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“बंदर गया खेत में भाग” बच्चों के लिए एक बेहद मनोरंजक और लयबद्ध कविता है, जो हास्य (humour) और कल्पना (imagination) से भरपूर है। यह कविता न केवल बच्चों को हँसाती है बल्कि उन्हें यह भी सिखाती है कि जिज्ञासा और चंचलता (curiosity and playfulness) जीवन का स्वाभाविक हिस्सा हैं।
इस कविता में बंदर का खेत में भाग जाना, साग तोड़ना, आग जलाकर उसे पकाना और फिर आराम से सो जाना — यह सब एक मज़ेदार कहानी की तरह प्रस्तुत किया गया है। बच्चों को यह कविता इसलिए भी पसंद आती है क्योंकि इसमें तुकबंदी (rhyming words) और ध्वनि प्रभाव (sound play) का उपयोग बहुत सुंदर ढंग से किया गया है। शब्द जैसे “चुट्टर-मुट्टर,” “चट्टर-मट्टर,” “सापड़-सूपड़” न केवल सुनने में मजेदार लगते हैं बल्कि उन्हें बोलने से बच्चों की उच्चारण क्षमता (pronunciation) भी विकसित होती है।
यह कविता हिंदी की उन पारंपरिक बाल कविताओं में से एक है जो नैतिकता के बजाय हास्य और सरल जीवन की झलक दिखाती हैं। यह बच्चों के भाषा अभ्यास, पाठन और अभिनय (recitation) के लिए भी एकदम उपयुक्त है। स्कूलों में इसे अक्सर "fun rhyme for kids" या "बाल मनोरंजक कविता" के रूप में पढ़ाया जाता है।
बंदर गया खेत में भाग
बंदर गया खेत में भाग,
चुट्टर-मुट्टर तोड़ा साग।
आग जलाकर चट्टर-मट्टर,
साग पकाया खद्दर-बद्दर।
सापड़-सूपड़ खाया खूब,
पोंछा मुँह उखाड़कर दूब।
चलनी बिछा, ओढ़कर सूप,
डटकर सोए बंदर भूप।
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