बाल कहानी: भ्रम के बादल कुमार अपनी स्कूटी पर बैठा मध्यम गति से स्कूल की ओर चला जा रहा था। आज उसकी परीक्षा का अंतिम पेपर था। तभी उसका ध्यान हाथ पर बँधी कलाई घड़ी पर गया। परीक्षा शुरू होेने में थोड़ा ही समय शेष रह गया था। उसने स्कूटी की गति और तेज कर दी। By Lotpot 15 Apr 2020 | Updated On 15 Apr 2020 10:30 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : भ्रम के बादल - कुमार अपनी स्कूटी पर बैठा मध्यम गति से स्कूल की ओर चला जा रहा था। आज उसकी परीक्षा का अंतिम पेपर था। तभी उसका ध्यान हाथ पर बँधी कलाई घड़ी पर गया। परीक्षा शुरू होेने में थोड़ा ही समय शेष रह गया था। उसने स्कूटी की गति और तेज कर दी। लेकिन अभी कुमार कुछ ही दूर गया था कि उसने अपनी स्कूटी की गति और तेज कर दी। कुछ ही दूर उसे अपनी स्कूटी रोकना पड़ा। उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। सामने सड़क पर खून से लथपथ एक आदमी अर्द्ध बेहोशी की हालत में पड़ा था। सड़क के एक ओर उसकी साईकिल टूटी-फूटी अवस्था में पड़ी थी। वह आदमी आते जाते से हाथ पसार पसार कर इशारे से सहायता की भीख माँग रहा था। परन्तु वाहन और पैदल चलने वाले अपनी रफ्तार से भाग रहे थे। कुछ पैदल चलने वाले जो इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर ठिठक गये थे, वह भी आगे बढ़ने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे। और पढ़ें : बाल कहानी : निराले संगीतकार कुमार ने स्कूटी से उतरने का प्रयास किया। लेकिन तभी कुमार अपने आप से कहने लगा। तुम ये क्या कर रहे हो? बाद में कहीं, तुम किसी चक्कर में न फंस जाना। ऐसा सोचते हुये उसने जाने का प्रयास किया, परन्तु उसकी अंतरात्मा ने उसे धिक्कारा-कुमार, आज तुम्हारे सामने तुम्हारे जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा है। क्या तुम इसमें असफल होना चाहोगे? क्या एक छात्र होने के नाते तुम्हारा यह कर्तव्य नहीं है कि और विपत्ति में फंसे एक असहाय व्यक्ति की सहायता करो? शायद तुम अपने विद्यालय की परीक्षा को इस कार्य... इस परीक्षा से भी बड़ा समझ रहे हो? लेकिन छात्र कहलाने के वास्तविक हकदार तुम नहीं होगे। क्योंकि तुमने जो कुछ भी किताबों में पढ़ा उसे अपने जीवन में उतारा नहीं। धिक्कार है तुम पर। नहीं कुमार पूरी ताकत से चीख उठा, लेकिन उसकी यह आवाज उसकी अंतरात्मा की गहन वादियों में ही चीख कर खामोश रह गई थी। उसके चेहरे पर पसीने की बूँद साफ साफ झलझला रही थी। अपने कर्तव्य को पूरा करेगा। और पढ़ें : बाल कहानी : आकाश महल वह भागेगा नहीं, छात्र कठिनाइओं से डरकर नहीं भागते। बल्कि कठिनाईयों पर विजय पाते हुये अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना छात्रों का ध्येय होता है। छात्र इन्हीं कठिनाईयों से घिस-घिसकर पत्थर होते हुये भी हीरा बन जाता है। यही छात्र तो राष्ट्र की शक्ति है। ऐसा सोचते हुये वह स्कूटी से उतर गया और अपने जाने वाले तेज गति के वाहनों को रोकने का असफल प्रयास करने लगा। तभी उसे अपना दोस्त विजय आता दिखाई दिया, जिससे उसे आशा की एक नई किरण दिखाई पड़ी। विजय जैसे ही पास आया, वह सब समझ गया। अब विजय और कुमार दोनों ही आते जाते वाहनों को रोकने का प्रयास करने लगे। उन दोनों के संयुक्त प्रयास के ही फलस्वरूप सामने से आती हुई कार को विवश होकर रूकना पड़ा। ओये, क्या मांगता हैं? कार चालक अपनी कर्कश आवाज में बोला। और पढ़ें : बाल कहानी : चमगादड़ को सबक परन्तु विजय और कुमार के विनम्रता से अनुरोध करने पर ही वह व्यक्ति अस्पताल तक जाने को राजी हुआ। ऐसा देखकर उधर घायल पड़े व्यक्ति का चेहरा खुशी से चमक उठा। उसने अपने पास आते हुए कुमार से पूछा-क्या आप लोग मुझे अस्पताल ले चलेंगे। हाँ, कुमार ने कहा। सच, मैं तो समझता था कि छात्र लोग तो सिर्फ तोड़ फोड़ में ही विश्वास रखते हैं। आंदोलन करते हैं, जुलूस निकालते हैं, पर तुम तो। समय, नष्ट मत करो। भाई साहब। कुमार ने उसे बीच में ही रोक दिया और उसे उठाने का प्रयास करने लगा। थोड़ी ही देर में वह व्यक्ति कार की पिछली सीट पर था। आज उसके दिमाग पर वर्षो से छात्रों के बारे में छाये भ्रम के बादल हट चुके थे। आज उस व्यक्ति के दिल और दिमाग में एक नये छात्र रूपी सूर्य का उदय हो चुका था। कुमार ने कार में बैठते हुये विजय से कहा। विजय। तुम स्कूटी और साईकिल देखना। कोई आता जाता दिखे तो स्कूल खबर भिजवा देना। Like our Facebook Page : Lotpot #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article