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Chor pe Mor- A Funny Child Story
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चोर को मोर: एक मज़ेदार बाल कहानी - बाल कहानियाँ (children's stories) हमेशा से बच्चों को हँसाने, मनोरंजन करने और नैतिकता सिखाने का एक शानदार तरीका रही हैं। यह नैतिक कहानी (moral story in Hindi) हमें सिखाती है कि बेईमानी और चालाकी का रास्ता अपनाने से हमेशा नुकसान होता है। आज हम आपके लिए एक अनोखी और लंबी बाल कहानी (children's story in Hindi) लेकर आए हैं, जिसका नाम है "चोर को मोर"। यह कहानी नरेंद्र देवांगन की मूल कहानी से प्रेरित है, लेकिन इसे नए किरदारों, विस्तृत घटनाओं और मज़ेदार मोड़ के साथ परिवर्तित और लंबा किया गया है। तो चलिए, इस कहानी की सैर पर निकलते हैं!
गाँव के चार दोस्त: शरारत और भोलापन
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में चार दोस्त रहते थे—विक्की, रिंकू, टिंकू और भोलू। विक्की, रिंकू और टिंकू बहुत शरारती थे। वे हमेशा किसी न किसी को बेवकूफ बनाने और उसका सामान हड़पने की फिराक में रहते थे। लेकिन उनका चौथा दोस्त भोलू बहुत सीधा-सादा और नेकदिल था। भोलू को अपने दोस्तों की शरारतें पसंद नहीं थीं, और वह हमेशा लोगों को उनकी चालाकी से बचाने की कोशिश करता था।
विक्की, रिंकू और टिंकू अक्सर गाँव के मेले में जाकर लोगों को ठगने की योजना बनाते। वे कहते, "चलो, आज किसी को बेवकूफ बनाकर उसका सामान ले लेते हैं।" लेकिन भोलू उन्हें रोकने की कोशिश करता और कहता, "ऐसा करना गलत है। हमें मेहनत से कमाना चाहिए।" लेकिन तीनों उसकी बात को अनसुना कर देते और अपनी शरारतों में लगे रहते।
मज़ेदार तथ्य: भोलू को गाँव में "सच्चाई का सिपाही" कहा जाता था, क्योंकि वह हमेशा सच बोलता था और दूसरों की मदद करता था।
मेले में गधा और चालाक योजना
एक दिन, गाँव के पास एक बड़ा मेला लगा। मेले में तरह-तरह की चीज़ें बिक रही थीं—खिलौने, मिठाइयाँ, कपड़े और जानवर। एक भोला-भाला किसान, जिसका नाम था गोपाल, मेले में गया और उसने एक गधा खरीदा। गोपाल बहुत खुश था, क्योंकि गधा उसके खेतों में काम करने में मदद करेगा। उसने गधे को रस्सी से बाँधा और अपने गाँव की ओर चल पड़ा।
रास्ते में एक जंगल पड़ता था, जहाँ विक्की, रिंकू और टिंकू बैठकर मस्ती कर रहे थे। उन्होंने गोपाल को गधे के साथ आते देखा। विक्की ने हँसते हुए कहा, "देखो, एक भोला किसान आ रहा है। इसका गधा तो बहुत मज़बूत है। अगर हम इसे हड़प लें, तो इसे बेचकर अच्छे पैसे कमा सकते हैं।" रिंकू ने कहा, "हाँ, लेकिन हमें एक चालाक योजना बनानी होगी।" टिंकू ने सुझाव दिया, "चलो, पहले इसे अपने भरोसे में लेते हैं।"
तीनों ने एक योजना बनाई और गोपाल के पास पहुँच गए। विक्की ने बड़े प्यार से कहा, "अरे भैया, लगता है आप बहुत दूर से चले आ रहे हैं। आप तो थक गए होंगे। आइए, इस पेड़ के नीचे थोड़ा आराम कर लीजिए।" गोपाल भोला-भाला था, उसे तीनों की चालाकी का अंदाज़ा नहीं हुआ। उसने कहा, "हाँ, मैं सच में थक गया हूँ। थोड़ा आराम कर लेता हूँ।"
गोपाल ने अपने गधे को पेड़ से बाँध दिया और अपना सामान—एक थैला जिसमें कुछ कपड़े, खाने का सामान और पैसे थे—पेड़ के नीचे रख दिया। तीनों ने भी अपने थैले रख दिए, ताकि गोपाल को उन पर भरोसा हो जाए। रिंकू ने कहा, "चलो, भैया, थोड़ा मज़ा करते हैं। हम छुपम-छुपाई खेलते हैं।" गोपाल को खेल पसंद था, तो वह मान गया।
