बाल कहानी :- कर भला तो हो भला: दया और सद्भावना की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य था जहां राजा रामभद्र राज करते थे। उनकी दयालुता और न्यायप्रियता के कारण प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी। उनका नाम पूरे राज्य में सद्भावना और उदारता का प्रतीक बन गया था।

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बाल कहानी :-  कर भला तो हो भला:  बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य था जहां राजा रामभद्र राज करते थे। उनकी दयालुता और न्यायप्रियता के कारण प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी। उनका नाम पूरे राज्य में सद्भावना और उदारता का प्रतीक बन गया था। उनके पास हर वर्ग और धर्म के लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते थे, और वे हमेशा निष्पक्षता से सबकी मदद करते थे।

राजा भीम सिंह की ईर्ष्या

दूसरी ओर, पड़ोसी राज्य का राजा भीम सिंह, राजा रामभद्र की लोकप्रियता से बेहद ईर्ष्या करता था। वह हर संभव प्रयास करता कि रामभद्र की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सके। उसने सोचा, “अगर मैं रामभद्र की उदारता को चुनौती दूं और उनके राज्य में अस्थिरता फैलाऊं, तो मैं उनके नाम को बदनाम कर सकता हूं।”

षड्यंत्र की योजना

एक दिन, भीम सिंह ने अपने मंत्रियों को बुलाया और कहा, “हमें राजा रामभद्र की उदारता की परीक्षा लेनी होगी। कोई ऐसा व्यक्ति भेजो जो उनकी दयालुता को चुनौती दे सके।” मंत्री ने एक चालाक व्यक्ति को चुना, जो राजा रामभद्र के पास मदद मांगने गया।

वह व्यक्ति राजा के सामने पहुंचा और कहा, “महाराज, मेरा परिवार भूखा है। मुझे खाने के लिए कुछ चाहिए।” राजा रामभद्र ने उसे तुरंत अनाज और सोने के सिक्के दिए। वह व्यक्ति वापस जाकर भीम सिंह को सारी बात बताई। भीम सिंह ने सोचा, “इससे तो रामभद्र की प्रतिष्ठा और बढ़ गई। मुझे कुछ और सोचना होगा।”

जंगल की घटना

एक दिन राजा रामभद्र अपने मंत्रियों के साथ जंगल में गए। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक राहगीर घायल अवस्था में पड़ा है। राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को उसे सहायता देने का आदेश दिया। राहगीर ने कहा, “महाराज, मैं आपके राज्य से नहीं हूं, फिर भी आपने मेरी इतनी मदद की। मैं आपका आभारी हूं।”

यह सुनकर मंत्री ने राजा से कहा, “महाराज, आपकी यही दया और उदारता आपको महान बनाती है।”

भीम सिंह का बदलाव

इस घटना के बाद, भीम सिंह को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सोचा, “मैंने अपनी ईर्ष्या के कारण केवल बुराई की है, लेकिन रामभद्र ने मुझे हमेशा दया और सम्मान दिखाया। अब मुझे अपनी गलतियों को सुधारना होगा।”

भीम सिंह ने राजा रामभद्र से मिलने का निर्णय लिया। वह उनके दरबार में गया और कहा, “महाराज, मैं आपके प्रति अन्यायपूर्ण था। कृपया मुझे माफ कर दें। आपकी दया और उदारता ने मुझे बदलने के लिए प्रेरित किया है।”

सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि दया और सद्भावना से सबसे बड़े दुश्मन को भी जीता जा सकता है। अच्छे कर्म हमेशा हमारे जीवन में खुशियां और शांति लाते हैं।

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