लोटपोट जंगल कहानी : अपनेपन की छाँव
Jungle Story- (लोटपोट जंगल कहानी) अपनेपन की छाँव : उस जंगल में प्रति रविवार को एक स्पेशल बाजार लगा करता था जिसमें दास की तरह कई नौकर चाकर बिकने आया करते थे।
Jungle Story- (लोटपोट जंगल कहानी) अपनेपन की छाँव : उस जंगल में प्रति रविवार को एक स्पेशल बाजार लगा करता था जिसमें दास की तरह कई नौकर चाकर बिकने आया करते थे।
जंगल कहानी (Jungle Story) गोरे काले का भेदभाव: - एक मकान में एक नीम का पेड़ था। जिस पर एक कौआ रहता था। वह बड़ा दयालु प्रवृति का था। उसी मकान में ही एक कबूतर ने घोंसला बना रखा था। दोनों में कोई मित्रता नहीं थी। कौए ने कई बार कबूतर से दोस्ती करने का प्रयत्न किया।
जंगल कहानी (Jungle Story) : किसी जंगल में एक शेर तथा एक रीछ रहते थे। उन दोनों में गहरी मित्रता थी। वह साथ उठते साथ बैठते, हंसते, साथ सोते, यहां तक कि वह दोनों एक ही गुफा में एक साथ रहते थे। दोनों में बहुत प्रेम था जंगल के सारे जानवर उनकी मित्रता को देख कर जलते थे।
जंगल की कहानी | कौए की किस्मत :- एक जंगल में पीपल के पेड़ पर एक कौआ रहता था। उसे किसी चीज़ की कमी नहीं थी लेकिन फिर भी उसे संतोष नहीं था। उसे यही लगता था कि जंगल के सारे पंछी उससे ज्यादा सुंदर और खुश है।
Jungle Story : एक था चिड़ा और एक चिड़ी। दोनों ही विनम्र और मृदु। दोनों ही चहकते रहते। दूसरों की दुख तकलीफ में मद्दगार होते। इसीलिए तो टुइया जंगल के सभी पक्षी उन्हें चाहते बहुत थे।
बाल कहानियां : वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते है जो खाने के लिए जिंदा रहते है। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे। बात तब की है जब हम मेरठ में रहते थे। मैं छठी कक्षा में पढ़ता था और पेटूनंद जो मेरी ही कक्षा में पढ़ते थे। बड़ा ही मजेदार व्यक्तित्व था उनका, एकदम ड्रम जैसा गोल धड़, ऊपर अंडाकार खोपड़ी, मुंडा हुआ सिर और उस पर चुपड़ा कड़वा तेल।
शिक्षा देती एक सुन्दर कहानी : माली का सबक:- एक फलों का बगीचा था। उस बगीचे में एक पुराना आम का पेड़ था जिसमें एक तोता अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था। बाग के माली को इनसे प्यार हो गया था
महाकवि कालिदास : हमें कैैसा बनना चाहिए? : कहानी राजा भोज के काल की है। उनके दरबार में एक से एक विद्वान दरबारी के रूप में आदर पाते थे। महाकवि कालिदास जैसे विद्वान और कुशल कवि उनके दरबार की शोभा बढ़ाते थे। एक बार की बात है। राजा भोज ने अपने विद्वान दरबारियों से एक प्रश्न किया। प्रश्न था हमें कैसा बनना चाहिए?