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Hindi Bal Kavita: Learn from nature
"प्रकृति से सीखो " कविता हमें प्रकृति से सीखने की प्रेरणा देती है। इसमें बताया गया है कि हमारे आसपास की हर चीज़ – पेड़, फूल, भौंरे, सूरज, हवा और मछलियाँ – हमें कुछ न कुछ सिखाती हैं। अगर हम प्रकृति के गुणों को अपने जीवन में उतार लें, तो हमारा जीवन सफल और सुखमय हो सकता है।
कविता : प्रकृति से सीखो
फूलों से नित हँसना सीखो,
भौंरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित,
सीखो शीश झुकाना।।
सीख हवा के झोंकों से लो,
कोमल भाव बहाना।
दूध और पानी से सीखो,
मिलना और मिलाना।।
सूरज की किरणों से सीखो,
जगना और जगाना।
लता और पेड़ों से सीखो,
सबको गले लगाना।।
मछली से सीखो स्वदेश के,
लिए तड़पकर मरना।
पतझड़ के पेड़ों से सीखो,
दुख में धीरज धरना।।
🌸 कविता में सीखने योग्य बातें:
✅ फूलों से हँसना सीखो – हमें हर परिस्थिति में मुस्कुराते रहना चाहिए, जैसे फूल हर मौसम में खिलते हैं।
✅ भौंरों से गाना सीखो – जीवन में खुश रहना और अपने आसपास सकारात्मकता फैलाना जरूरी है।
✅ झुकी डालियों से विनम्रता सीखो – बड़ा बनने के बावजूद हमेशा विनम्र रहना चाहिए, जैसे फलदार पेड़ झुक जाते हैं।
✅ हवा से कोमलता सीखो – हमें दूसरों के प्रति दयालु और सौम्य रहना चाहिए, जैसे हवा धीरे-धीरे बहती है।
✅ सूरज की किरणों से सीखो – हमें समय पर उठना और दूसरों को प्रेरित करना चाहिए।
✅ लता और पेड़ों से अपनापन सीखो – हमें सबसे प्यार से मिलना चाहिए और दूसरों को गले लगाना चाहिए।
✅ मछली से देशभक्ति सीखो – अपने देश से प्रेम और उसकी रक्षा के लिए बलिदान देने की भावना होनी चाहिए।
✅ पतझड़ के पेड़ों से धैर्य सीखो – कठिन समय में धैर्य और हिम्मत बनाए रखना चाहिए।