प्रेरणादायक कहानी : खुद पर यकीन

एक बार मगध सम्राट कुमारगुप्त को खबर मिली कि हूणों की सेना हिमालय पार करके हमला करने आ रही है। अपने सेनापतियों के साथ वह हमले का उत्तर देने की योजना बना रहे थे कि वहां राजकुमार स्कंदगुप्त आए और बोले।

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Skandagupta Motivational Story : एक बार मगध सम्राट कुमारगुप्त को खबर मिली कि हूणों की सेना हिमालय पार करके हमला करने आ रही है। अपने सेनापतियों के साथ वह हमले का उत्तर देने की योजना बना रहे थे कि वहां राजकुमार स्कंदगुप्त आए और बोले।

मैं युद्ध करने जाऊँगा। उनकी छोटी उम्र देखते हुए कुमारगुप्त ने उन्हें काफी समझाया, हूणों से डराया भी, लेकिन स्कंदगुप्त ने कहा कि राज्य और धर्म की रक्षा के लिए मर जाना गर्व की बात है। कुमारगुप्त बोले कि हूणों पर हमला करने के लिए हिमालय पर चढ़ना होगा,  जो आसान नहीं है। इस पर स्कंदगुप्त ने कहा कि बैठे-बैठे तो इस संसार में कुछ भी आसान नहीं।

वह हूणों को हराकर ही रहेंगे और यही उनका अंतिम निर्णय है। पुत्र हठ के आगे कुमारगुप्त ने हार मान ली और स्कंदगुप्त को युद्ध में जाने की आज्ञा दे दी। मगध के दो लाख वीरों के साथ युवराज स्कंदगुप्त राज्य की सीमा की ओर चल पड़े। हूणों की सेना पहाड़ के दूसरी तरफ थी तो स्कंदगुप्त ने इधर से कठिन चढ़ाई शुरू की। लेकिन बर्फ थी कि आगे बढ़ने ही न देती।

अपने दृढ़ निश्चय के बल से आखिरकार वह पहाड़ की उस चोटी पर जा पहुंचे, जिसके दूसरी तरफ हूणों की सेना थी।

हूणों ने कभी यह नहीं सोचा था। कि दुर्गम पहाड़ों को पार करके भी कोई उन पर आक्रमण कर सकता है। जब उन्होंने देखा कि पहाड़ों की चोटी पर से भारी सेना उन पर आक्रमण करने उतर रही है तो वह भी युद्ध के लिए तैयार हुए। युद्ध शुरू हुआ तो थोड़ी देर बाद ही हूणों की हिम्मत टूटने लगी। वे लोग इधर से उधर भागने लगे। थोड़ी ही देर में सबसे बर्बर मानी जाने वाली हूणसेना मैदान छोड़कर भाग खड़ी हुई।

स्कंदगुप्त जब लौटकर आए तो कुमारगुप्त बोले, आज तुमने साबित कर दिया कि खुद पर यकीन हो तो पहाड़ भी छोटे पड़ जाते है।

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