बाल कहानी: गिरफ्तार छः चोर उन छः चोरों की चर्चा गाँव के बच्चे बच्चे की जुबान पर थी। प्रतिदिन पुलिस स्टेशन पर लोग इकट्ठा हो जाते, रातों को अपने घरों में होने वाली चोरियों की शिकायतें करते, परन्तु पुलिस भी उन छः चोरों को न पकड़ पा रही थी। सरकार ने चोरों पर ईनाम भी रखा था कि जो व्यक्ति चोरों को पकड़वाने में पुलिस की सहायता करेगा सरकार उसे पाँच हजार रुपये ईनाम में देगी। By Lotpot 20 Jan 2020 in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी: गिरफ्तार छः चोर- उन छः चोरों की चर्चा गाँव के बच्चे बच्चे की जुबान पर थी। प्रतिदिन पुलिस स्टेशन पर लोग इकट्ठा हो जाते, रातों को अपने घरों में होने वाली चोरियों की शिकायतें करते, परन्तु पुलिस भी उन छः चोरों को न पकड़ पा रही थी। सरकार ने चोरों पर ईनाम भी रखा था कि जो व्यक्ति चोरों को पकड़वाने में पुलिस की सहायता करेगा सरकार उसे पाँच हजार रुपये ईनाम में देगी। परन्तु चोरों के भय ने लोगों के दिलों में ईनाम का लोभ निकाल दिया था। इसलिये कोई व्यक्ति ईनाम पाने के विषय में सोचता भी न था। गाँव के अधिकतर कुत्तों को चोरों ने जहर के बिस्कुट खिला खिलाकर मार दिया था। लोग इन नित्य की चोरियों से तंग आ चुके थे। विनोद रात को बारह बजे तक पढ़ता था, क्योंकि इस वर्ष उसकी हाई स्कूल की परीक्षा थी। एक रात विनोद अपने घर में बैठा पढ़ रहा था सहसा उसकी दृष्टि सामने वाले मकान पर पड़ी। विनोद ने देखा कि कुछ व्यक्ति जिनके मुँह पर काले रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था उस मकान की छत से अंदर उतर रहे थे। विनोद समझ गया कि वह छः चोर हैं, जो रातों को चोरियाँ करके नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। उसने तुरन्त अपने घर की बत्ती बुझा दी और सुनसान सड़क पर आ गया। रात्रि का सन्नाटा दूर दूर तक फैला हुआ था। काफी समय बीत जाने के बाद जब वह चोर चोरी करके लौटे तो विनोद को देखकर दंग रह गये, ‘कौन है तू’ उनमें से एक ने पूछा ‘‘साहब कई दिन से खाना नहीं खाया, भूख की तड़प को मिटाने के लिए यह बर्तन चुरा लिये, इन्हे बेचकर खाना खा लूंगा।’’ ‘‘चोरी करने मे उस्ताद है या डरता है।’’ यह बात एक मोटे लम्बे से आदमी ने पूछी। जो शायद पाँचों का सरदार था। इस बात का आपको समय आने पर पता चल जायेगा’ जब मैं आपको कोई चमत्कार दिखाऊँगा। विनोद ने कहा। ‘तो हमारे साथ चल।’ चोरों ने विनोद से कहा। विनोद उन चोरों के साथ खेतों की ओर चल दिया। गाँव से थोड़ी ही दूर पर उन चोरों का खुफिया अड्डा था जहाँ वह रहते थे। विनोद यह सारी बातें भाँप रहा था। विनोद ने देखा, अड्डे में लूटे हुए सामान के ढेर लगे हुए हैं। प्रातः काल सरदार ने गिरोह को उसी मकान पर भेजा जहाँ रात चोरी करते समय सरदार की अंगूठी छत पर ही उंगली से निकल कर गिर गई थी। विनोद सरदार की सारी बातें समझ कर उस मकान की ओर चल दिया, जहाँ रात चोरो ने चोरी की थी। वह छः चोर मानतेे थे कि विनोद वास्तव में चोर है वर्ना इतनी रात में हमारी तरह चोरी न करता। गाँव पहुँच कर विनोद पहले अपने घर गया। उसके माता -पिता चिन्ता में बैठे थे। विनोद ने उन्हें सारी कहानी सुनाई उसके माता ने उसे आशीर्वाद दिया। माता-पिता का आशीर्वाद लेकर वह सामने वाले मकान पर गया। उस मकान पर सारा गाँव जमा था। मकान मालिक चीख-चीख कर कह रहा था-‘हाय मैं मर गया, कहाँ से लाऊँगा, अपनी बेटी के दहेज के गहने।’ यह सुनकर विनोद को बड़ा दुख हुआ, उसने मकान मालिक से कहा-‘आप चिन्ता न करें जिन चोरों ने आपकी बेटी के दहेज के गहने चोरी किए हैं, और जो चोर आज तक पुलिस को चकमा देते रहे हैं। मैं विश्वास के साथ कहता हूँ कि कल तक आपको दहेज के गहने मिल जायेंगे, और कल ही मैं उन चोरों के हाथों में पुलिस की हथकड़ियाँ अवश्य डलवा दूंगा।’ यह कहकर विनोद सीधा पुलिस स्टेशन इंस्पेक्टर साहब के पास गया। विनोद ने अपनी योजना इंस्पेक्टर साहब को सुनाई, और कहा ‘कल रात को आप सिपाहियों को लेकर मेरे घर पहुँच जाईये, और कुछ सिपाही मेरे बताये पते पर समयानुसार भेज दीजियेगा।’ विनोद की इस योजना से इंस्पेक्टर साहब को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने विनोद को आशीर्वाद दिया। सब ठीक हैं साहब परन्तु अंगूठी कहीं नहीं मिली। ‘‘अरे हाँ साहब, आज एक बुढ़िया का लड़का बुढ़िया को खूब नोट दे गया है। और वो कह गया कि आधे वो कल बैंक में जमा करा देना।’’ विनोद ने अंगूठी की बात काटते हुए, चोरों की तबाही का जाल फेंकते हुए कहा। सरदार विनोद की इस झूठी सूचना पर प्रसन्न होकर बोला-‘जब कल ही नहीं आएगा तो बुढ़िया बैंक कैसे जायेगी, हम आज ही अपने बैंक में जमा कर लेंगे।’ सरदार की इस बात पर पाँचों चोर जोर-जोर से हँसने लगे। विनोद भी बनावटी हँसी हँसने लगा। रात्रि अपनी आधे से अधिक यात्रा पूरी कर चुकी थी। विनोद चोरों को अपने घर चोरी कराने ले गया। जैसे ही चोरों ने घर में कदम रखे, पीछे से सिपाहियों ने घेरा डालकर उन छः चोरों को गिरफ्तार कर लिया। विनोद के बताये पते पर समय के अनुसार पहुँचकर सिपाहियों ने सारा लूटा हुआ माल अपनी हिरासत में ले लिया। विनोद को मिला इनाम अगले दिन इंस्पेक्टर साहब ने विनोद को पुलिस स्टेशन पर चोरों पर रखे ईनाम देने के विषय में कहा, तो विनोद ने कहा ‘इस्पेक्टर साहब मैंने इन दुष्टों को ईनाम के लोभ में नहीं पकड़वाया है, बल्कि इसलिए पकड़वाया है ताकि आज से किसी की बेटी का दहेज न लुटे, आज के बाद चोरी नाम का शब्द सदा के लिये मिट जाये, लोग चैन की नींद सो सकें, विनोद के इन वाक्यों ने इंस्पेक्टर साहब, गाँव वालों को तो क्या उन छः चोरों को भी झिझोड़ डाला। जो हवालात की कोठरी में बैठे थे।’ इंस्पेक्टर साहब ने गाँव वालों के सामने बूढ़े मकान मालिक के गहने लौटा दिये। बड़ा होकर विनोद ‘‘इंस्पेक्टर विनोद’’ के नाम से विख्यात हुआ। ये कहानी भी पढ़ें : बाल कहानी : किस्मत का चक्कर Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story 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