New Update
/lotpot/media/media_files/vafjiYy3XNRsRr8JbV1S.jpg)
तपती गर्मी
बहे पसीना हरदम ऐसे।
पानी नल का बहता जैसे।।
भीगे मेरे कपड़े सारे।
सुखा सुखा कर हम तो हारे।।
धूप चमकती ऊपर नीचे।
छाया छिपती मेरे पीछे।।
तपते आंगन और चौबारे।
बंद हुए सब खेल हमारे।।
चलती आंधी घूल उड़ाती।
घर में लू जबरन घुस आती।।
अब आओ बदली कजरारी।
दूर भगाओ गर्मी सारी।।
lotpot-e-comics | entertaining-kids-poem | manoranjak-bal-kavita | लोटपोट | baal-kvitaa | bccon-kii-kvitaa