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कहानी:
गोपू और धनिक के बीच कोई मित्रता नहीं थी और न ही उनके जीवन में कोई समानता। गोपू एक गरीब मजदूर था, जो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करता। दूसरी ओर, धनिक एक अमीर व्यापारी था, जिसकी दुकान पर अच्छी-खासी बिक्री होती थी। हर दिन गोपू अपने परिवार के लिए धनिक की दुकान से थोड़ा-बहुत सामान खरीदता था, जिससे मुश्किल से उसका घर चल पाता।
लेकिन गोपू की एक खासियत थी, जो धनिक को आकर्षित करती थी। गोपू हमेशा खुश और संतोषी दिखता, जबकि धनिक, जिसकी जिंदगी हर आराम से भरी थी, कभी भी वैसा संतोष महसूस नहीं कर पाता।
एक दिन धनिक ने अपनी पत्नी शांति से पूछा, "शांति, ये गोपू इतना खुश कैसे रहता है? क्या उसके पास हमसे बेहतर जिंदगी है?"
शांति बोली, "ये तो मुमकिन नहीं है। तुम जानते हो कि वह तुम्हारी दुकान से थोड़ा-बहुत ही सामान खरीदता है। फिर भी, अगर तुम्हें शक है, तो उससे पूछ लो।"
शाम को, जब गोपू दुकान पर आया, तो धनिक ने मौका पाकर पूछ ही लिया, "गोपू, तुम इतने कठिन जीवन के बावजूद हमेशा खुश कैसे रहते हो? क्या तुम्हारे पास कोई गड़ा हुआ खजाना है?"
गोपू हंसा और बोला, "हम गरीबों के पास खजाना कहाँ? लेकिन मेरे पास एक ऐसा धन है, जो अद्भुत, अमूल्य और जीवन रक्षक है।"
धनिक उत्सुकता से बोला, "वह कौन सा धन है?"
गोपू ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "वह धन है—आशा। आशा के सहारे ही हमारा परिवार आधा पेट खाकर भी जीता है। मैं मेहनत करता हूँ क्योंकि मुझे भरोसा है कि एक दिन यह मेहनत रंग लाएगी।"
धनिक ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "गोपू, तुम्हारा यह खजाना सच में अद्भुत है। आशा ही तुम्हारी सच्ची ताकत है।"
कहानी की सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में संतोष और खुशी के लिए सबसे जरूरी चीज आशा है। मुश्किल समय में भी अगर हम आशा का साथ नहीं छोड़ते, तो जीवन की हर चुनौती को पार कर सकते हैं। मेहनत और विश्वास ही हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाते हैं।
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