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Fun Story : ऊंट के मुंह में जीरा- गांव के किनारे एक बड़ा सा घर था, जिसमें रामू नाम का एक आदमी रहता था। रामू मेहनती था, लेकिन उसकी भूख इतनी बड़ी थी कि गांव भर में उसकी भूख के चर्चे होते थे।
रामू जब भी खाना खाने बैठता, लोग कहते,
गांववाले: "अरे रामू, तुम्हारी भूख तो ऐसी है जैसे 'ऊंट के मुंह में जीरा'। क्या कभी तुम्हारा पेट भरता भी है?"
रामू मुस्कुराता और जवाब देता,
रामू: "क्या करूं भाई, भगवान ने ऐसा पेट दिया है, इसमें खाना डालते जाओ, पर यह कभी भरता नहीं।"
समस्या का हल
एक दिन गांव में एक बड़ा उत्सव हुआ। गांव के मुखिया ने सभी को दावत पर बुलाया। रामू भी पहुंचा। जब उसकी बारी आई, तो उसे एक छोटी सी प्लेट में खाना दिया गया।
रामू (हैरान होकर): "मुखिया जी, यह क्या है? इतनी कम मात्रा का खाना! यह तो मेरे लिए ऐसे है जैसे 'ऊंट के मुंह में जीरा'।"
मुखिया मुस्कुराते हुए बोले,
मुखिया: "रामू, अगर तुम्हारी भूख इतनी बड़ी है, तो तुम्हें खुद मेहनत करके खाना उगाना चाहिए।"
रामू को यह बात समझ में आ गई।
रामू: "मुखिया जी, आप सही कह रहे हैं। सिर्फ खाने की मांग करना ठीक नहीं है। मैं खुद कुछ उगाऊंगा, जिससे मेरी भूख पूरी हो सके।"
रामू की मेहनत
रामू ने खेत किराए पर लिया और वहां काम करना शुरू कर दिया। वह सुबह-सुबह उठता, खेत में बीज बोता, पानी देता, और फसल उगाने में पूरी मेहनत करता। धीरे-धीरे उसका खेत लहलहाने लगा। अब उसके पास इतना अनाज हो गया कि वह दूसरों को भी खिलाने लगा।
रामू की मेहनत देखकर गांव वाले खुश हुए। उन्होंने कहा,
गांववाले: "रामू, अब तुम्हारी भूख शांत हो गई?"
रामू: "हां, और मैंने यह भी सीखा कि सिर्फ मांगने से कुछ नहीं मिलता। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए खुद मेहनत करनी चाहिए।"
ऊंट के मुंह में जीरा कहानी से सीख:
"जो लोग बड़ी-बड़ी चीजें चाहते हैं, उन्हें अपने प्रयासों से अपने सपने साकार करने चाहिए। मेहनत ही सच्ची संतुष्टि देती है।"
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