बाल कहानी : निराले संगीतकार ओ गधे के बच्चे! निकल जा यहाँ से। मुझे कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी। मेरे पास फोकट का माल नहीं है जो घास चारा ला लाकर तुम्हें खिलाता रहूँ और काम न कर पाए तू दो पैसे का भी। चल हट निकल नहीं तो एक ही लठ मार कर कमर तोड़ दूँगा। कहते हुए कल्लू धोबी ने अपने गधे के पाँव में पड़ी हुई पिछाड़ी खोल दी। By Lotpot 07 Apr 2020 | Updated On 07 Apr 2020 07:26 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी : निराले संगीतकार (Lotpot Kids Story): ओ गधे के बच्चे! निकल जा यहाँ से। मुझे कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी। मेरे पास फोकट का माल नहीं है जो घास चारा ला लाकर तुम्हें खिलाता रहूँ और काम न कर पाए तू दो पैसे का भी। चल हट निकल नहीं तो एक ही लठ मार कर कमर तोड़ दूँगा। कहते हुए कल्लू धोबी ने अपने गधे के पाँव में पड़ी हुई पिछाड़ी खोल दी। बहुत समय पहले, कल्लू यह गधा सौ रूपये में मोल लाया था। उस समय यह गधा मोटा ताजा था 2-2 क्विंटल बोझ उठा कर पलक झपकते नदी से घर और घर से नदी पर पहुँचा देता था। कल्लू बरसा ही देता। बड़ी मुश्किल से मुट्ठी भर घास कल्लू उसे डाल देता और सारा दिन चलाता रहता पर अब जब गधा बूढ़ा हो गया। अधिक बोझ उठाना उसके बस की बात नहीं रही अपनी टांगें एक दूसरी से उलझने लगीं तो कल्लू महाराज ने उसे निकाल बाहर किया। यदि बकरा होता तो बुढ़ापे में उसे कसाई के पास ही बेच देता पर गधे को कसाई भी नहीं लेता था इसलिये उसने उसे निकाल देना ही ठीक समझा। और पढ़ें : बाल कहानी : समय की सूझ गधा बेचारा क्या करता बहुतेरे हाथ पाँव जोड़े पर कोई लाभ नहीं हुआ। विवश होकर वह घर से निकल पड़ा। और नगर को जाने वाली सड़क पर चलने लगा। थोड़ी दूर जाकर उसे एक कुत्ता दिखाई दिया जो अपनी टांग को चाट रहा था। अरे भाई कुकुर तुम कौन हो और कहाँ जा रहे हो? अब कुत्ते ने अपनी कहानी सुनानी शुरू की। कुत्ते की कहानी भी गधे से बिल्कुल मिलती जुलती थी। उसे भी मालिक ने घर से मार पीट कर निकाल दिया था। क्योंकि अब वह भाग दौड़ कर शिकार नहीं पकड़ सकता था। अब वह दोनों एक दूसरे का सहारा लेकर आपस में दुख और सुख की बातें करते अपनी बीती हुई जवानी की यादें ताजा करते नगर की ओर ही चलने लगे। कुछ ही दूर जाकर एक बिलाव सड़क के किनारे पड़ा ठंड में अकड़ रहा था। गधे और कुत्ते ने उसका दुख बाँटने के लिये उसका हाल चाल पूछा। तो पता चला कि वह अपने निर्दय मालिक की निर्दयता का शिकार हैं। उसे भी मालिक ने इसलिये निकाल दिया था कि अब वह चूहों को मार नहीं सकता था। जब तक वह चूहों पर झपटता, चूहे भाग कर अपनी बिलों में घुस जाते। एक दिन मालिक ने बड़े चाव से हलवा बनाकर रखा था कि चूहे चट कर गये और बिलाव उन्हें भगा न सका। मालिक ने गुस्से में आकर बिलाव को बुरी तरह से पीट दिया। यही नहीं, यह कहकर घर से भी निकाल दिया कि यदि उसने उसे दुबारा घर में देख लिया तो मार मार कर हड्डी पसली बराबर कर देगा। और पढ़ें : बाल कहानी : भाग्य की खोज गधे और कुत्ते को यह बिलाव भी अपना साथी ही मिल गया। तीनों नगर की ओर चलने लगे। कि वहाँ जाकर कुछ जूठन आदि खाने को मिला करेगी तो पेट भर सकेगा। नगर का रास्ता लम्बा था। उन्हें चलते चलते रात हो गई। जहाँ उन्हें रात हुई वह स्थान घना जंगल था। चारों ओर ऊँचे ऊँचे पेड़ खड़े थे। दूसरे सर्दी के दिन थे इसलिये वे तीनों मारे सर्दी के ठिठुरने लगे। सर्दी लगने से गधा ढेंचू ढेंचू चिल्लाने लगा। कुत्ता रोेने जैसे लम्बी आवाज निकालने लगा और बिलाव भी लम्बी धुन निकालकर चीखने लगा। इन तीनों गधे, कुत्ते तथा बिल्ली की आवाज मिलकर एक साथ निकली तब एक नया संगीत जैसा बनने लगा। भले वह पश्चिमी संगीत से मिलता जुलता था। इसे सुनकर वे तीनों भी हैरान हो गये और उनका दुख एक कला में बदल गया। वे चले ही जा रहे थे कि उन्हें जंगल के अँधेरे में एक दीया टिमटिमाता हुआ दिखाई दिया। वे तीनों सिकुड़ते ठिठुरते और अपना निराला संगीत निकालते उसी टिमटिमाते दीये की रोशनी की ओर बढ़ने लगे। वे चलते चलते एक पुराने मकान के दरवाजे पर जा पहुँचे गधे ने जरा झाँक कर देखा तो मारे डर के काँप उठा। और पढ़ें : बाल कहानी : गलती का अहसास यह डाकुओं का अड्डा था जहाँ खाने-पीने का सामान तथा अनाज की बोरियों के अलावा तैयार भोजन घी-मक्खन आदि भी भरे पड़े थे। वहाँ दो डाकू बँदूकें कंधों पर जमाए भोजन कर रहे थे। इतनी देर में जोर की ठंडी हवा चली तीनों सर्दी में ठिठुरते हुए अपना संगीत गाने लगे। सुनसान रात में डाकुओं ने यह निराला संगीत सुना तो वे यह समझकर डर गये कि कोई भूत आ गया है जो ऐसी डरावनी आवाजें निकाल रहा है। वे भूत के डर से खिड़की से कूद कर भाग गये। और फिर कभी उधर नहीं आए। इधर ये तीनों निराले संगीतकार मकान के अन्दर गये तो वहाँ अनेक प्रकार के भोजन तैयार थे। बस अंधे को क्या चाहिये था दो आँखें। गधे महाराज ने सब्जी की बोड़ियों को भोग लगाना शुरू कर दिया। कुत्ता और बिलाव तैयार भोजन पर हाथ साफ करने लगे। उसके बाद उन्होंने नगर में जाने का विचार छोड़ दिया और वहीं रहने लगे। हाँ, अब उन्हें यह पता चल गया था कि डाकू क्यों भागे हैं इसलिये वे सर्दी के बिना ही अपना संगीत छेड़ देते और स्वर मिलाकर इकट्ठे गाते रहते। Like our Facebook Page : Lotpot #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article