बच्चों को मोटिवेट करती बाल कहानी : प्रार्थना की महिमा बच्चों को मोटीवेट करती बाल कहानी : प्रार्थना की महिमा- एक गांव में एक प्रभु भक्त नाविक रहता था। वह रोज सवेरे उठ कर, नहा धोकर मंदिर जाता और पूजा करने के बाद नाव लेकर यात्रियों को नदी के इस पार से उस पार और उस पार से इस पार पहुँचाता था। खाली वक्त में वो बस ईश्वर का नाम जपता रहता था। उसकी इतनी ईश्वर भक्ति देखकर गाँव के लोग हैरान रह जाते थे। By Lotpot 29 Apr 2021 | Updated On 29 Apr 2021 12:50 IST in Stories Moral Stories New Update बच्चों को मोटीवेट करती बाल कहानी : प्रार्थना की महिमा- एक गांव में एक प्रभु भक्त नाविक रहता था। वह रोज सवेरे उठ कर, नहा धोकर मंदिर जाता और पूजा करने के बाद नाव लेकर यात्रियों को नदी के इस पार से उस पार और उस पार से इस पार पहुँचाता था। खाली वक्त में वो बस ईश्वर का नाम जपता रहता था। उसकी इतनी ईश्वर भक्ति देखकर गाँव के लोग हैरान रह जाते थे। कुछ लोग तो उसका मजाक भी उड़ाते थे यह कहकर कि ये पोंगा पंडित या तो सारा दिन नदी में नाव चलाता रहता है या फिर उंगलियों पर भगवान की माला चलाता रहता है। यह सब सुनकर भी नाविक चुप रह जाता था। वह हर रोज नाव खोलने से पहले नियम से भगवान की प्रार्थना करता था। एक दिन उसके नाव में कई युवा लोग सवार हुए, सबको उस पार पहुंचने की जल्दी थी। नाविक प्रार्थना करने लगा तो सारे यात्री उस पर हंसने लगे। एक ने कहा, "लो, यह पोंगापंडित फिर शुरू हो गया पाठ पूजा में, अरे देखो, आसमान कितना साफ है, मौसम एकदम शांत है, फिर भला भगवान से नाव को सही सलामत उस पार पहुंचाने की प्रार्थना में समय बर्बाद क्यों कर रहे हो?" नाविक ने किसी को कोई जवाब नहीं दिया। वह चुपचाप प्रार्थना करने के बाद नाव चलाने लगा। बीच नदी में पहुंचते-पहुंचते अचानक जाने कहां से एक भयंकर तूफान उठने लगा, लहरें तेज हो गई। नाव डगमगाने लगा सभी यात्री डरकर कांपने लगे। सब ने भगवान को याद करते हुए अपनी जान बचाने के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया, लेकिन नाविक उनके प्रार्थना में शामिल नहीं हुए, वो नाव संभालने में लगा रहा। लोग हैरान थे कि जब नाव तूफान में घिरकर पलटने ही वाला है तो ऐसे में नाविक पूजा का सहारा क्यों नहीं ले रहा? सब लोगों ने गुस्से में कहा, "अरे ओ नाविक, वैसे तो तुम रात दिन पूजा पाठ में लगे रहते हो, अब जब प्रार्थना की सबसे ज्यादा जरूरत है तब तुम प्रार्थना छोड़कर चुप बैठे हो?" तब नाविक ने शांत स्वर में जवाब देते हुए कहा, "पूजा-पाठ और प्रार्थना, शांत वातावरण में शांति से की जाती है। जब कोई मुसीबत आए तब हमें उस मुसीबत को दूर करने के बारे में सोचना चाहिए। इस वक्त मैं सिर्फ और सिर्फ नाव संभालने में लगा हुआ हूं। मुसीबत से जूझने के लिए कर्म करना चाहिए और ईश्वर को उस कर्म की शक्ति देने के लिए धन्यवाद स्वरुप प्रार्थना करना चाहिए और इस वक्त मैं कर्म करने में लगा हूँ।" थोड़ी देर में नाविक ने नाव को संभाल लिया और मुसाफिरों को नदी के पार सकुशल पहुंचा दिया। सबने नाविक की जय जयकार की। इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि ईश्वर की प्रार्थना करते हुए भी हमें अपने कर्म करते जाना चाहिए। सिर्फ मुसीबत में प्रार्थना का कोई फल नहीं मिलता। सुलेना मजुमदार अरोरा और पढ़ें : बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article