बंदर की कविता
बंदर: बारिश का मौसम हो और पेड़ों की डालियों पर पानी की बूंदें टपक रही हों, तो जंगल के हर जीव अपने-अपने घर में आराम से बैठकर मौसम का मज़ा लेते हैं। लेकिन इस कहानी का बंदर थोड़ा अलग है। बारिश शुरू होते ही वह
बंदर: बारिश का मौसम हो और पेड़ों की डालियों पर पानी की बूंदें टपक रही हों, तो जंगल के हर जीव अपने-अपने घर में आराम से बैठकर मौसम का मज़ा लेते हैं। लेकिन इस कहानी का बंदर थोड़ा अलग है। बारिश शुरू होते ही वह
बाल कविता -कोयल:- वसंत ऋतु का मौसम हो और पेड़ों पर नए-नए पत्ते खिलें, तो जंगल और बग़ीचों में एक खास आवाज़ गूंजने लगती है – कूऊ-कूऊ। यह होती है कोयल की मधुर पुकार। काले रंग की यह नन्हीं सी चिड़िया हरे पत्तों में छुपकर
काले मेघा पानी दे: एक मनोरंजक कविता- प्रकृति की सुंदरता और बच्चों की जिज्ञासा को एक साथ पिरोती हुई, "काले मेघा पानी दे" एक ऐसी कविता है जो छोटे-छोटे बच्चों के दिलों में खुशी और उत्साह भर देती है।
बच्चों के लिए लिखी गई यह कविता "गाओ-गाओ" केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक गहरे नैतिक संदेश को सरल और हास्यपूर्ण अंदाज़ में प्रस्तुत करती है। कविता की शुरुआत एक मजेदार दृश्य से होती है,
बच्चो, क्या आपने कभी सोचा है कि फूल, पेड़, सूरज और नदी — ये सब हमें बहुत कुछ सिखा सकते हैं? जी हाँ! ये प्रकृति के दोस्त हर दिन बिना कुछ कहे हमें जिंदगी जीने का सही तरीका बताते हैं।
कविता एक ऐसी कला है जो मन की गहराइयों से निकलती है और शब्दों के माध्यम से हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करती है। आज हम जिस कविता "आँखें" की बात कर रहे हैं, वह न केवल सुंदर शब्दों का संगम है
समय हमारे जीवन का सबसे अनमोल संसाधन है। हम सब दिन-रात उसकी गति के अनुसार चलते हैं, लेकिन क्या कभी हमने उस घड़ी से संवाद किया है, जो हर पल टिक-टिक कर के हमें कुछ न कुछ सिखा रही होती है?