शिक्षाप्रद कहानी : जैसे को तैसा मिला शिक्षाप्रद कहानी (Moral Story) : जैसे को तैसा मिला: एक दिन एक अमीर व्यवसाई को रास्ते में एक भिखारी भीख मांगता हुआ दिखाई दिया। भिखारी की हालत देखकर व्यवसाई को उस पर दया आ गई। उसने भिखारी से पूछा कि उसकी ऐसी दशा क्यों हुई? भिखारी ने बताया कि उसकी नौकरी छूट गई और कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल रही है जिसके कारण भीख मांगना पड़ रहा है। By Lotpot 01 Jun 2021 | Updated On 01 Jun 2021 14:56 IST in Stories Moral Stories New Update शिक्षाप्रद कहानी (Moral Story) : जैसे को तैसा मिला: एक दिन एक अमीर व्यवसाई को रास्ते में एक भिखारी भीख मांगता हुआ दिखाई दिया। भिखारी की हालत देखकर व्यवसाई को उस पर दया आ गई। उसने भिखारी से पूछा कि उसकी ऐसी दशा क्यों हुई? भिखारी ने बताया कि उसकी नौकरी छूट गई और कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल रही है जिसके कारण भीख मांगना पड़ रहा है। व्यवसाई ने कुछ सोचते हुए पूछा, "क्या तुम मेरा बिजनेस पार्टनर बनना चाहोगी?" भिखारी खुश होते हैं बोला, " मालिक, आप बताइए क्या काम करना है?" व्यवसायी ने कहा, "मेरे खेतों में गेहूं की फसल होती है, तुम उसे शहर के बाजार में जाकर बेच आना। मैं तुम्हें बाजार जाने, वहां दुकान खोलने और रहने खाने का सब खर्चा दूंगा। गेहूं बेचकर तुम जो धन कमाओगे उसे हम दोनों बांट लेंगे।" ये सुनकर भिखारी बहुत खुश हो गया और उसने व्यवसाई से पूछा , "मालिक आपका बहुत-बहुत धन्यवाद लेकिन बंटवारे का हिसाब क्या होगा, आपका नब्बे प्रतिशत और मेरा दस प्रतिशत?" यह सुनकर व्यवसायी ने हंसकर कहा, " नहीं तुम्हारा नब्बे प्रतिशत और मेरा दस प्रतिशत। मैं तो अमीर हूं ही लेकिन तुम्हारा जीवन सुधर जाए और तुम्हे ईमानदारी और कृतज्ञता का ज्ञान मिले इसलिए तुम्हे नब्बे प्रतिशत दे रहा हूँ।" भिखारी ने खुशी खुशी अगले दिन से काम शुरू कर दिया। गेहूं की फसल अच्छी थी, तो महीने भर में उसे अच्छी कमाई मिल गई लेकिन उसके दिमाग में लालच आ गया। उसने सोचा, "मेहनत तो मैंने की है, तो व्यवसायी को दस प्रतिशत रुपए भी क्यों दूं ? काम तो मैंने किया है तो सब माल भी मेरा ही होगा।" महीने के अंत में व्यवसायी ने आकर भिखारी से अपना हिस्सा मांगा तो भिखारी ने नाक चढाते हुए कहा, " काम सारा मैंने किया है तो तुम्हे दस प्रतिशत किस बात की दूं ?" ये सुनकर व्यवसायी ने मुस्कुराकर कहा, "ठीक है, तो मैंने जो मकान तुम्हें रहने के लिए दिया उसका खर्चा मुझे दे दो। बाजार में बैठने के लिए जो दुकान दिया उसका किराया दे दो, गाँव से शहर के बाजार तक जाने के लिए जो ट्रक भेजता रहा और साल भर मैंने तुम्हें जो खिलाया, पहनाया उसका हिसाब दे दो और पूरा कमाई तुम रख लो।" भिखारी ने तुरंत हिसाब किया और ये देखकर दंग रह गया कि उसे जितना लाभ हुआ था उतना ही उसे व्यवसायी को लौटाना पड़ेगा। उसने तुरंत व्यवसायी से माफी मांगी लेकिन व्यवसायी ने उसे निकाल दिया। भिखारी फिर से भिखारी बन गया। बच्चों इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी होता है। भगवान ने हमें जीवन दिया, हुनर दी, आंख, कान, नाक, बुद्धि, सब कुछ दिया लेकिन हम इंसान इस गलतफहमी में रहते हैं कि हमने सब कुछ अपने बलबूते पर हासिल किया। हमें कभी एहसान फरामोश नहीं होना चाहिए। -सुलेना मजुमदार अरोरा और पढ़ें : Moral Story : तोते की सीख Moral Story: शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल Moral Story : किस्मत का चक्कर Like us : Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article