मजेदार हिंदी कहानी: बीरबल और दर्जी
एक बार बेगम साहिबा को चीन की महारानी ने एक बहुमूल्य सिल्क के कपड़े का टुकड़ा भेंट दिया था। बेगम साहिबा ने बीरबल को बुलाया और उसे कहा कि वह उनके लिए इस कपड़े की सुंदर पोशाक तैयार करवाएं।
एक बार बेगम साहिबा को चीन की महारानी ने एक बहुमूल्य सिल्क के कपड़े का टुकड़ा भेंट दिया था। बेगम साहिबा ने बीरबल को बुलाया और उसे कहा कि वह उनके लिए इस कपड़े की सुंदर पोशाक तैयार करवाएं।
रहमत की ऊंटनी उसके लिए मरूस्थल का जहाज थी। वह एक छोटा व्यापारी था जो राजस्थान के एक गांव में रहता था उस का कारोबार अच्छा चल रहा था और उसने कुछ धन भी इकट्ठा कर लिया था।
एक राजा था, बड़ा घमण्डी व अत्याचारी। वह अपने आप को बहुत चतुर समझता था और बहुत जिद्दी था। एक बार एक ज्योतिषी उनके दरबार में आए। राजा के घमण्डी व जिद्दी होने की बात वे पहले ही सुन चुके थे।
एक बार एक सज्जन पुरूष दिल्ली से अम्बाला जा रहे थे। दिसम्बर का महीना था और जनाब थे भी मोटर साईकिल पर सवार। अगर एक मुसीबत हो तो भुगत ली जाये लेकिन यहाँ मुसीबतें थी।
किसी जमाने में एक राजा था, उनका नाम धर्मसेन था। धर्मसेन का जैसा नाम था, वैसा ही उनका काम भी था। वह धार्मिक होने के साथ-साथ न्यायप्रिय भी थे। उनके दरबार में लोग दूर दूर से न्याय के लिए आते थे।
बीरनचक राज्य में बहुत जोरों की बारिश हो रही थी। पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी। चारों ओर पानी ही पानी भर गया। सातवें दिन बारिश बंद तो हो गई, मगर तब तक वहां बाढ़ आ गई।
दोस्तों यूं तो इस घटना को बीते अनेक साल हो चुके हैं लेकिन हर साल इम्तिहान का मौसम आते ही यह घटना याद आ जाती है और मन लोटपोट हो जाता है। उस स्कूल में जब हमने दाखिल लिया और पहले दिन क्लास में पहुंचे।