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पिंकी का नया वर्ष
Moral Story पिंकी का नया वर्ष:- नया वर्ष आने में कुछ घंटे शेष थे। टी.वी. पर विभिन्न कार्यक्रम देख चुकने पर पिंकी पलंग पर जा लेटी पर आज रात उसे नींद नहीं आ रही थी। परिवार के और सदस्य धीरे-धीरे सोने लगे थे। बाहर पटाखों का धूम-धड़ाका अभी-अभी शांत हुआ था। उसका मन बड़ा अशांत सा हो रहा था। वह सोच रही थी, नए वर्ष में ऐसा क्या कुछ किया जाए जिससे घर वालों की वह चहेती बन सके। ऐसी कौन सी कोशिश की जाये जिससे वह पड़ोस एवं सहेलियों के बीच लोकप्रियता हासिलकर सके। (Moral Stories | Stories)
वह बड़ी देर तक सोचती रही। फिर उसे लगा कि उसके भीतर बुराइयों की जड़ें छिपी हुई हैं। वह व्यर्थ ही अपने मुँह मियां मिट्ठू बनती रही है। वह अब तक लोकप्रिय न हो सकी, इसका कारण उसकी बुराइयां हैं वह जीवन में सफलतांए न पा सकी, इसका कारण उसकी कमियां हैं। वह अपने आप से बोली- उसे गहरायी से आत्म निरीक्षण करना होगा। उसे अभ्यास द्वारा अपने भीतर की बुराइयों पर विजय पानी होगी तभी उसके जीवन में कुछ नयापन आ सकेगा।
सुबह देर से उठती है उसकी मम्मी उसे जगाते हुए परेशान हो जाती हैं। वह देर से उठकर जल्दी-जल्दी स्कूल की तैयारी करते हुए...
सुबह देर से उठती है उसकी मम्मी उसे जगाते हुए परेशान हो जाती हैं। वह देर से उठकर जल्दी-जल्दी स्कूल की तैयारी करते हुए स्कूल जा पहुंचती है। देर से पहुंचने पर कक्षा में अध्यापिका उसे अलग डांटती हैं। मम्मी को वह कभी प्रणाम नही करती है। स्कूल से आते ही वह बस्ता घर के किसी भी कोने में फेंक देती है। वह न तो कभी मम्मी के कार्यों में हाथ बंटाती है। न अपनी चीजें संभालकर रखती है। उसकी हर चीज उसकी मम्मी खोज कर देती हैं। (Moral Stories | Stories)
वह अपनी सहेलियों के साथ बातें करते समय बात बात में गालियों का प्रयोग करती है। जिससे उसकी सहेलियां उससे बातें बंद कर देतीं। वह हर खोमचे वाले से चीजें खरीदने दौड़ पड़ती है। वह अब खोमचे की चीजें खरीदना छोड़ कर पैसों की बचत करना चाहेगी। बड़ों का आदर करना अपना फर्ज समझेगी। होमर्वक स्वयं वक्त पर पूरा किया करेगी। होमवर्क में किसी की मदद न लिया करेगी केले खाकर छिलके इधर उधर न फेंककर कचरा पेटी में फेंका करेगी। बड़ों के बीच में बात न करेगी। बहुत सी बातें सोचते हुए पिंकी को कब नींद आ गइ। उसे कुछ पता ही न चला। (Moral Stories | Stories)
सुबह जल्दी उठकर उसने घर के सभी लोगों को “हैप्पी न्यू इयर" कहा। शीघ्र ही नहा धोकर चाय नाश्ते से निवृत होकर वक्त पर स्कूल जा पहुंची थी। जलपान के अवकाश के समय उसने सहेलियों संग बातें करते हुए गालियों का प्रयोग नहीं किया था। खोमचे वाले से उसने कुछ भी नहीं खरीदा था। घर लौटने पर बस्ता तय स्थान पर रखकर हाथ धोकर कपड़े बदलकर भोजन कर वह मम्मी के संग उनके छोटे-छोटे कार्यों में हाथ बंटा रही थी। आज उसने बड़ों के बीच बात नहीं की थी, शाम को कुछ ही देर टी.वी. देख कर वह होमवर्क करने बैठ गई थी। वह किसी सहेली के घर नहीं गई थी। घर के आस-पास पड़े हुए केले के छिलके उसने उठाकर कचरे की टोकरी में फेंके थे। पिंकी का बदला हुआ नया रूप देखकर उसकी सहेलियां अचंभित रह गईं कि नये वर्ष से उसने बातों में गालियों का प्रयोग नहीं किया था। खोमचे वाले से वह कुछ भी न खरीदकर वह पैसे बचाने लगी थी सभी को आश्चर्य सहित खूबहर्ष हो रहा था कि नये वर्ष ने पिंकी को पूरी तरह बदल कर रख दिया था। पिंकी दिन प्रनिदिन लोकप्रिय होती जा रही थी। (Moral Stories | Stories)
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