छुपम-छुपाई और चालाकी का खेल
खेल शुरू हुआ। पहले रिंकू की बारी थी। उसने आँखें बंद कीं और बाकी लोग छिप गए। गोपाल एक पेड़ के पीछे छिप गया, और विक्की-टिंकू पास की झाड़ियों में। रिंकू ने सबको ढूंढ लिया। फिर टिंकू की बारी आई, और उसने भी सबको ढूंढ लिया। अब गोपाल की बारी थी। विक्की, रिंकू और टिंकू बहुत खुश हो गए। उन्होंने सोचा, "जैसे ही गोपाल आँखें बंद करेगा, हम उसका गधा और सामान लेकर भाग जाएंगे।"
गोपाल ने आँखें बंद कीं और गिनती शुरू की, "एक, दो, तीन..." तीनों चालाक दोस्त कुछ दूर जाकर छिप गए, लेकिन उनकी नज़र गोपाल के सामान पर थी। वे सोच रहे थे कि जैसे ही गोपाल दूर जाएगा, वे गधे को खोलकर भाग जाएंगे। लेकिन यह सब भोलू दूर से देख रहा था। भोलू को तीनों की चालाकी का अंदाज़ा हो गया। वह चुपके से गोपाल के पास गया और बोला, "गोपाल भैया, ये तीनों तुम्हें ठगने की योजना बना रहे हैं। वे तुम्हारा गधा और सामान चुराकर भागना चाहते हैं।"
गोपाल को पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन भोलू की सच्चाई भरी आँखें देखकर उसे भरोसा हो गया। उसने भोलू से कहा, "धन्यवाद, भोलू। तुमने मुझे बचा लिया। लेकिन अब मैं इन चालाक दोस्तों को सबक सिखाऊँगा।"
गोपाल की चाल और चोरों का सबक
गोपाल ने एक चाल सोची। उसने आँखें बंद रखीं और ज़ोर-ज़ोर से गिनती शुरू की, "पचास, इक्यावन, बावन..." लेकिन चुपके से उसने अपनी आँखें खोल लीं और देखा कि विक्की, रिंकू और टिंकू झाड़ियों में छिपे हुए हैं। गोपाल ने तेज़ी से अपने गधे को खोला, अपना सामान उठाया, और साथ में तीनों चालाक दोस्तों के थैले भी ले लिए। उसने गधे पर सारा सामान लादा और चुपके से जंगल से निकल गया।
काफी देर तक जब गोपाल उन्हें ढूंढने नहीं आया, तो विक्की, रिंकू और टिंकू वापस पेड़ के नीचे आए। लेकिन वहाँ न तो गोपाल था, न उसका गधा, और न ही उनका सामान। विक्की ने सिर पीटते हुए कहा, "अरे, ये क्या हो गया? हम तो गोपाल को ठगने वाले थे, लेकिन उसने हमें ही ठग लिया!" रिंकू ने गुस्से में कहा, "हमारे थैलों में तो सारी मिठाइयाँ थीं, जो हमने मेले से खरीदी थीं। अब हम क्या खाएंगे?" टिंकू ने कहा, "यह सब उस भोलू की वजह से हुआ। उसने ज़रूर गोपाल को हमारी योजना बता दी।"
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तीनों चालाक दोस्तों को अपनी गलती का एहसास हुआ। वे भोलू के पास गए और माफी माँगने लगे। विक्की ने कहा, "भोलू, हमें माफ कर दो। हमने गलत किया। हमने सोचा कि गोपाल को ठगकर मज़ा आएगा, लेकिन अब हम समझ गए कि बेईमानी का रास्ता गलत है।" भोलू ने मुस्कुराकर कहा, "कोई बात नहीं, लेकिन तुम्हें यह सीख लेना चाहिए कि बेईमानी से कभी फायदा नहीं होता। हमें मेहनत से कमाना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।"
गोपाल की जीत और गाँव की खुशियाँ
गोपाल अपने गधे के साथ गाँव पहुँच गया। उसने गाँव वालों को सारी बात बताई। गाँव वालों ने गोपाल की चतुराई की तारीफ की और भोलू की सच्चाई की भी सराहना की। गोपाल ने कहा, "भोलू, तुमने मुझे बचा लिया। तुम्हारी सच्चाई की वजह से मैं अपने गधे और सामान को बचा पाया।" भोलू ने कहा, "गोपाल भैया, मैंने बस वही किया जो सही था।"
