प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है!

प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है :- क्या आपने कभी सोचा है कि सूरज, चाँद, तारे, पेड़, नदियाँ और झरने भी हमें कुछ सिखाते हैं? जी हाँ! प्रकृति की हर चीज़ हमें ज़िंदगी की एक अनमोल सीख देती है — कोई समय की महत्ता सिखाता है,

By Lotpot
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Nature is the greatest guru

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प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है :- क्या आपने कभी सोचा है कि सूरज, चाँद, तारे, पेड़, नदियाँ और झरने भी हमें कुछ सिखाते हैं? जी हाँ! प्रकृति की हर चीज़ हमें ज़िंदगी की एक अनमोल सीख देती है — कोई समय की महत्ता सिखाता है, तो कोई बिना रुके आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। यह कविता "जीवन की सीख" हमें बताती है कि सिर्फ किताबें ही नहीं, बल्कि हमारी धरती, आकाश और उनका हर रूप भी हमारे शिक्षक हैं।

सूरज की किरणें, हवा की लय, चाँद की शांति, तारे की मुस्कान, पेड़ की सहनशीलता और झरने की सेवा भावना — ये सब मिलकर एक ऐसी प्रेरक कहानी बुनते हैं जो हमारे जीवन को दिशा और उद्देश्य देती है।

यह कविता बच्चों के मन में प्रकृति के प्रति प्रेम, अनुशासन, और सच्चे जीवन मूल्यों की भावना को जाग्रत करती है।

प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है!

सूरज सिखलाता है हमको
बड़े सवेरे उठना,
सिखलाती है हवा सुबह की
लय में चलते रहना।


चाँद हमें सिखलाता,
देना जग को नया उजाला,
तारे कहते, गीत सुनाओ
झिलमिल मस्ती वाला।


पेड़ हमें सिखलाता,
सारे दिन मेहनत में तपना,
कोई चोट अगर दे, तो भी
फल से झोली भरना।


नदी बताती, कल-कल स्वर में
बहना मेरे भाई,
झरना बोले— पल-पल झरते
सबकी करो भलाई।

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