बाल कहानी- दावत-ए-शिराज दो जागीरदार थे, दोनों ही जिगरी दोस्त, पर दोनों के स्वभाव में जमीन आसमान का अंतर था। पहला जहाँ शान शौकत और दिखावे में विश्वास करता था, वहीं दूसरा सादगी पसंद था। एक बार किसी कार्यवश दूसरा जागीरदार पहले वाले के यहाँ गया। दोस्त को अपने यहाँ आया देख कर पहला जागीरदार बहुत खुश हुआ और दोस्त की आवभगत में उसने अपना जी जान लगा दिया। By Lotpot 21 Jan 2020 in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी- दावत-ए-शिराज : दो जागीरदार थे, दोनों ही जिगरी दोस्त, पर दोनों के स्वभाव में जमीन आसमान का अंतर था। पहला जहाँ शान शौकत और दिखावे में विश्वास करता था, वहीं दूसरा सादगी पसंद था। एक बार किसी कार्यवश दूसरा जागीरदार पहले वाले के यहाँ गया। दोस्त को अपने यहाँ आया देख कर पहला जागीरदार बहुत खुश हुआ और दोस्त की आवभगत में उसने अपना जी जान लगा दिया। शाम को शानदार भोज हुआ। ऐसे-ऐसे दुर्लभ तथा स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ परोसे गए कि खाने वाला वाह-वाह कर उठे पर आगंतुक दोस्त ने एक बार भी तारीफ के कोई शब्द नहीं कहे। भोज समाप्त होने पर जागीरदार ने अपने मित्र से पूछा,‘‘क्यों मित्र, आज की दावत में कोई कसर बाकी तो नहीं थी न?’’ जिसे सुनकर दूसरा जागीरदार तपाक से बोला, ‘‘नहीं, कोई खास नहीं थी पर दोस्त जो लुत्फ मेरे यहाँ के दावत ए शिराज में है वह तुम्हारी इस दावत में नहीं।’’ ऐसा कहकर वह सोने चला गया। जागीरदार की उड़ गई नींद दोस्त की बात सुनकर जागीरदार को रात भर नींद नहीं आई, सारी रात वह ‘दावत-ए-शिराज’ का बात सोचता रहा। उसकी आवभगत से संतुष्ट नहीं है। अतः दूसरे दिन उसने और भी अधिक शानदार भोज का प्रबंध किया। किन्तु फिर भी उसके दोस्त ने ‘दावत ए शिराज’ की ही तारीफ की। उसके घर कुछ दिन और ठहर कर दूसरा जागीरदार अपनी जागीर वापस चला गया। और जाते-जाते अपने दोस्त को आकर ‘दावत-ए-शिराज’ में शरीक होने का निमंत्रण दिया। दूसरे जागीरदार की खातिर करते करते वह लगभग कंगाल सा हो चुका था और ऐसी हालत में वह उसके यहाँ जाना तो नहीं चाहता था किन्तु ‘दावत-ए-शिराज’ में शामिल होने के लिए जब जागीरदार से पुन आग्रह भरा निमंत्रण मिला तो वह इनकार न कर सका। नियत दिन जब वह मेरे जागीरदार के यहाँ पहुंचा तो उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसने उसका साधारण ढंग से स्वागत किया, जबकि उसने उसका स्वागत बड़ी धूम धाम से किया था। आखिर उसने दोस्त से पूछ ही लिया अपना स्वागत साधारण ढंग से होते देखकर उसे दुख तो बहुत हुआ परन्तु ‘दावत ए शिराज’ की ललक में वह उस दुख को चुपचाप पी गया। थोड़ी देर आराम करने के बाद जब उसके सामने भोजन परोसा गया तो वह देखकर अवाक् रह गया कि भोजन भी बहुत सादा, साधारण ढंग का था और फल तो केवल इतना ही था जितना उपस्थित लोग खा सकते थे। कई दिनों तक इसी तरह का भोजन करते-करते आखिर उसके सब्र का बाँध टूट गया अतः उसने अधीर होकर अपने दोस्त से कहा-‘‘क्यों दोस्त मुझे तो तुमने ‘दावत- ए-शिराज’ में शामिल होने का निमंत्रण दिया था, किन्तु मुझे तो अभी तक उसमें शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ।’’ अपने दोस्त की बात सुनकर दूसरा जागीरदार जोरों से हँस पड़ा और बोला, ‘‘वाह दोस्त, तुम भी क्या बात कर रहे हो। रोज ही ‘दावत-ए-शिराज’ में शामिल होकर बढ़िया खाना खा रहे हो और कह रहे हो कि तुम्हें अभी तक उसमें शामिल होने का सौभाग्य नहीं प्राप्त हुआ।’’ उसकी बात पर जागीरदार बहुत ही हैरान हुआ, ‘‘यह क्या कह रहे हो तुम? तुमने तो कहा था कि ‘दावत ए शिराज’ के सामने मेरा शानदार भोज भी फीका था।’’ ‘‘हाँ ठीक ही तो कहा था।’’ वह गंभीर होकर बोला ‘‘दोस्त अपनी सामथ्र्य के अनुसार आसानी से उपलब्ध भोज्य पदार्थो ही ‘दावत-ए-शिराज’ है। इसमें खिलाने वाला न कंगाल होता है और न खाने वाला, दिनों दिन और भी अच्छा भोज्य पदार्थ पाने की लालसा में लालची बनता है। जो वो रहस्य खुला जिसमें मेहमान और मेजबान दोनों ही संतुष्ट हों वही ‘दावत-ए-शिराज’ है। अब कहो तुम्हारा शानदार भोज जिसमें तुम्हारी कई जागीरें बिक गई, शानदार रहा या मेरा ‘दावत ए शिराज।’’’ दोस्त की बातों का रहस्य समझकर उसकी आँखों में आँसू आ गए, ‘‘दोस्त, तुमने दावत ए शिराज का भेद उस समय क्यों नहीं खोला जब मैं दिनों दिन तुम्हें और भी शानदार दावत देने के चक्कर में कंगाल हो रहा था।’’ उसकी बात सुनकर वह बोला, ‘‘मैंने जान बूझकर नहीं कहा था, क्योंकि तुम दिखावे में विश्वास करते थे अतः मैं चाहता था कि तुम इसे अनुभव से सीखो। और हाँ, दुखी मत हो तुम आज भी कंगाल नहीं हो। तुम्हारी जागीरें मेरे आदमियों ने ही खरीदी थी जिसे तुम्हें वापस करने के लिए ही ‘दोबारा बुलावा भेजा था। तुम्हारी जागीरें मैं तुम्हें वापस कर रहा हूँ ताकि मुझे इस बार आने पर ‘दावत-ए-शिराज’ खाने का सौभाग्य प्राप्त हो सके।’’ और पढ़ें : बाल कहानी: इंडोर पेशेंट Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #Dawat Ki Kahani You May Also like Read the Next Article