बाल कहानी : हाथों का मूल्य
बाल कहानी : हाथों का मूल्य - यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है जब स्कूल की छुट्टी के बाद रमेश अपने घर लौट रहा था। हैडमास्टर होने के कारण, वह स्कूल से सबसे आखिरी में निकलता था।
बाल कहानी : हाथों का मूल्य - यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है जब स्कूल की छुट्टी के बाद रमेश अपने घर लौट रहा था। हैडमास्टर होने के कारण, वह स्कूल से सबसे आखिरी में निकलता था।
यह कहानी सुधीर और राजेश के माध्यम से हमें बताती है कि जीवन में फिजूलखर्ची और कंजूसी के बीच सही संतुलन कैसे बनाए रखा जाए। बूढ़े बाबा का दृष्टांत हमें यह समझने में मदद करता है
झील के किनारे पर्वत की तलहटी में एक गांव था। गांव के निवासी खेती करते थे, कुछ भेड़ें पालते थे, और कुछ कपड़े, जूते, मिट्टी के बर्तन, खुर्पा आदि बनाते थे। सभी में परस्पर बहुत प्रेम था, और कोई भी खुशी या
आश्रम के एक गुरु अपने कुछ शिष्यों को लेकर नदी किनारे पहुंचे। नदी में पानी सूखा हुआ था, जिससे चट्टानें दिखाई दे रही थीं। शिष्यों ने पहली बार इतनी बड़ी चट्टानें देखी थीं
एक घर में एक नौकर, जिसका नाम पप्पू है लेकिन मालिक उसे 'काना' कहकर बुलाता है। पप्पू दिन भर घर का काम करता है और मोहल्ले की खबरें भी बताता है। पप्पू की सेवा के कारण मालिक जल्दी ठीक हो जाता है और मालिक ने तब से पप्पू को उसका असली नाम 'पप्पू' से ही पुकारा।
जापान के प्रसिद्ध सेनापति नानुनागा ने अपनी बुद्धिमत्ता और रण-कौशल से एक विशाल शत्रु सेना को हराया। युद्ध में जीत के बाद, नानुनागा ने बताया कि सिक्के पर दोनों ओर एक ही चिन्ह था, यह दर्शाते हुए कि विजय उनके साहस और शक्ति का परिणाम थी, न कि किसी आशीर्वाद का।
राजा नरेश चंद्र अपने दानी स्वभाव और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। एक भयंकर सूखा पड़ने पर, उन्होंने अपनी प्रजा की मदद के लिए हर संभव प्रयास किया। इंद्र ने राजा की दानवीरता देखकर उसे आशीर्वाद दिया। प्रजा लौट आई और राज्य में खुशहाली वापस आई।
आभानगरी इलाके में फैले विशाल जंगल में शिकारियों के आगमन से पक्षियों की संख्या घटने लगी, जिससे पूरे राज्य में अकाल और संकट छा गया। गाँव के गडरिये भीमसेन ने पक्षियों की भाषा समझकर राजा को सही कारण बताया। राजा ने भीमसेन को महामंत्री नियुक्त किया।