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मोटू पतलू और लालच
मोटू पतलू और लालच:- एक दिन की बात है एक अनजान आदमी फुरफुरी नगर में डॉ. झटका का पता पूछ रहा था। वह सुबह से ही परेशान था, वह इतना ज्यादा परेशान था कि उसने तीसरी बार मोटू और पतलू से रास्ता पूछ लिया। उसने जैसे ही मोटू, पतलू से रास्ता पुछा तो मोटू फटाक से बोल पड़ा कि तुम सारे फुरफुरी नगर से पूछते फिर रहे हो और तीन बार तो हमसे टकरा चुके हो और यही सवाल कर चुके हो? मोटू ने आगे बोला कि आखिर डॉ. झटका से लेना क्या है तुमको? मोटू का सवाल सुनकर वो आदमी बोलता है कि अरे लेना कुछ नहीं है बल्कि कुछ देना ही है, पर वो मिलेगा तभी तो दूंगा ना। उस आदमी की बातें सुनकर मोटू उससे पूछता है कि ऐसा क्या खास देना है जो बता नहीं रहे हो? मोटू का सवाल सुनकर वो आदमी मोटू को बताता है कि मामला पैसों का है हर ऐरे गैरे को थोड़े ही बताऊंगा। उस आदमी की बात सुनकर पतलू झट से बोलता है कि पैसों का? फिर तो भाई जरा खुल के बताओ हो सकता है, हम ही तुम्हारे काम आ जायें। पतलू की बात सुनकर वो आदमी उनको बताता है कि मुझे उसे दस लाख का चैक देना है मेरे एक क्लांइट का उसने ईलाज किया था। पर मैं उसे पहचानता नहीं ना सो चैक कैसे डिलीवर करूँ। पैसों की बात सुनते ही पतलू मोटू के कानों में बोलता है कि मोटू यह दस लाख हमारे हो सकते हैं। पतलू की बात से सहमत होकर मोटू उस आदमी से बोलता है कि ओह! तो यह कहिए ना मुझे ढूंढ रहे थे आप।