हिंदी नैतिक कहानी: गिलहरी का पीछा
अरे! यह क्या हो गया तुम्हें यह चोट कैसे लगी? किशोर की बुरी हालत देख कर सारा परिवार उसकी ओर बाहर भागा। देखा तो किशोर कई जगह से चोटिल दिखाई दिया। सड़क पर गिर जाने से यह चोटें आई हैं।
अरे! यह क्या हो गया तुम्हें यह चोट कैसे लगी? किशोर की बुरी हालत देख कर सारा परिवार उसकी ओर बाहर भागा। देखा तो किशोर कई जगह से चोटिल दिखाई दिया। सड़क पर गिर जाने से यह चोटें आई हैं।
नवलगढ़ में एक राजा राज करता था। राजा का नाम था हीरासिंह। हीरासिंह बहुत पराक्रमी राजा था। उसने कई राज्यों को जीत कर अपने राज्य में मिला लिया था। हीरासिंह के भय से दूसरे देशों के राजा थरथर कांपते थे।
राजस्थान की एक रियासत पर श्यामराज नाम का राजा राज करता था। वह जितना अधिक शक्तिशाली था, उतना ही अच्छा चित्रकार भी था। उसे नए-नए भवन बनवाकर उसमें चित्रकारी करने का शौक था।
घंटी बजी, छठी कक्षा में गणित के अध्यापक महोदय ने प्रवेश किया। उसके हाथ में छमाही परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका थी। ज्यों ही वह कक्षा में घुसे, सभी छात्र उठ खड़े हुए। फिर उसके संकेत पर यथास्थान बैठ गये।
एक साधु थे, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करते थे, “जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे”। बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।
कल्लू, लल्लन और मुन्ना तीनों लड़के सड़क के किनारे बैठकर खिलौने बेचा करते थे तीनों अपनी अपनी टोकरी में तरह तरह के खिलौने भरकर सुबह ही अपनी जगह पर आकर बैठ जाते थे। वह इलाका भीड़वाला और बाजार के करीब था।
भगवान श्रीकृष्ण को उज्जयिनी के सुविख्यात विद्वान और धर्मशास्त्रों के प्रकांड पंडित ऋषि संदीपनी के पास विद्या अध्ययन के लिए भेजा गया। ऋषि संदीपनी भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा को एक साथ बिठाकर शास्त्रों की शिक्षा देने लगे।