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जुड़वा भाई
Motivational Story जुड़वा भाई:- एक बार की बात है, दो जुड़वा पोलर बेयर थे। माँ की देख -रेख में दोनों के दिन अच्छे गुजर रहे थे कि एक दिन माँ ने ऐलान कर दिया, ‘‘कल से तुम्हे खुद अपना ख्याल रखना होगा, न मैं तुम लोगों को खाने के लिए कुछ दूंगी और ना ही अब और शिकार करना सिखाऊंगी।’’ (Motivational Stories | Stories)
और अगले दिन माँ बिना बताये दोनों को छोड़ कर चली गयी।
अब दोनों भाई अपने दम पर थे। (Motivational Stories | Stories)
कुछ देर बाद उन्हें भूख लगी, और वह दोनो सील का शिकार करने निकल पडे़।
दोनों समुद्र के किनारे पर पहुँच गए।
दोनों चुपचाप बैठ गए की अभी कोई सील तैरते हुए उधर आएगी और वह उसे पकड़ कर खा लेंगे। पर काफी देर बीत जाने पर भी कोई सील वहां नहीं आई। (Motivational Stories | Stories)
तब पहला भाई पानी छूते हुए बोला, ” ओ हो कितना ठंडा पानी है। लगता है हमें इसमें उतारना ही पड़ेगा नहीं तो हम भूखे ही रह जायेंगे।’’
पर दूसरा भाई उसकी बात काटते हुए बोलो, ‘‘पागल हो गए हो। इतने ठंडे पानी में कूद कर अपनी जान दोगे क्या। अरे थोड़ा इंतजार करो कोई न कोई सील आ ही जाएगी।’’
पर पहला भाई नहीं माना, उसने हिम्मत जुटाई और पानी में कूद पड़ा.. (Motivational Stories | Stories)
कुछ देर बाद वो वापस आया, पर उसके हाथ में कोई सील नहीं थी...
कुछ देर बाद वो वापस आया, पर उसके हाथ में कोई सील नहीं थी। और ऊपर से वो एकदम गीला हो चुका था , ठंड से काँप रहा था।
दूसरा भाई उस पर हंसा, ‘‘मैंने पहले ही मना किया था। अब भुगतो।’’ (Motivational Stories | Stories)
लेकिन पहले भाई ने तो मानो सील पकड़ने की ठान रखी हो, वो फिर से पानी में कूदा, इस बार उसने पिछली बार से भी अधिक प्रयास किया पर अफसोस, इस बार भी उसे सफलता नहीं मिली।
‘‘क्यों एक ही गलती बार-बार कर रहे हो?’’, दूसरे भाई ने समझाया। (Motivational Stories | Stories)
लेकिन वो कहाँ सुनने वाला था, कुछ देर बाद उसने फिर से छलांग लगा दी।
और इस बार जब वो लौटा तो उसके हाथ में एक बड़ी सी सील थी!
दूसरा भाई देखता रह गया, और अंत में उसे खाली पेट ही लौटना पड़ा। उसने मन ही मन भगवान को कोसा, ‘‘मेरा भाई कितना लक्की है, और मैं कितना अनलक्की। सचमुच लाइफ कितनी अनफेयर है।’’ (Motivational Stories | Stories)
और बाकी की जिन्दगी भी पहला भाई ऐसे ही जीतता गया और दूसरा भाई अपने भाग्य को कोसता रहा।
दोस्तों दोनों भाई बिल्कुल एक जैसे थे, बस अंतर था तो उनकी सोच में। एक भाई जहाँ रिस्क लेकर खुद अपनी किस्मत लिखने को तैयार था, वहीँ दूसरा भाई सिर्फ भाग्य-भरोसे अपनी जिन्दगी बिताना चाहता था। और इस कहानी की तरह ही हमारी असल जिन्दगी में भी जिन्दगी उसी को सबकुछ देती है जो अपने डर को जीतना जानता है, जो जानता है कि हाँ कुछ करने में खतरा तो है, पर कुछ ना करना और भी खतरनाक है। जो जानता है कि अगर पहला एटेम्प्ट सक्सेसफुल न हो तो दूसरा एटेम्प्ट करना चाहिए, और दूसरा ना हो तो तीसरा, जो जानता है कि जिन्दगी तो हमें सबकुछ देने को तैयार है.., बस जरुरत है खुद पर भरोसा करने की और अपने डर को पीछे छोड़ अपने दिल की आवाज सुनने की। नहीं तो हम जीने को तो जी लेंगे पर अंदर ही अंदर घुटते रहेंगे कि यह जीना भी कोई जीना है !!! (Motivational Stories | Stories)
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