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मम्मी के हाथ का बना खाना- मम्मी के हाथ का बना खाना न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसमें उनके प्रेम और देखभाल की महक भी होती है। यह कविता बच्चों को मम्मी के हाथों के खाने के महत्व और उसके अद्भुत स्वाद के बारे में बताती है। मम्मी के हाथ का खाना हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखता है।
जब मम्मी रसोई में खड़ी होती,
खुशबू से घर महकती होती।
चूल्हे पर उबलते दूध की गूँज,
सबके दिलों में बसी रहती खुशी की सुगंध।
गाजर का हलवा, या दाल का तड़का,
मम्मी का हर व्यंजन है बिलकुल अद्भुत।
चपाती में घुला हुआ प्यार,
हर कौर में छिपा सुख का आधार।
बच्चे खुश होकर कहते,
"मम्मी, तुमने आज क्या बनाया?"
उनकी हँसी में है खास मिठास,
मम्मी के हाथ का खाना है सबसे खास।
दोस्तों के साथ जब हम खाते,
मम्मी की रेसिपी सबको भाते।
पलकों पर रखा है उनका नाम,
उनके हाथों का खाना है सबसे जादुई धाम।
हर एक बर्तन में है कहानी,
मम्मी की मेहनत और परिशानी।
जब भी भूख लगे, याद आए,
उनके हाथ का बना खाना, दिल को भाए।
मम्मी के हाथ का बना खाना,
हर बच्चे का है प्यारा सपना।
इसमें है प्यार, इसमें है खुशी,
मम्मी का खाना, सबकी है सच्ची खुशी।