/lotpot/media/post_banners/y3ouyeC4qGn3ooqNIABZ.jpg)
बाल कहानी : सोनू का मेमना (Lotpot Kids Story): सोनू अभी बकरियाँ चरा ही रहा था कि आकाश पर लाल रंग की घटा छा गई। चारों तरफ अँधेरा सा छाने लगा। फिर जोर की आँधी चलने लगी। आँधी की सीटी गूँजने लगी। पेड़ों के डाल टूट टूटकर गिरने लगे। अनेक पेड़ जड़ से ही उखड़ गये। जंगल के सभी जीव जन्तु पागल होकर इधर उधर भागने लगे। किसी को भी कुछ पता नहीं था कि वह किधर जा रहे है। वही हाल सोनू का भी था। वह भी तूफान से भटका हुआ न जाने किस ओर निकल गया।
और ये पढ़ें : बाल कहानी : भोलू बंदर की चालाकी
जब आँधी तूफान थमा, आकाश साफ हुआ। कुछ दिखने लगा तो सोनू ने अपने आपको जंगल में एक गुफा में पाया अब सोनू को अपनी बकरियों का ध्यान आया और वह लाठी टेकता हुआ उसी ओर चलने लगा जिस ओर वह अपनी बकरियाँ चरा रहा था। वह चलता सीटी बजाता जा रहा था ताकि उसकी बकरियाँ उसकी सीटी की आवाज सुनकर उसके पास आ जाएं।
सोनू जैसे जैसे सीटी बजाता गया, बकरियाँ जहाँ जहाँ भी भूली भटकी फिर रही थी उसके पास आने लगीं।
सोनू ने अपनी बकरियाँ गिनीं तो उसमें से एक मेमना कम हो रहा था। उसने उसे बहुत खोजा पर मेमना न मिला। उसने यह समझकर संतोष कर लिया कि मेमने कोे कोई शेर, चीता, भेड़िया आदि खा गया हैं और या फिर अकेला ही भटक कर मर गया है।
और ये पढ़ें : बाल कहानी : गलती का अहसास
मेमना सचमुच आँधी तूफान से उड़ा और एक दूर के जंगल में पहुँच गया था। पहले तो वह मैंऽऽऽ... मैंऽऽऽ... करता हुआ कुछ दिन तक सोनू को और अपनी साथी बकरियों को खोजता रहा पर उसे कोई न मिला तो जंगल के पत्तों को खा खाकर समय बिताने लगा। जंगल के पेड़ पौधों के पत्ते खा खाकर वह एक दिन खूब मोटा ताजा बकरा बन गया।
एक दिन उस बकरे ने एक बहुत ऊँची चट्टान देखी जिस पर हरी हरी घास और पौधे उगे हुए थे। पौधों की पत्तियाँ देखकर उसके मुँह में पानी भर आया और वह धीरे धीरे पाँव फँसा फँसा कर उस चट्टान पर चढ़ने में सफल हो गया।
मेमना घास और हरी पत्तियाँ खा रहा था कि उसे दूर से एक भेड़िये ने देख लिया। बस फिर क्या था, वह उछलता हुआ पास आ गया। उसने बकरे के शरीर को देखा तो वह बार बार लार टपकाने लगा। मोटी गर्दन, गद्दी दार गुद्गुदाती हुई पीठ। मांसल टांगें देखकर वह बार-बार जीभ लपलपाने लगा। उसने उस ऊँची सीधी चट्टान पर चढ़ने का बहुत प्रयत्न किया पर हर बार नीचे गिर कर चोट खा जाता रहा।
अन्त में हार कर उसने सोचा कि किसी बहाने से यदि बकरा नीचे आ जाए तो तब काम बन सकता है। बकरे को देख उसके पेट में भूख ठाठें मारने लगी थी। या यूं कहिये कि भूख आग की लपटों की तरह उसके पेट को जलाने लगी थी और जिसके कारण उसका सिर भी चकराने लगा था, वह बड़ी मधुर आवाज में बोल पड़ा। बकरे भाई इतने ऊँचे पर घास चर रहे हो यहाँ नीचे घास या पत्तियों की कोई कमी है क्या? यहाँ नीचे आ जाओ दोनों मिलकर रहेंगे। और चरेंगे।
और पढ़ें : बाल कहानी : आनंद का त्योहार होली
बकरे ने आवाज सुनी और फिर आँख घुमा कर उसे देखकर सब अनुमान लगा लिया। और फिर चुप रहकर घास और पत्तियाँ चरने में मस्त हो गया। भेड़िये को यह व्यवहार अच्छा न लगना स्वभाविक ही था। वह जरा चढ़ कर कहने लगा। अरे बहरे हो गये हो क्या? यहाँ नीचे आ जाओ। कहीं गिर गये तो चोट खा जाओगे। अब बकरे से नहीं रहा गया। वह यह तो जान चुुका था कि भेड़िया वहाँ पहुँच नहीं सकता नहीं तो वह इतनी बातें न करता।
वह कहने लगा। भेड़िये भैया तुमसे भला मेरा अधिक हित चिन्तक कौन हो सकता है? पर वह देखों दो बड़े बड़े शिकारी कुत्ते भागते इसी ओर आ रहे हैं। उनसे मुझे डर लगता है। पहले तुम उन्हें जाकर भगाकर आओ। फिर हम दोनों इकट्ठे रहा करेंगे। शिकारी कुत्तों की बात सुनकर भेड़िये की सिट्टी पिट्टी गुल हो गई। उसे बकरे भैया का ध्यान भूल गया और ऐसा भागा कि फिर वह लौट कर कभी न आया।
सोनू एक दिन अपनी बकरियाँ चराता हुआ उसी जंगल में जा पहुँचा। बकरे ने चट्टान के ऊपर से अपने मालिक तथा अपने परिवार की ओर बकरियों को देखा तो जोर जोर से मैं... मैं... करने लगा। आवाज सुनकर सोनू ने अपने मेमने को जो अब बकरा बन चुका था तुरन्त पहचान लिया। उसने मेमने को नीचे उतारा तो मेमना उसके गले से ऐसे मिला जैसे उसका युगों से बिछड़ा हुआ कोई परिजन मिल गया हो।
Like our Facebook Page : Lotpot