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भालू का विद्यालय
भालू का विद्यालय
भालू ने विद्यालय खोला,
होने लगी पढ़ाई।
पढ़ने आते रीछ, भेड़िया,
खरहा, बंदर भाई।
उछल-कूद करते रहते सब,
पढ़ते-लिखते कम थे।
बिना वजह के आपस में,
लड़ते रहते हरदम थे।
एक बार भालू ने उनको,
डांटा, पास बिठाया।
खूब प्यार से फिर सबको,
उसने ऐसा समझाया।
उछल-कूद करना, नित लड़ना,
अच्छी बात नहीं है।
तुम उजड्ड कहलाते हो, बस,
इसमें राज यही है।
पढ़ो-लिखोगे मन से,
शिष्टाचार अगर जानोगे।
कहलाओगे अच्छे, इस,
जग में आदर पाओगे।
बात लगी अच्छी भालू की,
सबने मन में ठाना।
खूब पढ़ेंगे छोड़-छाड़कर,
ऊधम सदा मचाना।
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