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कठिन परीक्षा का फल
Moral Story कठिन परीक्षा का फल:- पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर लटक रहा नारियल रोज नीचे नदी मेँ पड़े पत्थर पर हंसता और कहता, "तुम्हारी तकदीर मेँ भी बस एक जगह पड़े रहकर, नदी की धाराओँ के प्रवाह को सहन करना ही लिखा है, देखना एक दिन यूं ही पड़े पड़े घिस जाओगे। मुझे देखो कैसी शान से ऊपर बैठा हूं?" (Moral Stories | Stories)
पत्थर रोज उसकी अहंकार भरी बातों को अनसुना कर देता।
समय बीता एक दिन वही पत्थर घिस-घिस कर गोल हो गया और विष्णु प्रतीक शालिग्राम के रूप मेँ जाकर...
समय बीता एक दिन वही पत्थर घिस-घिस कर गोल हो गया और विष्णु प्रतीक शालिग्राम के रूप मेँ जाकर, एक मन्दिर मेँ प्रतिष्ठित हो गया। एक दिन वही नारियल उन शालिग्राम जी की पूजन सामग्री के रूप मेँ मन्दिर मेँ लाया गया। शालिग्राम ने नारियल को पहचानते हुए कहा "भाई देखो! घिस-घिस कर परिष्कृत होने वाले ही प्रभु के प्रताप से इस स्थिति को पहुँचते हैँ। सबके आदर का पात्र भी बनते हैं, जबकि अहंकार के मतवाले अपने ही दम्भ के डसने से नीचे आ गिरते हैं। तुम जो कल आसमान में थे, आज से मेरे आगे टूट कर, कल से सड़ने भी लगोगे, पर मेरा अस्तित्व अब कायम रहेगा। इसका सीधा सा अर्थ है ज़्यादा परीक्षाएं ली जा रही हैं और आप फिर भी नहीं टूटे तो इसका अर्थ है कि आप उनमें पास होते जा रहे हैं, कामयाबी एक दिन आपके कदमों में होगी। (Moral Stories | Stories)
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