Motivational Story : एकता में है बल
एक बार कबूतरों का एक झुंड भोजन की तलाश में उड़ान भरता है। कई दिनों की खोज के बाद उन्होंने एक बरगद के पेड़ के नीचे चावल के दाने बिखरे देखे। बिना समय गंवाए, सभी कबूतर खाने में जुट गए।
एक बार कबूतरों का एक झुंड भोजन की तलाश में उड़ान भरता है। कई दिनों की खोज के बाद उन्होंने एक बरगद के पेड़ के नीचे चावल के दाने बिखरे देखे। बिना समय गंवाए, सभी कबूतर खाने में जुट गए।
एक बार की बात है, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एक सभा में भाषण दे रहे थे। यह सभा ज्ञान और प्रेरणा का केंद्र बन चुकी थी। सभा में सैकड़ों लोग उनकी बातों को सुनने के लिए बड़े ध्यान से बैठे हुए थे।
गाँव के एक छोटे से कोने में रहने वाला किशोर अर्जुन, हमेशा से बड़े सपने देखने वाला था। वह एक गरीब किसान का बेटा था, जिसके पास सीमित संसाधन थे। खेतों में काम करना और अपने पिता के साथ दिन-रात मेहनत करना उसकी दिनचर्या थी।
नर्मदा नदी के किनारे एक गांव था - कमलपुर। वहां एक बुढ़िया रहती थी, जिसका एक ही बेटा था - विक्रम। वह बेहद बलशाली था। हर कोई उसकी ताकत से डरता था,
किसी गांव में डिसिल्वा, फ्रांसिस, लोबो और जॉन नाम के चार दोस्त रहा करते थे। ये चारों एक ही कक्षा में पढ़ते थे और साथ-साथ गांव के पास के स्कूल में जाते थे।
धनपुर नामक एक छोटे से गांव में लोग दयालु थे, भले ही उनके पास बहुत कुछ नहीं था। वहां अरुण नाम का एक लड़का रहता था, जिसके पिता किसान थे। अरुण वाकई पायलट बनना चाहता था
गोपू और धनिक के बीच कोई मित्रता नहीं थी और न ही उनके जीवन में कोई समानता। गोपू एक गरीब मजदूर था, जो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करता। दूसरी ओर, धनिक एक अमीर व्यापारी था