गाँव वालों ने एक छोटा सा उत्सव मनाया। गोपाल ने विक्की, रिंकू और टिंकू के थैलों में से कुछ मिठाइयाँ निकालीं और गाँव के बच्चों में बाँट दीं। उसने कहा, "यह मिठाइयाँ उन चालाक दोस्तों की हैं, जिन्होंने मुझे ठगने की कोशिश की। लेकिन अब वे अपनी गलती समझ गए हैं।" गाँव में खुशियाँ छा गईं, और भोलू को "गाँव का हीरो" कहा जाने लगा।
विक्की, रिंकू और टिंकू ने अपनी गलती से सीख ली। उन्होंने फैसला किया कि अब वे शरारत छोड़कर मेहनत करेंगे और गाँव वालों की मदद करेंगे। भोलू की सच्चाई और गोपाल की चतुराई की कहानी पूरे गाँव में फैल गई।
कहानी से सीख
सीख: बेईमानी और चालाकी का रास्ता अपनाने से हमेशा नुकसान होता है। हमें सच्चाई और मेहनत का रास्ता चुनना चाहिए। दूसरों की मदद करने से हमेशा सम्मान मिलता है।
कहानी का महत्व
यह बाल कहानी (children's story in Hindi) बच्चों को सिखाती है कि बेईमानी का रास्ता गलत है। भोलू की सच्चाई और गोपाल की चतुराई की यह कहानी (moral story for kids) बच्चों को प्रेरित करती है कि वे हमेशा सच बोलें और दूसरों की मदद करें। यह कहानी गाँव के माहौल में सेट की गई है, जो बच्चों को एक देहाती माहौल से जोड़ती है और तर्कसंगत है।
बाल कहानियाँ (children's stories) हमेशा से बच्चों के बीच लोकप्रिय रही हैं, क्योंकि इनमें मज़ा, रोमांच, और सीख का मिश्रण होता है। यह कहानी भी उसी तरह की है, जो बच्चों को हँसाती है और उन्हें सच्चाई का महत्व सिखाती है।
कहानी से बच्चों को क्या सीख मिलती है?
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सच्चाई की ताकत: यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि सच्चाई हमेशा जीतती है।
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बेईमानी से बचना: विक्की, रिंकू और टिंकू की गलती से बच्चों को यह सीख मिलती है कि बेईमानी का रास्ता गलत है।
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दूसरों की मदद: भोलू ने दिखाया कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए।
बाल कहानियों का महत्व
बाल कहानियाँ (children's stories) बच्चों के लिए बहुत खास होती हैं, क्योंकि वे उन्हें सही और गलत के बीच का अंतर सिखाती हैं। यह कहानी (children's stories for kids) बच्चों को प्रेरित करती है कि वे सच्चाई और मेहनत का रास्ता चुनें। भोलू और गोपाल की यह कहानी गाँव के माहौल में सेट की गई है, जो बच्चों को एक देहाती माहौल से जोड़ती है और उन्हें सच्चाई का महत्व समझाती है।
निष्कर्ष
"चोर को मोर" एक ऐसी बाल कहानी (children's story in Hindi) है, जो बच्चों को सिखाती है कि बेईमानी का रास्ता गलत है। भोलू की सच्चाई और गोपाल की चतुराई से बच्चों को यह समझ आता है कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए। यह कहानी न केवल मज़ेदार है, बल्कि इसमें एक गहरी सीख भी छुपी है।
अगर आप अपने बच्चों को नैतिक कहानियाँ (moral stories) सुनाना चाहते हैं, तो यह कहानी एकदम सही है। यह बाल कहानी (children's story for kids) आपके बच्चों को हंसाएगी, प्रेरित करेगी, और उन्हें सच्चाई का महत्व सिखाएगी।
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