Moral Story: संदीप की सूझ बूझ

संदीप सक्सेना आठवीं कक्षा में पढ़ता था। स्कूल में उसके दोस्तों की संख्या काफी कम थी। उसका सबसे अच्छा दोस्त जितेन्द्र था। एक दिन जितेन्द्र स्कूल नहीं आया। कक्षा में बैठे संदीप का मन भी पढ़ाई में नहीं लग रहा था।

New Update
Boy with a man

संदीप की सूझ बूझ

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Moral Story संदीप की सूझ बूझ:- संदीप सक्सेना आठवीं कक्षा में पढ़ता था। स्कूल में उसके दोस्तों की संख्या काफी कम थी। उसका सबसे अच्छा दोस्त जितेन्द्र था। एक दिन जितेन्द्र स्कूल नहीं आया। कक्षा में बैठे संदीप का मन भी पढ़ाई में नहीं लग रहा था। उसे जितेन्द्र का न आना काफी खल रहा था। तीसरा छण्टा समाप्त होते ही संदीप कक्षा से बाहर निकल कर पानी पीने चल दिया। तभी एक नवयुवक ने उसे रोका और पूछा, क्या आप ही संदीप हैं?'' संदीप ने हां में सिर हिला दिया। (Moral Stories | Stories)

इस पर नवयूवक ने कहा, आपके दोस्त जितेन्द्र का एक्सीडेंट हो गया है। वह मेरठ के ही एक अस्पताल में भर्ती है। वह आपको काफी याद कर रहा है। आप तुरंत मेरे साथ चलिए।

जितेन्द्र का एक्सीडेंट हो जाने की खबर सुनकर संदीप घबरा गया और बिना सोचे समझे ही वह उस अनजान नवयुवक के साथ चल दिया। (Moral Stories | Stories)

नवयुवक संदीप को साथ लेकर अभी थोड़ी ही दूर गया था कि उसके चार साथी और मिल गये। वह लोग एक कार में बैठे हुये थे। वह नवयुवक उनसे बातें करने लगा। यह देखकर संदीप ने पहले वाले नवयुवक से कहा 'मुझे जल्दी ही जितेन्द्र के पास ले चलो इस पर नवयुवक ने हंस कर कहा, "अरे ऐसी भी जल्दी क्या है? अभी लेकर चलते हैं तुझे''।

boy with a man

नवयुवक की बात समाप्त होते ही उसके एक साथी ने एक रूमाल संदीप की नाक के ऊपर रख दिया। रूमाल से निकल रही खुशबू के प्रभाव से संदीप अपने होश खो बैठा। वह लोग उसे कार में डालकर वहां से चल दिये।
जब संदीप को होश आया तो उसने देखा कि पांचों आदमी एक ढाबे पर बैठे चाय पी रहे हैं। उनकी निगाह कार में लेटे हुये संदीप पर ही टिकी हुई थी। उन पांचों ने वहां पर खाना खाया। संदीप को भी उन्होंने वहीं चाय पिलाई व कार में बैठकर चल दिये। (Moral Stories | Stories)

वह रास्तें में बातें कर रहे थे कि हम संदीप के घर वालों से पचास लाख रूपये आसानी से ले सकते हैं। उनकी बातों से संदीप को यह आभास हो गया कि फिरौती के लिये उसका अपहरण कर लिया गया है।

रास्ते में ही उन आदमियों में से एक ने उससे कहा 'अगर तुमने शोर मचाया तो काट कर फेंक देंगे'। इतना कहने के बाद उसने एक...

रास्ते में ही उन आदमियों में से एक ने उससे कहा 'अगर तुमने शोर मचाया तो काट कर फेंक देंगे'। इतना कहने के बाद उसने एक बड़ा सा चाकू भी संदीप को दिखाया। डर के मारे सारे रास्ते संदीप चुप बैठा रहा। वह सोचने लगा कि किसी तरह इनके चंगुल से निकलने की कोशिश करनी चाहिए। अगरे वह यहां से नहीं निकल सका तो उसके पापा को इन्हें पचास लाख रूपये देने पड़ सकते हैं। पता नहीं पापा यह रूपये कहां से जुटायेंगे। जुटा भी पायेंगे या नहीं। (Moral Stories | Stories)

उन लोगों ने एक जगह ले जाकर उसे एक कमरे में बंद कर दिया। उसे भागने से रोकने के लिये एक आदमी हर समय कमरे में मौजूद रहता था। संदीप ने बड़ी चालाकी के साथ बातों ही बातों में यह पता कर लिया कि उसे घुमा फिराकर मेरठ में ही लाकर बंदी किया गया है।

एक दिन संदीप ने अंजान बनते हुये उस आदमी से पूछा, "आपने मुझे यहां क्यों बंद कर रखा है?'' (Moral Stories | Stories)

बिरजू नाम के उस आदमी ने कहा, 'हमें तेरे बाप से पचास लाख रूपये चाहिए। हमने रूपये मंगवाये हैं। जैसे ही रूपये आ जायेंगे, हम तुझे छोड़ देंगे।'

इस पर संदीप ने पूछा, ''आपको इन रूपयों में से कितने रूपये मिलेंगे?''

