023 in Stories Moral Stories New Update योग्य विश्वामित्र Moral Story योग्य विश्वामित्र:- विश्वामित्र ने ऋषि, महर्षि और उसके बाद राज ऋषि तक की उपाधि पा ली थी, मगर कोई उन्हें महाऋषि का दर्जा नहीं दे रहा था। जब भी कहीं ऐसी कोई चर्चा चलती, उन्हें यही सुनने को मिलता कि महाऋषि तो वशिष्ठ हैं। (Moral Stories | Stories) उन्होंने और कठिन तपस्या शुरू की। कहते हैं उनके तप के प्रभाव से दिग-दिगंत कांप उठे। पर लंबी तपस्या का भी वैसा कोई फल नहीं मिला जैसा विश्वामित्र चाहते थे। आखिर उनका धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने तपस्या छोड़ी और चल पड़े वशिष्ठ के आश्रम की ओर कि आज नहीं छोड़ूंगा उसे। उन्हें लग रहा था कि ज़रूर वशिष्ठ की इसमें कोई चाल है। वरना ऐसा क्या कि उनके अलावा दूसरा कोई महाऋषि न बन सके। यही सब सोचते हुए विश्वामित्र वशिष्ठ के आश्रम तक पहुँच गए। (Moral Stories | Stories) उन्होंने देखा कि चांदनी रात में वशिष्ठ बैठे अपने शिष्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं पास की झाड़ी में... उन्होंने देखा कि चांदनी रात में वशिष्ठ बैठे अपने शिष्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं पास की झाड़ी में छिप कर वह गुरु और शिष्यों के बीच की बातचीत सुनने लगे। एक शिष्य ने वशिष्ठ से पूछा, गुरुवर स्वच्छ आकाश में प्रकाश फैला रहे इस शीतल चांद को देख कर आपके मन में कौन से भाव आ रहे हैं। वशिष्ठ बोले, ‘चांद की चांदनी वैसे ही पूरे संसार को प्रकाशित कर रही है जैसे ऋषि विश्वामित्र का यश।’ (Moral Stories | Stories) विश्वामित्र चकित रह गए। कहां तो मैं इन्हें मारने चला था और कहां ये मेरी प्रशंसा कर रहे हैं। वह सामने आए और सीधे वशिष्ठ के चरणों पर गिर पड़े, ‘क्षमा ऋषिवर, क्षमा’। वशिष्ठ ने उन्हें उठाते हुए कहा, ‘उठो महाऋषि’। इस बार विश्वामित्र समेत समस्त शिष्यमंडली चौंक पड़ी, पर वशिष्ठ मुस्कुराते खड़े थे। उन्होंने कहा, ‘विश्वामित्र हर तरह से योग्य थे, बस उनका अहं और इस पद की लालसा उनके मार्ग की बाधा थी। जैसे ही वह पश्चाताप के आंसुओं के साथ झुके, दोनों बाधाएं तत्क्षण दूर हो गईं और वह पद उन्हें मिल गया जिसके वे अधिकारी थे।’ (Moral Stories | Stories) सीख: तो प्यारे बच्चों इस लघु कथा से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी अहंकार और लालच नहीं करना चाहिए क्यूंकि कई बार यही लालच और अहंकार हमें हमारे लक्ष्य तक नहीं पहुँचने देती है। (Moral Stories | Stories) lotpot-e-comics | hindi-bal-kahania | bal kahani | short-hindi-stories | hindi-moral-stories | kids-moral-stories | moral-stories | hindi-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | chottii-hindii-khaanii | hindii-baal-khaanii | हिंदी कहानी यह भी पढ़ें:- Moral Story: क्षमा याचना Moral Story: सूझबूझ Moral Story: मनीप्लांट की चोरी Moral Story: सम्मान के चक्कर में #लोटपोट #हिंदी कहानी #Lotpot #Bal kahani #Hindi Moral Stories #Kids Moral Stories #Moral Stories #Hindi Bal kahania #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Short Hindi Stories You May Also like Read the Next Article