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“घड़ी लगी दीवार पर” बच्चों के लिए एक शिक्षाप्रद और सरल बाल कविता (Children’s Poem) है, जो उन्हें समय (Time) की कीमत समझाने का सुंदर संदेश देती है। कविता में दीवार पर लगी घड़ी को जीवन का साथी बताया गया है, जो बिना रुके टिक-टिक करती रहती है और हमें रोजमर्रा के कामों का सही समय बताती है।
कविता का हर शब्द बच्चों को यह सिखाता है कि अनुशासन (Discipline) और समय की पाबंदी (Punctuality) जीवन में सफलता के लिए कितने जरूरी हैं। जब हम घड़ी देखकर पढ़ाई, खेल और आराम का समय तय करते हैं, तो हमारा दिन अधिक संतुलित और उपयोगी बनता है।
कविता की भाषा बेहद सरल, लयबद्ध (rhythmic) और गुनगुनाने योग्य है, जिससे छोटे बच्चे इसे याद भी कर सकते हैं और गाकर भी सीख सकते हैं।
यह कविता न केवल स्कूल की कक्षा या असेंबली में सुनाने के लिए उपयुक्त है, बल्कि घर पर भी बच्चों को सिखाने के लिए आदर्श है ताकि वे समय का महत्व समझ सकें।
कविता बच्चों में समय के प्रति जिम्मेदारी, आत्मनियंत्रण (self-discipline), और जीवन में सही आदतें विकसित करने की प्रेरणा देती है।
घड़ी लगी दीवार पर
घड़ी लगी दीवार पर,
टिक-टिक करके चलती है।
हर घंटे के बाद में,
टन-टन करके बजती है।
इसे देखकर पता है चलता,
कब खाना, कब पढ़ना है।
इसे देखकर पता है चलता,
कब उठना, कब सोना है।
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