अच्छी कहानी : बाबू और बिक्रम
मिथिला नाम का एक देश था। उस देश में एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था। उसी जंगल में एक शेर था जो उन लोगों को खा जाता था जो उस जंगल में प्रवेश करते थे।
मिथिला नाम का एक देश था। उस देश में एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था। उसी जंगल में एक शेर था जो उन लोगों को खा जाता था जो उस जंगल में प्रवेश करते थे।
शहर के बीचों-बीच स्थित एक छोटे से मोहल्ले में निखिल नाम का एक लड़का रहता था। उसकी आँखों में बड़े सपने थे—आसमान में ऊँचाई तक उड़ने के। लेकिन मोहल्ले के बच्चे अक्सर उसका मजाक उड़ाते।
किसी राज्य का राजा अचानक गुजर गया। पूरे दरबार में खलबली मच गई कि अब नया राजा कौन होगा? राज्य के मंत्री और दरबारी गहन विचार में पड़ गए। तभी महल के बाहर से एक फ़कीर गुजर रहा था।
क बार हाथ की पाँचों उंगलियों में आपस में झगड़ा हो गया। सभी खुद को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण सिद्ध करने में लगी थीं। अंगूठा बोला, "मैं सबसे बड़ा हूँ क्योंकि लोग हस्ताक्षर करने के लिए मुझे इस्तेमाल करते हैं।"
एक बार कबूतरों का एक झुंड भोजन की तलाश में उड़ान भरता है। कई दिनों की खोज के बाद उन्होंने एक बरगद के पेड़ के नीचे चावल के दाने बिखरे देखे। बिना समय गंवाए, सभी कबूतर खाने में जुट गए।
एक बार की बात है, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एक सभा में भाषण दे रहे थे। यह सभा ज्ञान और प्रेरणा का केंद्र बन चुकी थी। सभा में सैकड़ों लोग उनकी बातों को सुनने के लिए बड़े ध्यान से बैठे हुए थे।
गाँव के एक छोटे से कोने में रहने वाला किशोर अर्जुन, हमेशा से बड़े सपने देखने वाला था। वह एक गरीब किसान का बेटा था, जिसके पास सीमित संसाधन थे। खेतों में काम करना और अपने पिता के साथ दिन-रात मेहनत करना उसकी दिनचर्या थी।