Motivational Story: तरकीब
दीपू के कई मित्र थे। वह विद्यालय का सबसे प्रसिद्ध लड़का था। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी सदैव आगे रहता था। वह कक्षा के सभी विधार्थियों से बड़े प्रेम से बात करता। उसकी बोली में रस घुलता था।
दीपू के कई मित्र थे। वह विद्यालय का सबसे प्रसिद्ध लड़का था। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी सदैव आगे रहता था। वह कक्षा के सभी विधार्थियों से बड़े प्रेम से बात करता। उसकी बोली में रस घुलता था।
‘‘तुम कब बड़े होगे"? दिन में कई बार राजा को अपनी मां से ये वाक्य सुनना पड़ता था। राजा तेरह साल का था। उसे एक बड़ी अजीब परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा था।
यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है स्कूल खत्म करके रमेश घर वापिस जा रहा था। हैडमास्टर होने के कारण वह सबसे आखिर में स्कूल से निकलता था। अचानक उसके स्कूटर का हैंडल हिलने लगा।
दिवाली आने वाली थी विजयनगर राज्य में दीवाली को मनाने की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही थी। हर तरफ मिठाइयों की दुकानें सज गई थीं। ऐसे में एक समस्या आन खड़ी हुई।
करोड़ीमल लखनऊ के माने हुए सेठ थे। उदार व दानी होने के कारण सभी उनकी प्रशंसा करते थे। सेठ जी के यहाँ रामू नाम का एक नौकर और एक मुनीम काम करते थे।
राहुल एक बेहद नेकदिल न्यूज़ पेपर डिलीवरी बॉय था। हर सुबह ठीक सात बजे, वह घर घर जाकर सबके मेल बॉक्स में समाचार पत्र डालता और फिर अपने घर लौटकर कॉलेज जाने की तैयारी करता था।
शिमला के पास पालमपुर नाम का एक छोटा गांव था। उस गांव के लोग साधारण काम करने वाले लोग थे जो अपनी रोज़मर्रा के खर्चे को बहुत मुश्किल से कमाते थे।उस गांव के पास एक छोटा गांव था, जहां पर थोड़े समय में एक छोटा बाज़ार बन गया था।