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सतर्क निगाह ने किया कमाल
Motivational Story सतर्क निगाह ने किया कमाल:- देखने में तो कविता लापरवाह और बुद्धू सी लगती थी परन्तु थी बहुत होशियार। चलते-फिरते उठते-बैठते यहां तक कि सोते में भी वह बहुत चैकन्नी रहती थी। छोटी से छोटी बात पर भी उसका ध्यान अनायास ही चला जाता था। (Motivational Stories | Stories)
पिछले दिनों कविता शहर में लगा मेला देखने जा रही थी। उसके साथ दो और लड़कियां भी थीं। वे भी उसी के साथ पढ़ती थीं और उसी मोहल्ले में रहती थीं।
कविता अपनी सहेलियों के साथ मेले के मुख्य द्वार से कुछ ही दूर पर थी कि सामने से एक कार तेजी के साथ आई और उनके पास से निकल गई। यदि कविता सतर्क न होती तो शायद कार की चपेट में ही आ जाती। उसने गुस्से में पीछे मुड़कर देखा और कार वाले को बुरा-भला कहने लगी। (Motivational Stories | Stories)
‘अब चलो भी। वह तुम्हारी बात तो सुनने से रहा अब।’ कविता की एक सहेली ने उससे कहा तो वह पैर पटकती हुई मेले की ओर मुड़ गई।
‘ये कार वाले जाने क्या समझते हैं अपने को, जैसे सड़क पर नहीं मैदान में कार चला रहे हों।’
‘अब छोड़ो भी कविता।’ (Motivational Stories | Stories)
कविता की दूसरी सहेली ने उसे टोकते हुए कहा। कुछ देर बड़बड़ाने के बाद कविता का गुस्सा...
कविता की दूसरी सहेली ने उसे टोकते हुए कहा। कुछ देर बड़बड़ाने के बाद कविता का गुस्सा ठण्डा हुआ। तब तक मेले का मुख्य द्वार भी आ गया था। कविता और उसकी दोनों सहेलियां बड़ी मस्ती से मेले में घूमने लगीं। कहीं बन्दर का खेल देखा तो कहीं कुत्ते के करतब। एक जगह तो उन्होंने तोता और मैना द्वारा गाया गीत भी सुना। गीत सुनकर तो वे आश्चर्य में ही पड़ गईं थीं। उन्होंने सुन तो रखा था कि तोता-मैना मनुष्यों की तरह बोल भी सकते हैं परन्तु इससे पहले बोलते हुए उन्हें स्वयं नहीं सुना था। उनके द्वारा गीत गाया गया तो उनके लिए एक अजूबा ही था। मेले में सहेलियों का खाना-पीना भी चलता रहा। चाट-पकौड़े और समोसे तो कविता को बहुत ही पसन्द आये। घण्टे भर घूमने के बाद कविता को कुछ थकान सी होने लगी थी ‘चलो यहां बैठकर ठण्डा पीते हैं।’ (Motivational Stories | Stories)
कविता के कहते ही दोनों सहेलियां भी उसी के पीछे-पीछे चल दीं। अभी वे सामने वाले शर्बत के स्टाल पर पहुंची ही थीं कि मेले में जगह-जगह लगे लाउडस्पीकर पर एक घोषणा सुनाई देने लगी- ‘एक लड़की जिसकी आयु आठ वर्ष है और जो लाल रंग का सूट पहने है। सवा घण्टा पहले अपने माता-पिता से बिछुड़ गई थी। जिस किसी सज्जन को वह लड़की दिखाई दे यहां पूछ-ताछ कार्यालय पर सूचित करने की कृपा करें। सूचना देने वाले व्यक्ति को उचित इनाम भी दिया जायेगा, यह सूचना सुनते ही कविता के पांव ठिठक कर रुक गये’ क्या सोचने लगी, कविता?’ (Motivational Stories | Stories)
एक सहेली के पूछने पर वह शीघ्रता से पलटती हुई बोली- ‘तुम चलो मेरे साथ’ दोनों सहेलियां भी कविता के साथ-साथ पूछताछ कार्यालय की ओर बढ़ने लगीं।
‘तुम्हें याद है मेले के मुख्य द्वार से कुछ पहले एक कार तेजी से हमारे सामने से निकली थी। मुझे लगता है वे लोग ही इस लड़की को लेकर भागे होंगे। अवश्य ही लड़की किसी अमीर बाप की बेटी है, तभी तो ईनाम की घोषणा भी की गई है।’ (Motivational Stories | Stories)
कविता की बात सुनकर एक सहेली ने पूछा, ‘कार तेज़ी से निकली थी तो इसका मतलब वे ही लड़की को लेकर भागे होंगे, यह तुम कैसे कह सकती हो?’
