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मन की पूजा
Motivational Story मन की पूजा:- एक शिव मन्दिर था अनेक शिव भक्त उस मन्दिर में प्रातः काल आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करते। नवल और रूचिर दो सगे भाई थे। नवल को खाने पीने का काफी शौक था वह खाता भी ज्यादा था सब उसे पेटू कहा करते। भूखा उससे अधिक देर तक नहीं रहा जाता। रूचिर के साथ ऐसी बात नहीं थी। वह शिव का अनन्य उपासक था। नियमित रूप से प्रतिदिन सुबह शिव मन्दिर जाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करता। उस पर ढेरों बेलपत्र चढाता। वह अपने को शिव का श्रेष्ठ भक्त समझता था। (Motivational Stories | Stories)
कई वर्षों से रूचिर शिव की उपासना करता आ रहा था। एक बार उसने स्वप्न में देखा, शिव मन्दिर का पुजारी टोकरी में भर भर कर मन्दिर से बेलपत्र को बाहर निकाल कर एक जगह फेंक रहा था। रूचिर ने सोचा, भगवान शिव को ज्यादा बेलपत्र तो वह ही चढाता है बेचारे पुजारी की परेशानी इससे काफी बढ़ जाती है। उसने पुजारी से कहा, पुजारी जी, लगता है, अभी आप मंदिर की सफाई कर रहे हैं।
हां रूचिर। देखता हूं, बेलपत्र बाहर फेंकते आप काफी थक गए है। (Motivational Stories | Stories)
शिव भक्त की कृपा है, पुजारी ने कहा।
‘आपकी परेशानी की मुख्य वजह मैं ही हूं, रूचिर बोला।
‘वह कैसे?’ पुजारी उत्सुक हो उठा। (Motivational Stories | Stories)
‘ज्यादा बेलपत्र तो मंदिर में मैं ही चढ़ाता हूं न इसलिए, ‘ऐसी बात नहीं है, ‘पुजारी ने कहा, ‘आपकी वजह से मेरी कुछ भी परेशानी नहीं बढ़ी है ‘तो फिर?’ रूचिर ने जानना चाहा।
यह तो आपके बड़े भाई नवल की करामात है, जिससे मेरी परेशानी बढ़ गई है...
‘यह तो आपके बड़े भाई नवल की करामात है, जिससे मेरी परेशानी बढ़ गई है’, पुजारी ने बात साफ की। रूचिर चौंका, ‘मगर मेरे बड़े भाई तो कभी मंदिर आकर पूजा नहीं करते। कभी किसी ने उसे कहीं भी शिव की पूजा करते नहीं देखा। कैसी बात कर रहे हैं आप?’ (Motivational Stories | Stories)
‘मैं सही कहता हूं। नवल भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त है। वैसा भक्त आज तक मुझे दिखाई नहीं दिया। ये सारे बेलपत्र उसी के चढाए हुए है।’
‘मगर कब उसने चढाए?
रूचिर को पुजारी की बात पहेली जैसी लगी। (Motivational Stories | Stories)
पुजारी ने बात और साफ की, नवल मंदिर में आकर कभी पूजा नहीं करता, यह बात सच है वह जहां कहीं भी रहता है, चुपचाप मन से भगवान शिव की पूजा करता है उसके मानस पूजा के द्वारा चढाए हुए ये हजारों बेलपत्र हैं, जिनकी सफाई करते करते मैं बराबर परेशान रहता हूं।’
रूचिर यह सुनकर दंग रह गया। अपने को शिव का सबसे बड़ा भक्त समझने का उसका अहंकार टूट गया इसी बीच उसकी आंखे भी खुल गई। सपने की बातें उसे सच जान पड़ी। अपने जिस भाई को वह आज तक सिर्फ पेटू समझता आ रहा था, आज पहली बार उसके प्रति उसकी धारणा बदल गई। उसके लिए श्रद्धा के सच्चे भाव उसके मन में जाग उठे। (Motivational Stories | Stories)
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