Poem: तपती गर्मी By Lotpot 23 Dec 2023 in Poem New Update तपती गर्मी तपती गर्मी बहे पसीना हरदम ऐसे।पानी नल का बहता जैसे।। भीगे मेरे कपड़े सारे।सुखा सुखा कर हम तो हारे।। धूप चमकती ऊपर नीचे।छाया छिपती मेरे पीछे।। तपते आंगन और चौबारे।बंद हुए सब खेल हमारे।। चलती आंधी घूल उड़ाती।घर में लू जबरन घुस आती।। अब आओ बदली कजरारी।दूर भगाओ गर्मी सारी।। बच्चों की कविता | बाल कविता | लोटपोट | manoranjak bal kavita | entertaining kids poem | kids poem | lotpot E-Comics यह भी पढ़ें:- Poem: खूब करो मिलकर सफाई Poem: मिन्नी का कहना Bal Kavita: पेड़ है इसका नाम Bal Kavita: कलरव #लोटपोट #Lotpot # kids poem #बच्चों की कविता #बाल कविता #bal kavita #manoranjak bal kavita #entertaining kids poem #lotpot E-Comics You May Also like Read the Next Article