‘जब मैंने गुस्से में पीछे मुड़कर देखा तो लगा था जैसे पिछली सीट पर कोई बच्ची हाथ मार रही थी। उस समय तो मैंने कुछ ध्यान ही नहीं दिया था लेकिन अब समझ में आ रहा है कि हो न हो वे लोग लड़की को लेकर भागे होंगे। अब वे अवश्य ही उसके माता-पिता से बड़ी रकम की मांग करेंगे।’ (Motivational Stories | Stories)
कविता अपना तर्क दे रही थी, तभी पूछताछ कार्यालय भी आ गया। वहां कुछ पुलिस वालों और दो कर्मचारियों के अतिरिक्त एक सेठ-सा दिखाई देने वाला व्यक्ति भी बैठा था। तभी अन्दर रखे फोन की घण्टी बजने लगी। एक कर्मचारी अन्दर गया और फोन पर बात करके बाहर आ गया।
सेठ जी, आपके घर से फोन आया है। पता चला है कि आपकी बच्ची को बदमाश उठाकर ले गये हैं। उसे छोड़ने के लिए वे पचास हज़ार रुपये की मांग कर रहे हैं।’
‘हां...हां...मैं दे दूंगा। उन्हें कहो मेरी बच्ची को छोड़ दें मैं उन्हें पचास हजार रुपये दे दूंगा।’ (Motivational Stories | Stories)
लगभग कांपते हुए से उस सेठ ने कहा।
तब तक कविता पास खड़े पुलिस इन्स्पेक्टर को सारी बात बता चुकी थी। साथ ही उसने कार का रंग और नम्बर भी बता दिया था। बिना किसी कारण के भी वह कार का या टेलीफोन नंबर आदि एक बार देखने के बाद नहीं भूलती थी। फिर उस कार को तो उसने विशेष रुप से घूर कर देखा था।
‘आप घबराइये नहीं सेठ जी आप अपने घर चलिये। हम अभी कुछ न कुछ प्रबन्ध करते हैं।’ (Motivational Stories | Stories)
इन्स्पेक्टर साहब सेठ जी को घर जाने की सलाह देकर अपनी जीप की ओर बढ़ गये। कविता और उसकी सहेलियों को भी साथ ले लिया।
जीप के पास जाकर इन्स्पेक्टर साहब ने उसमें लगे वायरलेस पर कई लोगों को आदेश दिये। हर एक को उन्होंने कार का रंग और नम्बर भी बता दिया। इसके बाद वे तीनों लड़कियों और दो सिपाहियों को लेकर थाने की ओर चल पड़े। (Motivational Stories | Stories)
थाने पर पहुंचने के कुछ देर बाद ही इन्स्पेक्टर साहब को फोन पर बताया गया कि कार के मालिक को पकड़ लिया गया है। लड़की भी मिल गई है।
कविता और उसकी सहेलियों को यह जानकर बड़ी खुशी हुई। थोड़ी ही देर में कार, उसके मालिक और सेठ जी की लड़की को थाने पर लाया गया। तब तक सेठ जी को भी वहीं बुला लिया गया था।
अपनी लड़की को पाकर सेठ जी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। वे इन्स्पेक्टर को धन्यवाद देने लगे तो उन्होंने कहा-
‘मुझे नहीं, इस बच्ची कविता को धन्यवाद दीजिए। इसी की सर्तक निगाह के कारण आपकी बच्ची मिल पाई है। साथ ही बच्चे चुराने वाले एक बहुत बड़े गिरोह का भाण्डा भी फूट गया है। अब आप इसे ईनाम दीजिए। मैं भी सरकार की ओर से इसे ईनाम दिलाने की सिफारिश करुंगा।’ (Motivational Stories | Stories)
‘शाबाश बेटी। यदि सभी लड़कियां तुम्हारी तरह बहादुर और समझदार हो जायें तो इन बदमाशों को पनपने का मौका ही नहीं मिले। यह लो तुम्हारा ईनाम।’
सेठ जी ने अपनी जेब से बीस हजार रुपये निकालकर कविता की ओर बढ़ाते हुए कहा। (Motivational Stories | Stories)
‘नहीं अंकल, यह राशि आप किसी अनाथ आश्रम को दे दें आपकी बेटी मिल गई, मेरे लिए यही बहुत बड़ा ईनाम है।’
कविता के ये शब्द सुनकर तो सेठ जी आत्मविभोर हो उठे। उन्होंने आगे बढ़कर उसे अपने सीने से लगा लिया। (Motivational Stories | Stories)
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