“मुझे उन रूपयों में से आठ-दस लाख रूपये मिल जायेगें।” बिरजू ने जवाब दिया। संदीप ने सोचा कि अगर इन पांचों में फूट डाल दी जाए तो वह यहां से आसानी से निकल सकता है। 

संदीप थोड़ी देर खामोश रहा। फिर कुछ सोचकर बोला, “अगर आपको इससे ज्यादा रूपये मिल जायें तो? (Moral Stories | Stories)

“वह कैसे?'' उसने पूछा। इस पर संदीप ने कहा, "आप मुझे भाग जाने दो। मैं अपने पापा से कहकर आपको बीस लाख रूपये दिलवा दूंगा इससे आपको भी फायदा होगा और मेरे पापा को भी।"

संदीप की बात सुनकर बिरजू को लालच आ गया। कुछ क्षण सोचने के बाद उसने कहा, 'इस बात पर कैसे यकीन कर लिया जाए कि तुम मुझे बीस लाख रूपये दिलवा दोगे?'

“तुम्हें मेरी बात पर ही यकीन करना पड़ेगा। मैं यहां बैठे-बैठे तुम्हें और किसी तरह यकीन नहीं दिला सकता।'' संदीप ने कहा। (Moral Stories | Stories)

संदीप की बात सुनकर बिरजू ने संदीप की बात मानने से स्पष्ट इंकार क़र दिया। मगर संदीप की बातें अब उसके दिमाग में घूमने लगी। बिरजू की बातों से संदीप समझ गया कि उसे रूपये का लालच आ गया है। इस कारण वह साथियों से गद्दारी कर सकता है। बस उसे इतना विश्वास दिलाना आवश्यक है कि उसे रूपये मिल जायेंगे।

कुछ क्षण, सोचने के बाद संदीप ने कहा 'एक रास्ता है। तुम बाजार जाकर बेहोशी की दवा ले आओ। इस दवा को अपने साथियों व मेरी सब्जी में मिला देना। जब हम सब बेहोश हो जाएँ तब तुम मेरे घर जाकर पैसे ले आना तथा वापस आकर मुझे छोड़ देना और स्वयं बेहोश होने का नाटक करके लेट जाना। इससे तुम्हारे साथी यही समझेंगे की मैं उन्हें बेहोश कर के भाग गया।”

संदीप की बात सुनकर उस आदमी ने कहा, यह बात ठीक रहेगी। जब मैं खाने का सामान लेने जाऊंगा, तब ही बेहोशी की दवा ले आऊंगा। (Moral Stories | Stories)

बिरजू की बात सुनकर संदीप प्रसन्‍न हो गया। उसने सोचा कि मौका ढूंढ कर वह किसी न किसी तरह अपनी सब्जी बिरजू की सब्जी से बदल देगा। जब बिरजू बेहोश हो जायेगा तब वह यहाँ से भाग जायेगा।

रात को खाने में उस आदमी ने अपने साथियों व संदीप को बेहोशी की दवा मिलाई सब्जी खाने को दी। उसने अपने लिये बिना दवा मिली सब्जी रखी। जैसे ही सब खाना शुरू करने वाले थे कि अचानक संदीप ने फूँक मारकर पास रखी मोमबत्ती बुझा दी। मोमबत्ती के बुझते ही कमरे में अंधेरा छा गया एक आदमी मोमबत्ती जलाने के लिये माचिस लेने उठा। संदीप के लिये इतना ही मौका काफी था। उसने धीरे से अपनी सब्जी की प्याली बिरजू की सब्जी की प्याली से बदल दी। बिरजू को सब्जी बदले जाने का पता भी नहीं चला।

खाना खाते ही वह सब आदमी बेहोश हो गए, संदीप अपने बंधन खोलकर उस कोठरी से बाहर आ गया। बाहर आकर उसने एक व्यक्ति से सड़क के लिये रास्ता पूछा। सड़क पर आकर उसने एक टेम्पों वाले को अपने घर तक चलने के लिये तैयार कर लिया। (Moral Stories | Stories)

घर आकर उसने सारी बात अपने पापा को बताई। उसके पापा उसे लेकर, पुलिस के पास पहुँचे। उन्होंने वहां जाकर सारी बात पुलिस इंस्पेक्टर को बताई। पुलिस इंस्पेक्टर संदीप के पापा एवं कुछ सिपाहियों को लेकर संदीप की बताई जगह के लिये चले पड़े।

वहां पहुंचकर सबने देखा कि सभी अपहरणकर्ता बेहोश पड़े थे। पुलिस ने उन सभी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस इंस्पेक्टर ने संदीप की सूझ-बूझ की काफी प्रशंसा की। अपनी सूझबूझ के कारण ही संदीप अपहरणकर्ताओं के जाल से मुक्त हो सका तथा अपहरणकर्ता गिरफ्तार हो सके। (Moral Stories | Stories)

lotpot | lotpot E-Comics | bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | Bal Kahaniyan | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | hindi stories | Hindi Moral Stories | Kids Stories | Moral Stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | हिंदी बाल कवितायें | बाल कवितायें | हिंदी बाल कविता | बाल कविता | बच्चों की कविता

यह भी पढ़ें:-

Moral Story: बुरे काम का बुरा नतीजा

Moral Story: शरारत का परिणाम

Moral Story: अच्छे काम का पुरस्कार

Moral Story: कच्चा-पक्का

#लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Bal Kahaniyan #Hindi Moral Stories #Kids Moral Stories #Moral Stories #Hindi Bal Kahani #Kids Stories #बच्चों की कविता #बाल कविता #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कविता #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #kids hindi stories #short moral stories #Hindi Bal Kahaniyan #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #बाल कवितायें #हिंदी बाल कवितायें