कोल्हू का बैल: समझदारी की सीख
एक बार की बात है, एक तेली के पास कोल्हू का बैल था। बैल पूरे दिन तेल निकालने के लिए कोल्हू घुमाता रहता था। तेली ने बैल की आँखों पर पट्टी बांध रखी थी, ताकि बैल यह न समझ सके कि वह सिर्फ एक ही जगह पर घूम रहा है।
एक बार की बात है, एक तेली के पास कोल्हू का बैल था। बैल पूरे दिन तेल निकालने के लिए कोल्हू घुमाता रहता था। तेली ने बैल की आँखों पर पट्टी बांध रखी थी, ताकि बैल यह न समझ सके कि वह सिर्फ एक ही जगह पर घूम रहा है।
एक बार राजा वीरसेन के दरबार में एक कवि आया। उसने राजा की महानता की प्रशंसा करते हुए एक सुंदर कविता प्रस्तुत की। उसने कहा, "राजा वीरसेन बहुत महान हैं, वह दयालु और न्यायप्रिय हैं।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में प्रिंस नाम का लड़का रहता था। प्रिंस बहुत शरारती और चंचल था। उसकी हरकतें इतनी मजेदार होती थीं कि गांव के सभी बच्चे उसकी दोस्ती चाहते थे।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा किसान अपने चार आलसी पुत्रों के साथ रहता था। किसान बहुत मेहनती था, लेकिन उसके बेटे दिनभर बैठकर सिर्फ आराम करते और काम से जी चुराते थे।
परी नाम की एक छोटी और प्यारी लड़की थी, लेकिन उसकी एक आदत सबको परेशान कर देती थी—गुस्सा। बात-बात पर उसका गुस्सा फूट पड़ता। उसकी मां उसे हमेशा समझातीं,
एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रोहन था। रोहन बहुत ही जिज्ञासु और साहसी था। वह हमेशा नई चीजें सीखने और अन्वेषण करने के लिए तैयार रहता था।
यह कहानी नवनीत और उसके दादा जी की है, जहां दादा जी उसे बैल की मेहनत और मूर्खता की कथा सुनाते हैं। बैल मेहनती थे, लेकिन पुआल को चुनकर अपनी मूर्खता साबित कर दी। कहानी सिखाती है कि मेहनत के साथ समझदारी भी जरूरी है, तभी सच्ची सफलता मिलती है।